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एनसीआरपीबी काम का नहीं है तो इसे भंग कर दे सरकार: हाई कोर्ट

पवन कुमार, नई दिल्ली नेशनल कैपिटल रीजन प्लानिंग बोर्ड (एनसीआरपीबी) का गठन दिल्ली व आस-पास के क्षेत

By Edited By: Published: Sun, 26 Oct 2014 01:04 AM (IST)Updated: Sun, 26 Oct 2014 01:04 AM (IST)
एनसीआरपीबी काम का नहीं है तो 
इसे भंग कर दे सरकार: हाई कोर्ट

पवन कुमार, नई दिल्ली

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नेशनल कैपिटल रीजन प्लानिंग बोर्ड (एनसीआरपीबी) का गठन दिल्ली व आस-पास के क्षेत्रों में रीजनल प्लान के तहत विभिन्न योजनाओं को पूरा करने एवं एनसीआर क्षेत्रों में विकास संबंधी गतिविधियों पर निगरानी व कार्रवाई के लिए किया गया था। अगर, एनसीआर प्लानिंग बोर्ड अपने इस कार्य में असफल हो रहा है तो केंद्र सरकार को इसे भंग कर देना चाहिए और सारी जिम्मेदारियां फिर से अपने हाथ में ले लेनी चाहिए। ये बातें दिल्ली हाई कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी व न्यायमूर्ति आरएस एंडलॉ की खंडपीठ ने केंद्र सरकार से एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान कहीं। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने दलील दी थी कि एनसीआर प्लानिंग बोर्ड अपना काम सही ढंग से नहीं कर पा रहा है। जिसके बाद अदालत ने यह टिप्पणी की है।

खंडपीठ ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह इस बात की जांच करे कि जिस उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए एनसीआर प्लानिंग बोर्ड का गठन किया गया था, उस उद्देश्य की पूर्ति हो पा रही है या नहीं। यह भी जांच किया जाए कि दिल्ली व एनसीआर क्षेत्रों में रीजनल प्लान के अनुसार विकास संबंधी योजनाएं पूरी की जा रही हैं या नहीं। खंडपीठ ने एनसीआर प्लानिंग बोर्ड को भी कहा है कि उसे समय-समय पर केंद्र सरकार को इस बात की जानकारी जरूर देनी चाहिए कि रीजनल प्लान और मास्टर प्लान के तहत तैयार की गई योजनाओं के अनुसार विकास कार्य हो रहे हैं या नहीं। अगर, किसी योजना में कोई गड़बड़ी पाई जाती है तो प्लानिंग बोर्ड को कार्रवाई करनी चाहिए।

खंडपीठ ने कहा कि रीजनल प्लान में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी पाए जाने पर एनसीआर प्लानिंग बोर्ड एनसीआरपीबी अधिनियम की धारा 29 के तहत तुरंत कार्रवाई कर सकता है।

ज्ञात हो कि एनसीआर प्लानिंग बोर्ड का गठन वर्ष 1985 में केंद्र सरकार द्वारा संसद में पास किए गए कानून के तहत किया गया था। बोर्ड को जिम्मेदारी दी गई थी कि वह दिल्ली और एनसीआर क्षेत्रों में रीजनल व मास्टर प्लान के तहत शुरू की गई विकास संबंधी परियोजनाओं की निगरानी करेगा। अगर, किसी राज्य सरकार द्वारा कार्य में अनियमितताएं पाई जाती हैं तो बोर्ड उस राज्य को दी जाने वाली वित्तीय सहायता वापस लेने का अधिकार रखता है।

उल्लेखनीय है कि दिल्ली हाई कोर्ट में रघुराज सिंह ने जनहित याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता का कहना था कि उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली सरकार को एनसीआर प्लानिंग बोर्ड द्वारा विकास संबंधी योजनाओं को लेकर तैयार किए गए रीजनल प्लान में दखल देने से रोका जाए। उक्त राज्य सरकारों द्वारा अक्सर एनसीआर प्लानिंग बोर्ड के रीजनल प्लान में दखल दिया जाता है। इससे बहुत सी योजनाएं या तो शुरू नहीं हो पाती या फिर समय से पूरा नहीं हो पाती हैं।

हाई कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए एनसीआर प्लानिंग बोर्ड को निर्देश दिया था कि वह अपने काम में पारदर्शिता बरतेगी और अगर विकास संबंधी योजनाओं को लेकर कोई अनियमितता सामने आती है तो तुरंत कार्रवाई कर सकती है।


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