प्रभु को याद करने से मिटेंगे कष्ट
सत्संग
जागरण संवाददाता, दक्षिणी दिल्ली :
साधक का भगवान से रिश्ता चाहे जैसा हो, जब तक उसके अंतर्मन में हनुमंत चरित्र का अवलोकन नहीं होता, साधना का भरपूर फल नहीं मिलता। हनुमान जी की पूजा-अर्चना में साधक के कष्टों को दूर करने की शक्ति है। हनुमान जी का व्यक्तित्व, कृतित्व, सरलता व सजहता प्रत्येक साधक के लिए उपयोगी है। यह बातें लाजपत नगर स्थित श्री लाल साई मंदिर के पुजारी पंडित नरोत्तम शास्त्री ने भक्तों को बताई।
शास्त्री ने बताया कि प्रभु का कहना है कि संत मिल जाएं तो समझो मैं मिल गया। संत मेरे हृदय में निवास करते हैं। उन्होंने कहा कि धर्म का अर्थ धारण करना है। यानी जब मनुष्य अपने घट में प्रभु का प्रकाश देख लेता है तभी वह धार्मिक होता है। इसके बाद ही धर्म के लक्षण शील, संतोष, क्षमा, दया आदि मनुष्य में प्रकट होते हैं। भगवान इस सृष्टि के प्रत्येक जीव और कण-कण में विद्यमान हैं। हमें ऐसी दृष्टि पैदा करनी है कि उस ईश्वर के अस्तित्व को अनुभव कर सकें और उसे पहचान सकें। फिर तो जीवन में अद्भुत आनंद प्राप्त हो जाएगा।