विचार और मुद्दों की है लड़ाई लड़ रहे सुरेश कुमार
संतोष शर्मा, पश्चिमी दिल्ली दिल्ली की राजनीति में विशेष महत्व रखने वाली जनकपुरी विधानसभा सीट इस ब
संतोष शर्मा, पश्चिमी दिल्ली
दिल्ली की राजनीति में विशेष महत्व रखने वाली जनकपुरी विधानसभा सीट इस बार सुर्खियों में है। इस बार इस सीट पर रणक्षेत्र में ससुर व दामाद आमने-सामने हैं। यहां से भाजपा के वरिष्ठ नेता प्रो.जगदीश मुखी को अपने ही दामाद सुरेश कुमार से कड़ी टक्कर मिल रही है। सुरेश कुमार को कांग्रेस ने टिकट दिया है। पहली बार चुनाव मैदान में उतरने के बावजूद सुरेश कुमार राजनीति में नए नहीं हैं। एक दशक से ज्यादा समय से वे राजनीतिक जीवन में हैं। काफी समय से सुरेश कुमार भाजपा से जुड़े रहे, लेकिन पार्टी के जीते हुए उम्मीदवार के रिश्तेदार होने के कारण उन्हें पार्षद तक का टिकट नहीं दिया गया। लिहाजा, उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया। पार्टी की ओर से उपेक्षा की टीस आज भी उनकी बातों में झलकती है। इसके बावजूदभाजपा के कद्दावर नेता प्रो. जगदीश मुखी के खिलाफ वे चुनाव मैदान में हैं और जोरशोर से चुनाव प्रचार भी कर रहे हैं।
सुरेश कुमार कहते हैं कि आज उनके और प्रो.मुखी के बीच रिश्ते की कद्र पहले की तरह है। वे विचार और मुद्दों की लड़ाई लड़ रहे हैं। उनका कहना है कि जनकपुरी विधानसभा क्षेत्र अब भी दो क्षेत्र मे विभाजित है। एक ओर डीडीए की ओर से बसाई गई जनकपुरी दो दूसरा नाला पार का अनधिकृत व कच्ची कालोनियों का हिस्सा। डीडीए की ओर से निर्मित होने वाले क्षेत्र में तो मूलभूत सुविधाएं तो लोगों को मिल रही हैं, लेकिन कालोनी के बने 40 वर्ष हो जाने के कारण वहां की सीवर व पानी की लाइनें पुरानी हो गई हैं। इससे समस्या उत्पन्न हो रही है। लिहाजा, उन्हें बदलने की जरूरत है। वे मानते हैं कि जीत के बाद नाला पार के नाम से जाने-जाने वाला उपेक्षित इलाका विकसित क्षेत्र के रूप में जाना जाएगा। जनकपुरी नाले को ढक कर वे दोनों क्षेत्र की दूरियों को काम कर देंगे।
सुरेश कुमार ने दिल्ली के कालेज आफ इंजीनिय¨रग से इंजीनिय¨रग की डिग्री ले रखी है। इसके बाद वे कंस्ट्रक्शन के क्षेत्र में काम कर रहे थे। इस समय उनके परिवार में पत्नी लतिका के अलावा दो बच्चे हैं। जनकपुरी ए-3 वार्ड निवासी सुरेश कुमार का शुरू से ही समाजसेवा में रुझान था। लिहाजा, वे अपने ससुर प्रो. जगदीश मुखी के साथ भाजपा से जुड़ गए थे। एक दशक से ज्यादा भाजपा से जुड़े रहने के बावजूद उन्हें सिर्फ इसलिए टिकट नहीं दिया गया, क्योंकि वे विधायक के रिश्तेदार थे। लिहाजा, वे कांग्रेस में शामिल हो गए और पार्टी ने उनकी योग्यता को पहचान कर जनकपुरी सीट से उन्हें टिकट भी दे दिया। दो पार्टी से जुड़े होने को वे इसे अपनी मजबूती बताते हैं। वे कहते हैं कि कांग्रेस में आने के बावजूद भाजपा के लोग उन्हें पहले की तरह चाहते हैं।
जीत के लिए प्रो.मुखी से लेंगे आशीर्वाद
अपनी जीत से पूरी तरह आश्वस्त सुरेश कुमार बताते हैं कि उनकी लड़ाई रिश्तेदार से नहीं, बल्कि विचार और मुद्दों की लड़ाई है। वे आज भी अपने सुसर का उतना ही सम्मान करते हैं जितना पहले करते थे। यहां तक कि वे उनके पास जीत के लिए आशीर्वाद लेने भी जाएंगे। उनका मानना है कि क्षेत्र की जनता विकास चाहती है। जीत के बाद उनकी प्राथमिकता क्षेत्र में मूलभूत आवश्यकता की बहाली के अलावा युवाओं को पर्याप्त सुविधा देने की होगी। खेल को बढ़ावा देने के लिए क्षेत्र में बड़ा खेल परिसर के निर्माण के अलावा बेहतर शिक्षा के लिए वहां नए इंस्टीट्यूट और कालेज की स्थापना उनकी पहली प्राथमिकता होगी।