निष्प्रभावी पुलिस
दिल्ली के अंबेडकर नगर इलाके के बाजार में दिनदहाड़े एक युवक की चाकू मारकर हत्या क्षेत्र में कानून व्यवस्था की बुरी स्थिति को दर्शाता है। मामला तब और भी गंभीर हो जाता है जब यह सामने आता है कि वारदात के समय मौके पर दो पुलिसकर्मी भी मौजूद थे, लेकिन वे मूकदर्शक बनकर वारदात होते देखते रहे। यही नहीं, घायल युवक एक घंटे तक सड़क पर पड़ा तड़पता रहा और किसी में इतनी हिम्मत और संवेदनशीलता नहीं जागी कि उसे अस्पताल ले जाते। जब उसे अस्पताल पहुंचाया गया तब तक काफी खून बह चुका था और इलाज के दौरान उसने दम तोड़ दिया। युवक की मौत के लिए उस पर चाकू से हमला करने वाले निर्विवाद रूप से जिम्मेदार हैं, लेकिन वारदात को मूकदर्शक बनकर देखने वाले पुलिसकर्मी व युवक को तड़पते देख उसे अस्पताल न पहुंचाने वाले वहां मौजूद अन्य लोग भी उसकी मौत के लिए बहुत हद तक जिम्मेदार हैं।
यह अपने आप में एक बड़ा प्रश्न है कि दो पुलिसकर्मियों की मौजूदगी के बावजूद आरोपियों की युवक पर हमला करने की हिम्मत कैसे हुई? क्या आरोपियों की पुलिसकर्मियों से मिलीभगत थी या वे जानते थे कि क्षेत्र में पुलिस अपना प्रभाव खो चुकी है तथा किसी की कहीं भी और तो और पुलिसकर्मियों के सामने भी हत्या कर देंगे तो पुलिसकर्मी खामोश खड़े रहेंगे। यदि क्षेत्र में बदमाशों में पुलिस की यह छवि बनी है तो यह गंभीर चिंता का विषय है। इस मामले में चार युवकों को गिरफ्तार अवश्य कर लिया गया है, लेकिन पुलिस को इस वारदात के पूरे घटनाक्रम में पुलिसकर्मियों की लापरवाही की जांच करानी चाहिए। यह पता लगाया जाना चाहिए कि आखिर पुलिसकर्मियों ने वारदात के समय अपने कर्त्तव्य का पालन क्यों नहीं किया। अपने कर्त्तव्य के प्रति लापरवाह पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। बीते दिनों दक्षिणी दिल्ली के ही मदनगीर इलाके में भी चाकू मारकर एक युवक की हत्या कर दी गई थी और यह सामने आया था कि इलाके में कई गैंग हैं जो चाकूबाजी की घटनाओं को अंजाम देते हैं। यदि क्षेत्र में गैंग पनप रहे हैं तो इसका सीधा अर्थ है कि पुलिस अपने कर्त्तव्य का उचित ढंग से निर्वहन नहीं कर रही है। पुलिस को इन गैंग का भंडाफोड़ कर बदमाशों को सलाखों के पीछे डालना चाहिए और जल्द से जल्द क्षेत्र के लोगों को सुरक्षित माहौल उपलब्ध कराना चाहिए।