महिला बाजार पर लगा ताला
नेमिष हेमंत, नई दिल्ली महिला सशक्तीकरण का प्रतीक राजधानी के पहले 'महिला बाजार' पर आखिरकार ताला लग
नेमिष हेमंत, नई दिल्ली
महिला सशक्तीकरण का प्रतीक राजधानी के पहले 'महिला बाजार' पर आखिरकार ताला लग गया। पिछले तीन माह से बाजार की एक भी दुकान नहीं खुली है। महिला दुकानदारों की इस बेरुखी के कारण इस माह से उत्तरी दिल्ली नगर निगम के सामुदायिक सेवा विभाग ने दुकानों का आवंटन बंद कर दिया है।
आसफ अली रोड पर नगर निगम के तीन मंजिला पार्किंग के ऊपर बने इस बाजार में केवल महिला दुकानदारों की मौजूदगी इसे खास बनाती थी। बाजार में बनी 39 दुकानें महिला दुकानदारों और कलाकारों को ही आवंटित होती थीं। नगर निगम द्वारा तैयार दिल्ली के पहले 'महिला बाजार' को राष्ट्रमंडल खेल के पहले ही तैयार हो जाना था, लेकिन लेटलतीफी के कारण यह आखिरकार नवंबर 2012 में अस्तित्व में आया और शुरुआत के साथ ही इसके खामीपूर्ण संरचना की शिकायतें आनी शुरू हो गई थीं।
तीन आकार की इन दुकानों के चारों तरफ से खुले होने के कारण कलाकारों की बहुमूल्य कलाकृतियां बारिश और धूप में खराब होने लगीं। इसके अलावा रात में बाजार में दुकानदारों को रुकने की सुविधा न होने के कारण भी धीरे-धीरे महिला दुकानदारों ने यहां से अपना सामान समेटना शुरू कर दिया था। स्थिति यह रही कि पिछले तीन माह से किसी महिला दुकानदार ने दुकान नहीं खोली है। हालांकि, सितंबर में कुल आठ दुकानें आवंटित हुई थीं।
बाजार में सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए एक स्टेज और एक छोटा सा पार्क बनाया गया है। बाजार में मौजूद कर्मियों के मुताबिक शुरू में तो बाजार में काफी रौनक रही, लेकिन बाद में दुकानदारों की संख्या के साथ आने वाले लोगों में भी गिरावट आने लगी।
हाथी साबित हो रहा बाजार
बंद बाजार नगर निगम उत्तरी के लिए हाथी साबित हो रहा है। बाजार बंद होने के बावजूद वहां रखे सामानों की रखवाली और वीरान पड़ी जगह के गलत इस्तेमाल न होने देने के लिए अब भी वहां आधा दर्जन से अधिक कर्मी तैनात हैं। इसके अलावा सफाई, बिजली व पानी पर भी हर माह हजारों रुपए खर्च हो रहे हैं। स्थिति यह है कि इस वित्तीय वर्ष में मार्च तक महिला बाजार से आय 5.61 लाख रुपए की हुई जबकि 8.03 लाख रुपए खर्च हो चुके हैं।
'बाजार के निर्माण में तकनीकी खामियां रहीं। निगम की जरूरतों के हिसाब से इसमें बदलाव कर इसे फिर से शुरू करने की योजना है। इसके साथ ही इसे सांस्कृतिक कार्यक्रमों से गुलजार रखने की व्यवस्था पर विचार चल रहा है।'
वाईएस मान, निदेशक उत्तरी दिल्ली नगर निगम
'पता भी नहीं है कि यहां महिला बाजार भी है। मुख्य गेट पर ही कूड़े का ढेर पड़ा है। अराजक तत्वों की मौजूदगी है। ऐसे में कौन महिला यहां आकर खरीदारी करे।'
कंचन जायसवाल