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टीम इंडिया के लिए पंच-मंत्र

एमएस धौनी की अगुआई में युवा खिलाड़ियों से भरी भारतीय टीम 2007 में जब पहला टी-20 विश्व कप टूर्नामेंट खेलने पहुंची थी तो उससे खिताबी जीत की किसी को आशा नहीं थी, लेकिन उन्होंने इतिहास रचा। उसके बाद से खेले गए तीन और संस्करणों में भारतीय टीम खास प्रभाव नहीं छोड़ सकी। अब वह रविवार से बांग्लादेश में

By Edited By: Published: Sun, 16 Mar 2014 02:23 PM (IST)Updated: Tue, 18 Mar 2014 10:10 AM (IST)
टीम इंडिया के लिए पंच-मंत्र

[रूपेश रंजन सिंह], नई दिल्ली। एमएस धौनी की अगुआई में युवा खिलाड़ियों से भरी भारतीय टीम 2007 में जब पहला टी-20 विश्व कप टूर्नामेंट खेलने पहुंची थी तो उससे खिताबी जीत की किसी को आशा नहीं थी, लेकिन उन्होंने इतिहास रचा।

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उसके बाद से खेले गए तीन और संस्करणों में भारतीय टीम खास प्रभाव नहीं छोड़ सकी। अब वह रविवार से बांग्लादेश में शुरू हो रहे पांचवें संस्करण में भाग्य आजमाने उतर रही है। पिछले कुछ महीनों के प्रदर्शन को देखने के बाद टीम इंडिया को खिताब का प्रबल दावेदार तो नहीं कहा जा सकता, लेकिन क्योंकि टूर्नामेंट उपमहाद्वीप में खेला जा रहा है ऐसे में भारतीय टीम की दावेदारी को नकारा भी नहीं जा सकता। हां, इतना जरूर है कि उनकी खिताबी राह आसान नहीं होगी, लेकिन यदि 'धौनी के धुरंधरों' ये पांच उपाय अपनाएं तो वह एक बार फिर टी-20 के विश्व चैंपियन बन सकते हैं। 1रूपेश रंजन सिंह, नई दिल्ली1एमएस धौनी की अगुआई में युवा खिलाड़ियों से भरी भारतीय टीम 2007 में जब पहला टी-20 विश्व कप टूर्नामेंट खेलने पहुंची थी तो उससे खिताबी जीत की किसी को आशा नहीं थी, लेकिन उन्होंने इतिहास रचा।

उसके बाद से खेले गए तीन और संस्करणों में भारतीय टीम खास प्रभाव नहीं छोड़ सकी। अब वह रविवार से बांग्लादेश में शुरू हो रहे पांचवें संस्करण में भाग्य आजमाने उतर रही है। पिछले कुछ महीनों के प्रदर्शन को देखने के बाद टीम इंडिया को खिताब का प्रबल दावेदार तो नहीं कहा जा सकता, लेकिन क्योंकि टूर्नामेंट उपमहाद्वीप में खेला जा रहा है ऐसे में भारतीय टीम की दावेदारी को नकारा भी नहीं जा सकता। हां, इतना जरूर है कि उनकी खिताबी राह आसान नहीं होगी, लेकिन यदि 'धौनी के धुरंधरों' ये पांच उपाय अपनाएं तो वह एक बार फिर टी-20 के विश्व चैंपियन बन सकते हैं।

शिखर धवन को खुलकर खेलने दो

क्रिकेट में अच्छी शुरुआत का मतलब होता है आधा मैच आपने जीत लिया और भारत को अच्छी शुरुआत दिलाने का जिम्मा शिखर धवन पर होगा, जिनका फॉर्म फिलहाल थोड़ा गड़बड़ा गया है। इसके बावजूद यदि उन्हें खुलकर आक्रमण करने का लाइसेंस मिल जाए तो वह विपक्षी गेंदबाजों की बखिया उधेड़ सकते हैं।

युवराज का करो समर्थन

टीम इंडिया के 'एक्स फैक्टर' हैं युवी। 2007 का टी-20 विश्व कप हो या 2011 का वनडे विश्व कप, दोनों ही टूर्नामेंट में टीम को चैंपियन बनाने में युवराज का बड़ा हाथ रहा। टीम को एक बार फिर चैंपियन बनना है तो इस सिक्सर किंग के बल्ले का चलना बेहद जरूरी। लंबे समय बाद टीम में वापसी कर रहे युवी को प्रशंसकों और टीम प्रबंधन के समर्थन की जरूरत है। यदि उनका आत्मविश्वास लौट आया तो समझो रोमांच लौट आया।

टीम को स्पिनरों से भर दो

टूर्नामेंट उपमहाद्वीप में खेला जा रहा है, यहां कम उछाल और टर्न लेती पिचों पर स्पिनर कहर बरपा सकते हैं। स्पिनर भारतीय टीम की मजबूती रहे हैं। ऐसे में टीम को अपनी मजबूती के साथ बने रहना चाहिए। अश्रि्वन और जडेजा दो मुख्य स्पिनर टीम में रहेंगे। उनके अलावा अमित को भी मौका मिलना चाहिए। पार्ट टाइम में युवराज से भी ओवर करवाए जा सकते हैं।

डेथ ओवरों में भुवनेश्वर को लाओ

डेथ ओवरों में गेंदबाजी भारत की सबसे बड़ी कमजोरी रही है। तेज गेंदबाज मुहम्मद शमी लगातार विकेट निकाल रहे हैं, लेकिन उनकी एक खामी यह है कि वह रनों पर अंकुश नहीं लगा पा रहे हैं। डेथ ओवरों में गेंदबाजी में भुवनेश्वर का रिकॉर्ड उनसे थोड़ा बेहतर है, ऐसे में भुवी को ही गेंद थमाई जानी चाहिए।

रक्षात्मक कप्तानी छोड़ो

पिछले दिनों टीम के निराशाजनक प्रदर्शन में एमएस धौनी की कप्तानी भी एक वजह रही है। 'कैप्टन कूल' अब कुछ ज्यादा ही कूल हो गए हैं और इस कारण वह कप्तानी के दौरान ज्यादा रक्षात्मक नजर आने लगे हैं। धौनी को एक बार फिर लीक से हटकर फैसले लेकर सामने वाली टीम को चौंकाना होगा। तभी बात बनेगी।


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