बदलाव की प्रक्रिया का परिणाम है कलह
अभिनव उपाध्याय, नई दिल्ली आम आदमी पार्टी में पड़ी दरार की तुलना राजनीतिक विशेषज्ञ असम में अर्से पहल
अभिनव उपाध्याय, नई दिल्ली
आम आदमी पार्टी में पड़ी दरार की तुलना राजनीतिक विशेषज्ञ असम में अर्से पहले प्रफुल्ल कुमार महंत की सरकार से कर रहे हैं। उनका कहना है कि महंत की सरकार भी केजरीवाल सरकार की तर्ज पर ही अचानक बनी थी और सरकार के गठन के बाद भृगु फुकन की अगुआई में असंतुष्टों का एक नया खेमा तैयार हो गया था।
राजनीति के विशेषज्ञों की माने तो किसी भी राजनीतिक दल में इस तरह मनमुटाव की स्थिति बनना आश्चर्यजनक नहीं है, लेकिन एक नई पार्टी के लिए तात्कालिक रूप से नुकसान होने की आशंका से भी इन्कार नहीं किया जा सकता है। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान के प्राध्यापक प्रो. संजय पांडेय का कहना है कि इस तरह के उतार-चढ़ाव किसी भी राजनीति दल के विकास की यात्रा में आते हैं। जो भी दल प्रजातांत्रिक ढंग से चलते हैं वहां राजनीतिक मतभेद विचारधारा से लेकर कार्यप्रणाली के स्तर पर भी देखे गए हैं। पांडेय ने कहा, मैं इसे नकारात्मक नहीं बल्कि सकारात्मक रूप में देखता हूं। असम में जब प्रफुल्ल महंत ने सरकार बनाई थी तो उस समय उनके कद्दावर सहयोगी भृगु फुकन से मतभेद उजागर हुए थे। वहीं, दिल्ली विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर उज्जवल कुमार आम आदमी पार्टी के लिए इस घटनाक्रम को अच्छा संकेत नहीं मानते। उनका कहना है कि योगेन्द्र यादव और प्रशांत भूषण पार्टी के मजबूत स्तंभ हैं। इनको अपने साथ बांधने में केजरीवाल सफल नहीं रहे। हालांकि पार्टी के भविष्य को लेकर वह आश्वस्त दिखे। उन्होंने कहा पार्टी ने अपने कार्यकर्ताओं की संख्या और संगठनात्मक ढांचे को मजबूती से खड़ा किया है और सत्ता में आई है।
दिल्ली विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. एमपी सिंह इसे आंदोलन से राजनीतिक दल बनने की प्रक्रिया के रूप में आए बदलाव के रूप में देखते हैं। उनका कहना है कि आंदोलन से उपजी इस पार्टी का चरित्र बदल रहा है और इस बदलाव की प्रक्रिया का यह परिणाम है। इसमें पार्टी के समन्वयक अरविंद केजरीवाल ने बीच-बचाव का रास्ता नहीं अपनाया। जिसके कारण पहले चल रहा विवाद और गहरा गया।