नील गायों के अस्तित्व पर संकट
जासं, बाहरी दिल्ली : वन व जंगलों के लुप्तप्राय होने के कारण नील गायों के अस्तित्व पर संकट मंडराने लग
जासं, बाहरी दिल्ली : वन व जंगलों के लुप्तप्राय होने के कारण नील गायों के अस्तित्व पर संकट मंडराने लगा है। वनों के नहीं रहने के कारण नील गाय आबादी वाले क्षेत्रों में आने लगीं हैं, जिससे वाहनों की चपेट में आने से उनकी मौत हो रही हैं। शनिवार को मुंडका रानी खेड़ा मार्ग पर नील गाय की वैन की टक्कर से मौत हो गई। इलाके में यह पहली घटना नहीं हैं। इसके पूर्व भी कई घटनाएं सामने आई हैं। छह माह के दौरान विभिन्न जगहों पर आठ ऐसी घटनाएं हुई। इनको लेकर पर्यावरणविदों ने चिंता जताई है। नील गायों की लगातार होती मौत से पारिस्थितिकी तंत्र के असंतुलित होने का खतरा पैदा हो गया है।
बुराड़ी, पल्ला, बख्तावरपुर, नरेला, मुंडका, शाहबाद डेरी, कंझावला, घेवरा आदि के जंगलों में नील गायों की संख्या अधिक थी। रात में ये कई बीघे खेतों में लगी फसलों को खा जाती थीं। अब नील गायों के सामने भी प्रवास की समस्या पैदा हो गई। पर्यावरण से जुडे़ हरपाल राणा का कहना है कि पर्यावरण में संतुलन बनाए रखने के लिए हर जीव-जंतु का अपना महत्व है।