चिदंबरम ने की थी गलती : सीबीआइ
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली :
2जी स्पेक्ट्रम घोटाले से जुड़े एयरसेल-मैक्सिस सौदे में पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदंबरम की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। पटियाला हाउस कोर्ट में सुनवाई के दौरान सीबीआइ ने कहा कि पी. चिंदबरम ने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर एयरसेल-मैक्सिस सौदे को मंजूरी के लिए विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआइपीबी) के पास भेजा था। चिदंबरम द्वारा ऐसा करना एक गलती थी। मामले में जांच जारी है।
सीबीआइ ने इसका खुलासा मामले में दायर चार्जशीट पर सुनवाई के दौरान किया। मामले में मैक्सिस की कंपनी मेसर्स ग्लोबल कम्यूनिकेशन सर्विस होल्डिंग लिमिटेड ने 800 मिलियन डॉलर (करीब 3500 करोड़ रुपये) के लिए स्वीकृति मांगी थी। विशेष जज ओपी सैनी के समक्ष सीबीआइ ने बताया कि वित्त मंत्री को 600 करोड़ रुपये तक की मंजूरी देने का अधिकार था लेकिन चिदंबरम ने 3500 करोड़ के सौदे को मंजूरी दी। सीबीआइ ने कहा कि मामले को आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीईए) के पास स्वीकृति के लिए भेजा जाना चाहिए था, क्योंकि सीसीईए ही इसे स्वीकृति दे सकता था। इस बात की जांच की जा रही है कि आखिरी उन्होंने कैसे यह मंजूरी दी। सीबीआइ ने कोर्ट को वह दस्तावेज भी दिखाया जिसमें वित्त मंत्री के अधिकारों के बारे में बताया गया है। सीबीआइ ने कहा कि वित्त मंत्री ने अपने अधिकार का गलत इस्तेमाल किया था।
सीबीआइ ने चार्जशीट में पूर्व दूरसंचार मंत्री दयानिधि मारन, उनके भाई कलानिधि मारन, टी आनंदा कृष्णन सहित चार लोगों व चार कंपनियों को नामजद किया है। कोर्ट के सवाल पर सीबीआइ ने कहा कि कलानिधि मारन की पत्नी कावेरी मारन के सन डायरेक्ट टीवी में 82 फीसद शेयर हैं। लेकिन दस्तावेज बताते हैं कि महत्वपूर्ण फैसले उनके पति ही लेते हैं। कावेरी के खिलाफ कोई दस्तावेज बरामद नहीं हुआ। कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए 13 अक्टूबर की तारीख तय की है।