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पटाखा विक्रेता नहीं कर रहे सुरक्षा मानकों का पालन

जागरण संवाददाता, पूर्वी दिल्ली : क्या नियम कागजों के मोहताज होते हैं? यह सवाल बाजार में पटाखा विक्रे

By Edited By: Published: Wed, 22 Oct 2014 11:10 PM (IST)Updated: Wed, 22 Oct 2014 11:10 PM (IST)
पटाखा विक्रेता नहीं कर रहे सुरक्षा मानकों का पालन

जागरण संवाददाता, पूर्वी दिल्ली : क्या नियम कागजों के मोहताज होते हैं? यह सवाल बाजार में पटाखा विक्रेताओं की लापरवाही देखकर लोगों के मन में उठ रहा है। पटाखा विक्रेताओं को लाइसेंस देते वक्त जिन दिशा-निर्देशों का पालन करने को कहा जाता है, वह फाइलों में सिमटी दिख रही है। यमुनापार के बाजारों में पटाखा विक्रेताओं की दुकानों में सुरक्षा इंतजाम नाकाफी हैं। इसका खुलासा जिला प्रशासन की ओर से बुधवार को किए गए औचक निरीक्षण के दौरान हुआ।

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आग से सुरक्षा के इंतजाम नहीं

ज्यादातर दुकानों में आग से निपटने के लिए फायर बॉटल नदारद पाए गए। वहीं जिन दुकानों में इनकी मौजूदगी दिखी, वहां सीलबंद बोतल मिला। सवाल उठता है कि क्या आग लगने के बाद दुकानदार सील खोलकर आग बुझाएगा या अपनी जान बचाएगा? कायदे से दुकानों के पास निर्धारित संख्या में रेत की बोरियां होनी चाहिए, लेकिन ज्यादातर दुकानों में ऐसा नहीं पाया गया है। इस कारण सुरक्षा मानकों का पालन पुलिस की सख्ती से नहीं, भगवान भरोसे चल रहा है।

सड़क किनारे बिक रहे हैं पटाखे

नियमानुसार खुले में पटाखों की बिक्री नहीं की जा सकती, लेकिन यमुनापार के बाजार में काफी संख्या में फुटकरनुमा दुकानें मौजूद हैं, जहां खुले में पटाखों की बेखौफ बिक्री की जा रही है। ऐसे में एक चिंगारी भी हादसे को न्योता दे सकती है। इस बात की चिंता न तो स्थानीय पुलिस को है और न ही दुकानदारों को।

आग लगी तो कहां से आएगा पानी?

दुकानों में पानी लाने के लिए बाल्टियां भी नहीं रखी गई है। कई दुकानों के आसपास तो पानी भरने के लिए नलों के टैब भी नहीं हैं। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि दमकल की गाड़ियां आने से पहले आग बुझाने के वैकल्पिक प्रयास कैसे संभव हो पाएगा। इसका जवाब दुकानदारों के साथ पुलिस के पास भी नहीं है।

दुकान के पास खड़े होकर करते हैं धूम्रपान

दुकानदार पटाखे बेचकर लाभ कमाने में मशगूल हैं और उनकी दुकानों के आगे खड़े होकर धूम्रपान करने वाले लोगों की भी कमी नहीं। ऐसे में कभी भी हादसा हो सकता है। ऐसे लोगों को आगाह करने के लिए धूम्रपान निषेध के चेतावनी बोर्ड भी नहीं लगाए गए हैं।

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दिशा-निर्देशों की अवहेलना हादसे की सबसे बड़ी वजह है। छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखकर हम बड़ी मुसीबतों से बच सकते हैं। नियमों की अनदेखी के पीछे जागरूकता का न होना भी एक कारण है। दुकानदारों और आम लोगों का जागरूक करने की जरूरत है। इसके लिए समय-समय पर मुहिम चलाकर जागरूकता व प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया जाता है।

- राकेश कुमार, योजना समन्वयक, आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, पूर्वी जिला।

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अस्थायी दुकानों के लिए निर्धारित दिशानिर्देश

- शेड के निर्माण में ज्वलनशील पदार्थो और वस्तुओं का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए।

- दुकानों पर लगे शेड के बीच कम से कम तीन मीटर की दूरी होनी चाहिए। ज्वलनशील पदार्थो की बिक्री वाले स्थानों से दुकानों की दूरी का कम से कम 50 मीटर की दूरी पर होना अनिवार्य है।

- पेट्रोलियम पदार्थो से संचालित कोई भी उपकरण या ज्वलनशील पदार्थो की मौजूदगी प्रतिबंधित है।

- शेड के 50 मीटर के दायरे में पटाखा चलाना प्रतिबंधित किया गया है।

- एक इलाके में 50 से अधिक दुकानों को संचालित नहीं किया जा सकता।

- अस्थायी दुकानों के संचालन की अनुमति घनी आबादी वाले रिहायशी इलाकों और व्यस्त बाजारों में नहीं है।

- अस्थायी दुकानों से यातायात व्यवस्था प्रभावित नहीं होना चाहिए।

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- आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए विभाग की ओर से सभी जरूरी दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। हादसों से निबटने के लिए हमने अपने संचार प्रणाली को भी आंक लिया है। सभी उपकेंद्रों को अलर्ट पर रहने का निर्देश दिया गया है। फायरकर्मियों के अवकाश की भी समीक्षा की जा रही है। दुर्घटना के लिहाज से संवेदनशील स्थानों पर फायर वाहनों की मौजूदगी भी सुनिश्चित कर दी गई है। ऐसे स्थानों को पहले से ही चिंहित कर लिया गया है।

- एके शर्मा, निदेशक, अग्निशमन विभाग।


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