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रासायनिक रंग खतरनाक

अंकुर शुक्ला, पूर्वी दिल्ली होली के हुड़दंग में लोग सब कुछ भूलकर त्योहार के रंग को अपने जीवन मे

By Edited By: Published: Wed, 04 Mar 2015 09:34 PM (IST)Updated: Thu, 05 Mar 2015 03:37 AM (IST)

अंकुर शुक्ला, पूर्वी दिल्ली

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होली के हुड़दंग में लोग सब कुछ भूलकर त्योहार के रंग को अपने जीवन में भर लेना चाहते हैं, लेकिन रंगों के मामले में जरा सी चूक त्योहार के रंग में भंग करने के साथ जीवन भर का दर्द भी दे सकती है। चिकित्सकों ने होली के दौरान रासायनिक रंगों के प्रयोग से बचने की सलाह दी है।

बच्चों के मामले में अधिक सतर्कता की जरूरत

रासायनिक रंगों का प्रयोग न करें। इसका बड़ों के साथ खासतौर से बच्चों के लिए हानिकारक साबित हो सकता है। बच्चों की त्वचा बड़ों के मुकाबले ज्यादा संवेदनशील होती है। प्राकृतिक गुलाल का ही प्रयोग करें। होली खेलने के दौरान त्वचा या आंखों में जलन व खुजली महसूस हो तो तत्काल ठंडे पानी से प्रभावित हिस्से को धो लें। अगर समस्या ज्यादा महसूस हो तो तुरंत चिकित्सक से परामर्श लें।

-डॉ.अनूप मोहता, निदेशक चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय।

आंखों को बचाकर लगाएं रंग

होली खेलने के दौरान आंखों का विशेष तौर पर ख्याल रखना चाहिए। चेहरे पर रंग लगाते समय आंखों के हिस्से को छोड़कर ही रंग का प्रयोग करें। गुलाल का प्रयोग करते समय भी यह ख्याल रहे कि वह आंखों के अंदर प्रवेश न करने पाए। खासतौर से आंखों के लिए रासायनिक रंगों का प्रयोग खतरनाक साबित हो सकता है। इससे न केवल संक्रमण की समस्या का खतरा रहता है, बल्कि पुतली में सूजन और जख्म की समस्या हो सकती है। अगर समय पर इसका इलाज नहीं किया जाता है तो समस्या खतरनाक रूप ले सकती है। इस कारण पीड़ित अंधेपन का भी शिकार हो सकता है।

-डॉ.प्रोमिला गुप्ता, नेत्र रोग विशेषज्ञ।

गाढ़े रंगों के प्रयोग से त्वचा हो सकती है बीमार

होली के दौरान प्रयोग किए जाने वाले गहरे और शीशे की तरह चमकने वाले रंग त्वचा को बीमार कर सकते हैं। बाजारू रंगों से होली खेलने के बजाय घर में निर्मित प्राकृतिक रंगों का होली में प्रयोग सुरक्षित होता है। गहरे काले व हरे रंगों से त्वचा में दरार आने के साथ चकत्ते की समस्या भी परेशान कर सकती है। प्राकृतिक रंगों का चुनाव करते हुए अगर हल्दी व चंदन युक्त रंगों का प्रयोग किया जाए तो होली के रंग के साथ त्वचा को पोषण भी मिलता है।

डॉ.रजनी, प्राकृतिक चिकित्सक।

रासायनिक रंगों के नुकसान

-त्वचा संबंधित रोग का खतरा

- दाने और चकत्तों का उभरना

- चेहरे और त्वचा पर झाइयों की समस्या

- त्वचा में संक्रमण और जख्म

- एलर्जी

परेशानी में अपनाएं उपाय

- त्वचा या आंखों में जलन होने की स्थिति में चेहरे या आंखों को तत्काल ठंडे पानी से धो लें। इस दौरान गुलाब जल का प्रयोग भी किया जा सकता है।

- त्वचा के प्रभावित हिस्सों पर गिल्सरीन या नारियल के तेल का प्रयोग फौरी राहत दिलाता है।

- जख्म होने पर अरंडी का तेल भी लगाया जा सकता है।

- रंग छुड़ाते समय दही और बेसन के मिश्रण का प्रयोग करें। इससे रंग छुड़ाने में आसानी होगी और त्वचा भी पूरी तरह साफ हो जाएगी।

रंग व गुलाल से पहले रखें खास ख्याल

- होली से पहले त्वचा और बाल में सरसों या नारियल का तेल लगाएं।

- सरसों और नारियल का तेल त्वचा और बालों में रंग को जमने नहीं देता है और उन्हें सुरक्षित रखता है।

अस्थमा के मरीजों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है स्प्रे

अस्थमा और सांस से संबंधित रोग से पीड़ित मरीजों के लिए रंगों का स्प्रे खतरनाक साबित हो सकता है। स्प्रे से निकलने वाले रंग पानी के छोटे कणों के जरिये श्वास नली में प्रवेश कर जाते हैं। इस कारण संक्रमण होने के साथ ही सांस रोगियों की समस्या भी बढ़ जाती है।


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