डीटीसी की बसें जर्जर
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली :
कहने को तो दिल्ली परिवहन निगम के बेड़े में लगभग पांच हजार बसें हैं, लेकिन इनमें से लगभग 30 फीसद बसें सड़क पर नहीं उतर रही हैं, जिससे दिल्लीवासियों की परेशानी बढ़ गई है। धूप में खड़े होकर काफी देर इंतजार करने के बाद यदि कोई बस आती भी है तो वह खचाखच भरी होती है।
एक तरफ दिल्ली में सार्वजनिक परिवहन प्रणाली को बेहतर करने की बात की जा रही है, लेकिन डीटीसी की सेवा को सुधारने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है। परिणामस्वरूप दिन प्रतिदिन यह खराब होती जा रही है। आलम यह है कि जिन रूटों पर पांच से दस मिनट के इंतजार पर बस मिलती थी वहां अब आधे घंटे से ज्यादा इंतजार करना पड़ता है। कई रूट पर तो यात्रियों को एक घंटे से ज्यादा इंतजार करना पड़ रहा है। रात में घर लौटते समय तो यात्रियों की परेशानी और बढ़ जाती है। शनिवार, रविवार या किसी अन्य अवकाश के दिन भी सड़क पर नाम मात्र की बसें नजर आती हैं।
सड़क पर हो जाती हैं खराब
इस संबंध में डीटीसी अधिकारियों का कहना है कि डीटीसी के बेड़े में बसों की कमी दूर करने के लिए समय पर उचित कदम नहीं उठाए जाने से समस्या बढ़ गई है। जर्जर बसों को मरम्मत कर सड़क पर उतारा जा रहा है। इनमें से अधिकांश सड़क पर ही खराब हो जाती हैं। पुरानी बसों के साथ ही लो फ्लोर एसी व नॉन एसी बसों का भी यही हाल है। इनमें भी ब्रेक डाउन की समस्या बहुत ज्यादा है। हालांकि, इन बसों की आपूर्ति करने वाली कंपनी की जिम्मेदारी इनके रखरखाव की भी है, लेकिन इसका पालन नहीं हो रहा है। ठीक से रखरखाव नहीं होने से इस तरह की समस्या ज्यादा आ रही है।
गर्मी में ज्यादा खराब होती हैं लो फ्लोर बसें
विशेषज्ञों का कहना है कि लो फ्लोर बसें गर्मी में ज्यादा खराब होती हैं। दिल्ली का मौसम इन बसों के लायक नहीं है। यही कारण है कि गर्मी व उमस बढ़ने के साथ इन दिनों हर दिन औसतन 1000 से ज्यादा बसें खराब हो रही है। बसों की कमी के कारण 15 अगस्त को भी मात्र 3750 बसें सड़क पर उतरी थीं। जबकि स्वतंत्रता दिवस समारोह के लिए ज्यादा बसें सड़क पर उतारने की घोषणा की गई थी। इसी तरह से जन्माष्टमी वाले दिन भी अतिरिक्त बसें चलाने की घोषणा के बावजूद मात्र 3716 बसें चलाई गई थी। अधिकारियों के अनुसार बसें ब्रेक डाउन होने के साथ ही कर्मचारियों की कमी से भी बसों के परिचालन में बाधा आ रही है। इस समय डीटीसी के बेड़े में कुल 4937 बसें हैं, जिसमें 1275 लो फ्लोर एसी, 2506 लो फ्लोर नॉन एसी तथा 1156 पुरानी बसें हैं। वहीं, 1380 बसें खरीदने का प्रस्ताव है।