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कजरी की रसधार से भीगा मन

By Edited By: Published: Thu, 31 Jul 2014 03:53 AM (IST)Updated: Wed, 30 Jul 2014 10:31 PM (IST)
कजरी की रसधार से भीगा मन

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : राजधानी में बुधवार को बारिश की बूंदें भले ही न पड़ी हों, लेकिन संगीत की मीठी फुहारों से कजरी की रसधार जरूर बही। सुप्रसिद्ध लोक गायिका मालिनी अवस्थी ने जब अपनी मखमली आवाज में गीत बाबा निमिया के पेड़ जिन काट ए बाबा पेश किया तो प्रेस क्लब में मौजूद श्रोता भावविभोर हो उठे। इस गीत की गंभीरता ने लोगों को देर तक स्थिर रखा, लेकिन उन्होंने जैसे ही लोक धुन पर पारंपरिक गीत प्रस्तुत किया लोग थिरकने लगे।

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तीज के मौके पर आयोजित सुर संध्या में मालिनी अवस्थी की मोहक आवाज का जादू लोगों के सिर चढ़कर बोला। कइसे खेले जइबू सावन में कजरिया, बदरिया घेर आई ननदी गीत पर पूरा प्रांगण तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।

लोक गायिका ने सावन से जुड़े कई गीत सुनाए। भोजपुरी में कजरी और अन्य विधा के गीत श्रोताओं के दिल में उतर गए। गीत के बीच में उसका अर्थ बताने पर वह श्रोताओं से और जुड़ती गई। एक गीत पर तो श्रोता ने जमकर नृत्य किया।

लोक संगीत के अलावा जब उन्होंने गजल हमे तुमसे प्यार कितना ये हम नहीं जानते सुनाया तो दर्शकों ने तालियों से इसका स्वागत किया। रस के भरे तोरे नैन गीत को भी श्रोताओं ने जम कर सराहा। कई दर्शकों ने अन्य गीतों की फरमाइश की और सुरीली आवाज में श्रोताओं ने देर शाम तक गीतों का आनंद लिया।


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