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अनाजमंडी में बिजली-पानी की किल्लत

By Edited By: Published: Fri, 27 Jun 2014 08:48 PM (IST)Updated: Fri, 27 Jun 2014 08:48 PM (IST)
अनाजमंडी में बिजली-पानी की किल्लत

जागरण संवाददाता, पश्चिमी दिल्ली : सरकारी खजाने में करोड़ों का राजस्व देने के बाद भी नजफगढ़ अनाज मंडी को मूलभूत सुविधाएं नसीब नहीं हो रही हैं। सुविधाओं के अभाव से न सिर्फ मंडी के कारोबारी बल्कि यहां आने वाले किसान भी दुखी नजर आते हैं। मंडी की व्यवस्था से दुखी किसान अपनी व्यथा को बयां करते हुए कहते हैं कि सरकार ने किसानों को तो पहले से ही उपेक्षित कर रखा है, अब मंडी की उपेक्षा कर अनाज कारोबारियों को भी सरकार उपेक्षित कर रही है।

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करोड़ों टन अनाज का कारोबार करने वाली इस मंडी में बिजली व पानी जैसी मूलभूत जरूरत भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं हो रही है। मंडी स्थापना के 26 वर्ष बीतने के बाद भी यहां पानी का कनेक्शन तक उपलब्ध नहीं कराया गया है।

कई दिनों तक गुल रहती है बिजली

मंडी में आए दिन बिजली की अघोषित कटौती होती रहती है। अभी हाल ही में दो दिनों तक लगातार बिजली आपूर्ति बाधित रही। व्यापारियों ने कई बार मंडी की लाईन को जाफरपुर फीडर से जोड़ने की मांग रखी लेकिन कुछ नहीं हुआ।

रोशनी का नहीं उचित प्रबंध

मंडी में रोशनी के इंतजाम के लिए जगह जगह स्ट्रीट लाईट लगाए गए हैं। लेकिन इनमें से एक तिहाई लाइट भी नहीं जलती। अंधेरे का फायदा उठाकर असामाजिक तत्व मंडी में दाखिल होकर अपनी गतिविधियों को अंजाम देते हैं।

मीठा पानी नहीं

मंडी में मीठे पानी के लिए दिल्ली जल बोर्ड का कनेक्शन नहीं है। पेयजल के लिए मंडी टैंकर सेवा पर आश्रित है। लेकिन टैंकर सीमित होने के कारण मांग पूरी नहीं होती। मंडी परिसर में बना एक प्याऊ बंद हो चुका है।

जर्जर इमारत की नहीं हुई मरम्मत

मंडी के मजदूरों के लिए यहां बड़े बड़े कमरे बनाए गए थे। लेकिन कमरों का इस्तेमाल कभी नहीं किया गया। आलम यह है कि अब ये कमरे खंडहर में तब्दील हो चुके हैं। इनके शेड टूट चुके हैं। मरम्मत के बाद इनका इस्तेमाल मजदूरों के रहने के लिए अनाज भंडारण के लिए किया जा सकता है। लेकिन प्रशासन इस विषय पर मौन है।

कैंटीन बंद

मंडी के कारोबारियों व यहां आने वाले किसानों के लिए परिसर में कैंटीन बनी है, लेकिन वर्षो से इस पर ताला लगा हुआ है। मजबूरी में लोग बाहर से मनमाने दरों पर खानपान की चीजें खरीदने को मजबूर हैं।

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फोटो नंबर 9 यूटीएम 17

किसान कई किलोमीटर का सफर तय कर मंडी पहुंचता है। अनाज तुरंत बिक जाए इस बात की गारंटी नहीं। किसानों को कई घंटे से लेकर कई दिनों तक इंतजार करना पड़ सकता है। ऐसी जगह पर मूलभूत सुविधाओं की किल्लत अपने आप किसी आश्चर्य से कम नहीं है। यहां जलबोर्ड का कनेक्शन तक अब तक उपलब्ध नहीं हो सका है।

वीरेंद्र सिंह डागर, अध्यक्ष, भारतीय किसान यूनियन, दिल्ली प्रदेश।

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कैंटीन के लिए कई बार निविदा निकाली गई, लेकिन कोई नहीं आता। जलापूर्ति के लिए दो नए टैंकर खरीदे गए हैं। हमारी पूरी कोशिश है कि जो भी समस्याएं हैं उनके समाधान का कोई न कोई रास्ता निकाला जाए। नतीजे आने में थोड़ा समय लगेगा।

आरएस सोलंकी, सचिव, कृषि उपज विपणन समिति, नजफगढ़ अनाजमंडी।


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