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यमुना की सफाई के लिए शुरू होगी इंटरसेप्टर सीवर लाइन

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : यमुना की सफाई और उसके पानी को नहाने योग्य बनाने के उद्देश्य से बिछाई जा रह

By Edited By: Published: Sat, 25 Oct 2014 09:02 PM (IST)Updated: Sat, 25 Oct 2014 09:02 PM (IST)
यमुना की सफाई के लिए शुरू होगी इंटरसेप्टर सीवर लाइन

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : यमुना की सफाई और उसके पानी को नहाने योग्य बनाने के उद्देश्य से बिछाई जा रही इंटरसेप्टर सीवर लाइन पैकेज-1 (द्वारका पप्पनकलां) की सोमवार को केंद्रीय शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू शुरुआत करेंगे। इससे नजफगढ़ नाले में गिरने वाले पालम नाले व ड्रेन नंबर-2 के 15 एमजीडी (मिलियन गैलन प्रतिदिन) सीवर युक्त गंदे पानी को सीवरेज शोधन संयंत्र में लाकर शोधित किया जाएगा। इसके बाद इसे यमुना में डाला जाएगा।

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जल बोर्ड का दावा है कि छह हिस्सों में बांटकर बिछाई जा रही इंटरसेप्टर सीवर लाइन की पूरी परियोजना अगले साल मई तक पूरी हो जाएगी। तब यमुना से 70 फीसद प्रदूषण कम हो जाएगा। वैसे यह परियोजना जून 2014 तक पूरी होनी थी। लेकिन कार्य देर से शुरू होने के चलते इसके पूरा होने में देरी हो गई। जल बोर्ड की योजना के अनुसार, 1962 करोड़ रुपये की लागत से मुख्य तीन बड़े नालों नजफगढ़ ड्रेन, सप्लीमेंट्री ड्रेन व शाहदरा ड्रेन के किनारे 59 किलोमीटर लंबी इंटरसेप्टर सीवर लाइन बिछाई जा रही है। परियोजना को छह पैकेजों में बांटकर पूरा किया जाना है और 190 छोटे नालों के पानी को इंटरसेप्टर सीवर लाइन के जरिए नजदीक के सीवर शोधन संयंत्र (एसटीपी) में ले जाकर शोधित करने के बाद बड़े नालों में गिराया जाना है। ताकि यमुना में सीवर युक्त गंदा पानी गिरने से रोका जा सके।

पांच सितंबर को द्वारका पप्पनकलां इंटरसेप्टर सीवर पैकेज-1 का परिक्षण शुरू किया गया था। पालम नाले का 10 एमजीडी व ड्रेन नंबर-2 का पांच एमजीडी पानी इंटरसेप्टर सीवर लाइन के जरिए पप्पनकलां सीवरेज शोधन संयंत्र में ले जाकर शोधित किया जाएगा। इसके बाद शोधित पानी नजफगढ़ नाले से होते हुए यमुना में गिरेगा।

इंटरसेप्टर सीवर लाइन की इसलिए पड़ी जरूरत

दिल्ली में 1600 से ज्यादा अनधिकृत कालोनियां व एक हजार झुग्गी बस्तियां हैं जहां सीवरेज सुविधा नहीं है। दिल्ली देहात के 189 गांवों को भी सीवर नेटवर्क से नहीं जोड़ा जा सका है। इन इलाकों के सीवर का गंदा पानी नालों के जरिए यमुना में गिर रहा है। इसके चलते इंटरसेप्टर सीवर लाइन योजना तैयार की गई। ताकि गंदे पानी को बड़े बरसाती नालों में गिरने से पहले शोधित किया जा सके। फिलहाल दिल्ली जल बोर्ड करीब 380 एमजीडी सीवरेज का शोधन कर पाता है। इंटरसेप्टर सीवर लाइन के शुरू होने पर और 201 एमजीडी सीवरेज का शोधन हो पाएगा।

कम होगा प्रदूषण

नजफगढ़ नाले में प्रदूषण वाले तत्व बीओडी (बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड) प्रति लिटर 50 मिलीग्राम है। जो कम होकर 14 मिली ग्राम रह जाएगा। इसके अलावा सप्लीमेंट्री नाले में बीओडी 35 मिलीग्राम प्रति लीटर से कम होकर 11 व शाहदरा नाले में 32 से कम होकर 11 मिलीग्राम प्रति लीटर रह जाएगा। इससे यमुना में बीओडी 10 मिलीग्राम रह जाएगा और प्रदूषण की मात्रा कम हो जाएगी।

दिसंबर में पैकेज-2 का ट्रायल होगा शुरू

दिसंबर में निलोठी केशोपुर पैकेज-2 का ट्रायल शुरू होगा। इसके कुछ समय पश्चात इसे भी शुरू कर दिया जाएगा। इस तरह मई 2015 तक पैकेज-3 (कोरोनेशन पिलर), पैकेज-4 (रोहिणी रिठाला), पैकेज-5(यमुना विहार) व पैकेज-6(कोंडली) भी शुरू हो जाएंगे।


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