चेहरे के साथ आना होगा भाजपा व कांग्रेस को
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : कांग्रेस में यह परंपरा नहीं रही है कि वह मुख्यमंत्री पद के प्रत्याशी की घो
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : कांग्रेस में यह परंपरा नहीं रही है कि वह मुख्यमंत्री पद के प्रत्याशी की घोषणा करने के बाद चुनाव मैदान में उतरे। हरियाणा और महाराष्ट्र का अनुभव बता रहा है कि अब भाजपा भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता के आधार पर ही चुनाव मैदान में उतरेगी और मुख्यमंत्री पद के प्रत्याशी की घोषणा पहले नहीं की जाएगी। लेकिन दिल्ली में आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल की मौजूदगी के मद्देनजर दोनों पार्टियों के सामने यह चुनौती जरूर है कि वह अपने उस चेहरे को आगे करें, जिसके हाथ में वे दिल्ली की कमान देना चाहते हैं।
भाजपा में विधायक दल के नेता का पद है रिक्त
यहां बता दें कि डॉ. हर्षवर्धन के सांसद बनने के बाद से ही भाजपा में विधायक दल के नेता का पद खाली है। प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी सतीश उपाध्याय को तो सौंप दी गई लेकिन पार्टी की ओर से ऐसा कोई स्पष्ट संकेत नहीं है कि दिल्ली में उसका चेहरा कौन होगा। पूर्व केंद्रीय मंत्री विजय गोयल, विधायक प्रो. जगदीश मुखी सहित ऐसे कई नाम हैं जिन्हें दिल्ली में पार्टी के मजबूत नेताओं में शुमार किया जाता है। लेकिन राष्ट्रपति शासन के दौरान भाजपा ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि यदि दिल्ली में सरकार बनने की स्थिति आई तो मुख्यमंत्री कौन होगा। नेता नहीं चुने जाने के कारण ही सूबे की सियासत में पेंच फंसा हुआ है।
कांग्रेस ने पिछले साल विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद प्रदेश अध्यक्ष का पद विधायक अरविंदर सिंह लवली को सौंप दिया, जबकि विधायक दल के नेता का पद हारून यूसुफ को दिया गया। दोनों नेता अनुभवी हैं और दिल्ली सरकार में महत्वपूर्ण महकमों के मंत्री रहे हैं। ऐसे में इन्हें सरकार चलाने का भी अनुभव है। पार्टी का अध्यक्ष होने के नाते लवली ही दिल्ली में कांग्रेस का चेहरा हैं और पार्टी उपचुनावों में उनकी ही अगुवाई में चुनाव भी लड़ेगी। लेकिन पार्टी में ऐसी चर्चा हो रही है कि पूरे प्रदेश में विधानसभा चुनाव होते हैं तो बेहतर हो कि पार्टी अपने मुख्यमंत्री पद के प्रत्याशी का एलान करे।