पुरानी इमारतें दे रहीं हादसों को दावत
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : राजधानी में सोमवार को कनॉट प्लेस व चांदनी चौक के किनारी बाजार में आग की घटनाओं ने एक बार फिर यहां स्थित वर्षो पुरानी इमारतों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। कनॉट प्लेस में जहां इमारतों की ऊपरी मंजिलों में ऑफिस व रेस्टोरेंट समेत अन्य जगहों के भीतर किया गया निर्माणकार्य घातक है। वहीं, चांदनी चौक की संकरी गलियों में लटक रहे बिजली के तार हादसों को दावत दे रहे हैं। यदि समय रहते सुरक्षा के ठोस कदम नहीं उठाए गए तो हादसे होते रहेंगे।
सुरक्षित नहीं कनॉट प्लेस मार्केट
हाल के कुछ वर्षो में नई दिल्ली नगर पालिका परिषद ने कनॉट प्लेस के सुंदरीकरण में करीब 671 करोड़ रुपये खर्च कर दिए, लेकिन अभी भी यह मार्केट सुरक्षित नहीं है। चौड़ी सड़कें व खुली जगह होने के बावजूद परेशानी यह है कि यहां की पुरानी दो मंजिला व्यावसायिक इमारतों की पहली व दूसरी मंजिलों पर आवाजाही के लिए केवल एक ही रास्ता है। लिफ्ट होने के बावजूद सीढि़यों का यह रास्ता पर्याप्त नहीं है। यहां कम जगह में छोटे-छोटे कई ऑफिस हैं। ऑफिसों में लकड़ी, प्लास्टिक व एल्युमिनियम का इस्तेमाल कर कमरे व छोटे कैबिन बनाए गए हैं। कई जगहों पर खिड़कियों की जगह को भी अंदर से ढक दिया गया है। ऐसे में आग लगने या फिर अन्य हादसा होने पर राहत कार्य में काफी परेशानी होती है। सोमवार को जब धुएं के चलते दमकलकर्मी सीढि़यों व खिड़कियों के रास्ते अंदर दाखिल नहीं हो सके तो उन्होंने इमारत की एक तरफ की दीवार का कुछ हिस्सा तोड़ा। वहां भी प्लास्टिक की शीट थी, जिसे काटकर अंदर पहुंचा गया। इससे बचाव कार्य में देरी हुई। सीढि़यों पर धुएं के चलते एनआइआइटी सेंटर के ऊपर फिटनेस फर्स्ट जिम में मौजूद लोगों को दूसरी इमारतों की छत के रास्ते बाहर निकाला गया। कारोबारियों की मानें तो अधिक मुनाफे के चक्कर में नियमों को ताक पर रखकर इमारतों का इस्तेमाल किया जा रहा है। इमारतों के आसपास पटरियों पर किताबें, चश्मे, टैक्सी सर्विस आदि समस्या को और बढ़ा रहें हैं।
तारों को भूमिगत करना जरूरी
पुरानी दिल्ली के बात करें तो चांदनी चौक, किनारी बाजर, दरीबा कलां, नई सड़क, कूचा नटवा, कूचा महाजनी, नया बाजार, खारी बावली आदि दर्जनों जगह आजादी से पहले की इमारतें हैं। कटरों व गलियों में बिजली के तार लटके हुए हैं।गत वर्ष चांदनी चौक में हादसों से बचने के लिए बिजली के तारों को भूमिगत करने की योजना थी, लेकिन काम शुरू नहीं किया गया। कारोबारियों का सड़कों पर लाखों का माल पड़ा रहता है। मामूली चिंगारी विकराल रूप ले लेती है। गलियों में लटक रहे तार व संकरी गलियों में जर्जर इमारतों के चलते हादसे हो रहे हैं।