पापा मेरे जन्मदिन पर पैदल आ जाना, महानंदा से मत आना
धनंजय कुमार, नई दिल्ली
बेटी के जन्मदिन पर दिल्ली आने के लिए खुशबू के पापा ने महानंदा एक्सप्रेस ट्रेन में बर्थ आरक्षित कराई और बेटी को इसकी जानकारी दी। लेकिन खुशबू उदास हो गई। उसने पापा से कहा पापा मेरे जन्मदिन वाले दिन आप घर पहुंचना चाहते हैं तो पैदल आ जाइए, लेकिन महानंदा से मत आइए। क्योंकि यह ट्रेन निर्धारित समय से 56 घंटे देरी से पहुंचती है। यह दर्द खुशबू या उसके पापा का ही नहीं। यह कहानी महानंदा एक्सप्रेस से सफर करने वाले सभी रेल यात्रियों की है। क्योंकि इस ट्रेन के न तो अलीपुर द्वार से चलने का पता है और न ही इसके दिल्ली पहुंचने का ठिकाना।
रेल यात्रियों के लिए इस ट्रेन का सफर किसी सजा से कम नहीं है। यह ट्रेन किसी दिन निर्धारित समय से 48 घंटे की देरी से दिल्ली पहुंचती है तो किसी दिन 56 घंटे की देरी से। ट्रेन में यात्री भूख-प्यास से भी परेशान हो जाते हैं। यात्रियों की परेशानी तब और बढ़ जाती है, जब इस ट्रेन को रद कर दिया जाता है। छह मई को दोनों दिशाओं की ट्रेनें रद कर दी गईं और जिस ट्रेन को पांच मई को निर्धारित समय सुबह 6:40 बजे रवाना किया जाना था, उसे छह मई की सुबह 7:35 बजे रवाना किया गया।
कहां होती है ट्रेन लेट
इस ट्रेन के लेट होने कारण अधिकारियों को भी पता नहीं है। रेलवे अधिकारी बताते हैं कि सफर के बीच में यदि कोई ट्रेन लेट होती है तो वह लेट होती चली जाती है, क्योंकि उसके लिए अलग से समय निर्धारित नहीं किया जाता। व्यस्त समय के बीच खाली समय में ही इसका परिचालन किया जाता है। यह ट्रेन बंगाल, बिहार व उत्तर प्रदेश के इलाकों में लेट होती है।
अधिकारियों का तर्क
इस बारे में उत्तर रेलवे के अधिकारी कहते हैं कि यह ट्रेन नॉर्थ फ्रंटियर रेलवे जोन की है। वहीं से लेट आने की वजह से इसे दिल्ली से भी लेट ही रवाना किया जाता है। वहीं नॉर्थ फ्रंटियर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी हूजांग कहते हैं कि यात्रियों के साथ हो रही परेशानी को दूर करने की हम कोशिश कर रहे हैं।
ट्रेन के लेट आने-जाने का समय
तारीख, दिल्ली पहुंची, तारीख, रवाना
30 अप्रैल 34 घंटे 01मई 26 घंटे
01 मई 30 घंटे 02मई 23 घंटे
02 मई 56 घंटे 03मई 47 घंटे
03 मई 48 घंटे 04मई 40 घंटे
04 मई 34 घंटे 05मई 25 घंटे
05 मई रद 06मई रद
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