मोटे खर्च के नाम पर अटकी हुई है मोनो रेल
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : पूर्वी दिल्ली के शास्त्री पार्क से त्रिलोकपुरी के बीच राजधानी की पहली मोनो रेल दौड़ाने संबंधी सरकारी फाइल वित्त विभाग में अटक गई है। इस रेलगाड़ी को दौड़ाने पर होने वाले खर्च को लेकर स्पष्ट निर्णय नहीं हो पा रहा। अब इसके निर्माण में विलंब की आशंका जताई जा रही है।
मोनो रेल को लेकर पूछे जाने पर मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने भी यही कहा कि यह भविष्य की योजना है। ठीक समय पर इसके बारे में निर्णय किया जाएगा। गौरतलब है कि आगामी नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव की दृष्टि से महत्वपूर्ण करार दी जा रही इस लाइन के निर्माण पर खर्च होने वाली अरबों रुपये की राशि को लेकर वित्त विभाग ने कुछ सवाल खड़े किए हैं।
मोनो रेल पर होने वाले खर्च को लेकर दिल्ली मेट्रो रेल कार्पोरेशन (डीएमआरसी) ने एक विस्तृत रिपोर्ट दिल्ली सरकार को पिछले दिनों सौंपी। इसमें तीन प्रस्ताव दिल्ली सरकार के समक्ष पेश किए गए हैं। रिपोर्ट में इसके निर्माण पर कुल 2,235 करोड़ रुपये का खर्च आने का अनुमान व्यक्त किया गया है।
विश्वस्त सूत्रों ने बताया कि महज एक लाइन पर इतनी मोटी रकम खर्च करने के सवाल पर सरकार में यह मंथन भी चल रहा है कि इतनी बड़ी रकम से तो शहर के लिए बड़ी संख्या में बसें खरीदी जा सकती हैं, जिनकी बड़ी आवश्यकता है। ऐसे में माना यह जा रहा है कि अब इस परियोजना में थोड़ी देरी हो सकती है। यदि मुख्यमंत्री दीक्षित ने खुद ही स्पष्ट आदेश दे दिए, तो मोनो रेल की अटकी हुई फाइल आगे भी बढ़ सकती है।
अधिकारियों का कहना है कि यदि अभी निर्माण कार्य शुरू हो, तो यह परियोजना दिसंबर, 2016 तक पूरी हो जाएगी और गाड़ियों का परिचालन अप्रैल 2017 से शुरू हो जाएगा। उनका कहना है कि निर्माण कार्य शुरू करने में जितनी देर लगेगी, परियोजना उतनी ही देरी से पूरी भी होगी।
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