Move to Jagran APP

बिजली पानी की सुचारु आपूर्ति चाहती है जनता

जागरण संवाददाता, पूर्वी दिल्ली : दिल्ली विधानसभा चुनाव का मौजूदा माहौल लोगों के मिजाज में परिवर्तन क

By Edited By: Published: Sun, 25 Jan 2015 08:56 PM (IST)Updated: Mon, 26 Jan 2015 04:47 AM (IST)

जागरण संवाददाता, पूर्वी दिल्ली : दिल्ली विधानसभा चुनाव का मौजूदा माहौल लोगों के मिजाज में परिवर्तन का संकेत दे रहा है। इस बार मतदाता मुद्दों की राजनीति पर पहले से सतर्क और समझदार होते दिख रहे हैं। मतदाता चाहते हैं कि बिजली-पानी के दाम कम होने के साथ उसकी आपूर्ति को सुचारु बनाने की ओर भी ध्यान दिया जाए। लोगों का कहना है कि संबंधित इकाइयों के उदासीन रवैये में परिर्वतन होना चाहिए। लोगों की शिकायत को गंभीरता से लेने के साथ हेल्प लाइनों को और भी ज्यादा मददगार बनाया जाए।

loksabha election banner

जमीनी स्तर पर हो बिजली-पानी का गतिरोध दूर : लोगों का कहना है कि यदि बिजली-पानी मुफ्त कर भी दिया जाता है, लेकिन आपूर्ति समय पर नहीं दी जाती तो मुफ्त या सस्ती सेवा का क्या मतलब रह जाता है। लोगों का कहना है कि चुनावी दंगल में एक भी ऐसी पार्टी नहीं है, जिसके एजेंडे में दिल्ली जल बोर्ड, बीएसईएस जैसी कंपनियों पर नकेल कसने की बात हो।

टैक्स पर संशय की स्थिति हो खत्म :

मतदाताओं ने बिजली-पानी से सेवा से जुड़ीं प्रदाता कंपनियों की बि¨लग के तरीके पर कड़ा एतराज जताया है। लोगों का कहना है कि एक आम आदमी इनके द्वारा दिए जाने वाले बिलों को ठीक से समझ नहीं पाता। बिलों में कई ऐसे टैक्स जोड़े जाते हैं, जिनका इस्तेमाल किन मदों में किया जाता है, इसकी जानकारी एक आम उपभोक्ता को नहीं होती है।

हेल्प लाइनों की व्यवहारिकता पर जोर : मतदाताओं का यह भी कहना है कि कंपनियों की हेल्प लाइनों को लोगों की समस्या के समाधान के लिए बनाया गया है, लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं होता। न तो यहां से समय पर सहायता मिलती है और न ही शिकायतों पर गंभीरता दिखाई जाती है।

कोट्

वादे सुन-सुनकर हम सभी थक चुके हैं। कुछ जमीनी हकीकत से अब सामना करने के लिए तैयार रहना होगा। हम वादे नहीं समाधान करने वाले प्रत्याशी को ही प्राथमिकता देंगे।

-एमडी शर्मा, अध्यक्ष, निष्काम साधना ज्वाइंट फोरम।

समस्याएं बनी हुई हैं। समाधान नहीं हो रहा। पानी और बिजली मुफ्त मिलने की बात हो और आपूर्ति ही अव्यवस्थित हो तो ऐसी सेवा मुफ्त में भी महंगी है।

-संजीव छिब्बर, महासचिव, पूर्वी दिल्ली आरडब्ल्यूए ज्वाइंट फोरम

-समस्या के समाधान के लिए दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ते हैं। ऐसा लगता है जैसे लोग सुविधा नहीं कुछ ऐसा मांग रहे हों, जिसकी मांग नहीं करनी चाहिए।

-महमूदा बेगम, उपाध्यक्ष दिल्ली प्रदेश आरडब्ल्यूए फैडरेशन

जनता की जरूरतों पर राजनीतिक दलों का एजेंडा भारी है, यह जो तय करें वहीं हमारी तकदीर बन जाता है।

-प्रेम भाटिया, संयुक्त सचिव, ग्रीन दिल्ली ग्रीन भारत

सेवाओं को सुलभ, सुचारु और दोष रहित बनाने के प्रयास होने चाहिए। मुद्दों के नाम पर मतदाताओं को प्रलोभन के अलावा आजतक कुछ नहीं मिला है। इस तरह की राजनीति को खत्म कर समस्याओं के समाधान की राजनीति शुरू होनी चाहिए।

-विजय रैना, अध्यक्ष, मयूर विहार आरडब्ल्यूए।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.