तालाबों को पुनर्जीवित करने की योजना फेल
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : डीडीए के अधिकारियों की लापरवाही के चलते परंपरागत तालाबों को पुनर्जीवित करने की योजना फेल हो गई है। योजना पर काम केवल कागजों में हो रहा है। जबकि जमीनी हकीकत इससे अलग है। इसके बारे में शिकायतें मिलने पर इसे गंभीरता से लेते हुए डीडीए उपाध्यक्ष बलविंदर कुमार ने इस योजना पर खुद नजर रखने का फैसला लिया है। उन्होंने तालाबों को पुनर्जीवित करने की योजना पर काम कर रहे अधिकारियों को कहा है कि वे सीधे उन्हें रिपोर्ट करें।
ज्ञात हो कि तालाबों की दुर्दशा को लेकर बुधवार को द्वारका वाटर बॉडी रिवाइवल कमेटी के सदस्यों ने डीडीए मुख्यालय विकास सदन में डीडीए उपाध्यक्ष के साथ बैठक की। कमेटी के सदस्यों ने मांग रखी कि तालाबों की दुर्दशा के लिए जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही तय होनी चाहिए। सदस्यों ने उपाध्यक्ष को अपनी पीड़ा सुनाई कि वे लोग डीडीए के कार्यालयों के चक्कर लगाकर परेशान हैं। मगर अधिकारी नहीं सुन रहे।
बता दें कि करीब दो महीने पहले डीडीए ने 9 तालाबों को पुनर्जीवित करने की योजना बनाई थी, लेकिन अभी तक एक भी तालाब को विकसित करने का काम पूरा नहीं हो पाया है। बताते चलें कि परंपरागत तालाबों को पुनर्जीवित करने की योजना पर नजर रखने के लिए व डीडीए का सहयोग करने के लिए करीब दो साल पहले तत्कालीन उपराज्यपाल तेजेंद्र खन्ना ने द्वारका वाटर बॉडी रिवाइवल कमेटी का गठन किया था। शुरुआती चरण में कमेटी ने एक सर्वे कर कुल 183 तालाबों की चिह्नित किया था। कमेटी ने यह रिपोर्ट तत्कालीन दिल्ली सरकार को दी थी और चिह्नित तालाबों को चरणबद्ध तरीके से विकसित करने का प्रस्ताव दिया था। इस कमेटी में पर्यावरणविद दीवान सिंह, कैप्टन एसएस मान व डीडीए के मुख्य अभियंता समेत अन्य अधिकारी शामिल हैं।