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बीसीसीआई की बैठक में भी जैसा श्रीनि ने चाहा वैसा ही हुआ

नई दिल्ली [अभिषेक त्रिपाठी]। चेन्नई में रविवार को हुई बीसीसीआइ की कार्य समिति की आपात बैठक जो हुआ उसकी पटकथा पहले से ही लिखी गई थी। स्क्रीन पर दिख कुछ रहा था और वास्तव में हो कुछ और रहा था। अंतत: श्रीनिवासन ने जो चाहा बैठक का फैसला वही निकला। श्रीनिवासन ने बीसीसीआइ अध्यक्ष का पद नहीं छोड़ा बल्कि वह जांच पूरी होने तक अध्यक्ष पद के कामकाज से दूर हुए। साथ ही उन्होंने अपने विरोधियों आइएस बिंद्रा, शशांक मनोहर को बीसीसीआइ में वापस

By Edited By: Published: Sun, 02 Jun 2013 09:27 AM (IST)Updated: Mon, 03 Jun 2013 08:36 AM (IST)
बीसीसीआई की बैठक में भी जैसा श्रीनि ने चाहा वैसा ही हुआ

नई दिल्ली [अभिषेक त्रिपाठी]। चेन्नई में रविवार को हुई बीसीसीआइ की कार्य समिति की आपात बैठक जो हुआ उसकी पटकथा पहले से ही लिखी गई थी। स्क्रीन पर दिख कुछ रहा था और वास्तव में हो कुछ और रहा था। अंतत: श्रीनिवासन ने जो चाहा बैठक का फैसला वही निकला। श्रीनिवासन ने बीसीसीआइ अध्यक्ष का पद नहीं छोड़ा बल्कि वह जांच पूरी होने तक अध्यक्ष पद के कामकाज से दूर हुए। साथ ही उन्होंने अपने विरोधियों आइएस बिंद्रा, शशांक मनोहर को बीसीसीआइ में वापसी का कोई मौका नहीं दिया। क्रिकेट को साफ करने के लिए हुई इस बैठक में सिर्फ अंदरूनी राजनीति हावी रही।

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स्पॉट फिक्सिंग मामले में दामाद और चेन्नई सुपरकिंग्स टीम के सीईओ गुरुनाथ मयप्पन का नाम आने के बाद बीसीसीआइ अध्यक्ष एन श्रीनिवासन को इस्तीफा देने पर मजबूर करने की सारी कवायद रविवार को बेकार हो गई।

लगभग ढाई घंटे तक चली बीसीसीआइ कार्यसमिति की 'फिक्स' बैठक तमाशे से कम नहीं रही। बैठक में श्रीनिवासन ने अड़ियल रुख अपनाते हुए बोर्ड अध्यक्ष के पद से इस्तीफा नहीं दिया। यहां तय हुआ कि श्रीनिवासन जांच पूरी होने तक सिर्फ अपने पद से दूर रहेंगे और तब तक पूर्व अध्यक्ष जगमोहन डालमिया अंतरिम अध्यक्ष के तौर पर कार्य करेंगे। बीसीसीआइ के उपाध्यक्ष और दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ [डीडीसीए] के अध्यक्ष अरुण जेटली ने बंगाल क्रिकेट संघ [कैब] के अध्यक्ष जगमोहन डालमिया का नाम बीसीसीआइ के अंतरिम अध्यक्ष के लिए आगे किया। इसके बाद बैठक में उस पर मुहर लग गई। 73 वर्षीय डालमिया 30 सितंबर तक बोर्ड का कामकाज देखेंगे।

पढ़ें: कौन हैं जगमोहन डालमिया

मीडिया और क्रिकेट प्रशंसकों के सामने श्रीनिवासन से दूरी दिखाने के लिए पूर्व आइपीएल चेयरमैन राजीव शुक्ला, बीसीसीआइ उपाध्यक्ष अरुण जेटली और संयुक्त सचिव अनुराग ठाकुर चेन्नई नहीं गए लेकिन दिल्ली में वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए उन्होंने वही किया जो कहीं न कहीं श्रीनिवासन के पक्ष में गया।

तस्वीरों में देखें: क्या-क्या हुआ मीटिंग में

डालमिया-पवार की लड़ाई का फायदा

पूर्व बीसीसीआइ अध्यक्षों जगमोहन डालमिया और शरद पवार के बीच की अदावत रविवार को भी काम कर गई। अगर यह दोनों एक होते तो श्रीनिवासन एक मिनट भी गद्दी पर बैठ नहीं सकते थे लेकिन यह दोनों एक साथ नहीं आ सकते जिसका फायदा श्री को मिला। जब पवार खुले तौर पर श्रीनिवासन का विरोध कर रहे थे तो डालमिया को अपने पूर्व विरोधी और वर्तमान सहयोगी श्रीनिवासन के जरिए किंगमेकर बनने का मौका मिल गया। बैठक में श्रीनिवासन का कामकाज देखने के लिए पहला नाम अरुण जेटली का आया लेकिन राजनीतिक करियर को ध्यान में रखते हुए उन्होंने कांटों से भरे ताज को पहनना उचित नहीं समझा और उन्होंने डालमिया का नाम प्रस्तावित किया। जेटली और डालमिया के च्च्च च्च्छा सामंजस्य है। डालमिया भविष्य में जेटली को बीसीसीआइ का अध्यक्ष बनते हुए देखना चाहते हैं। राजीव शुक्ला और अनुराग ठाकुर बीसीसीआइ में वही करते हैं जो जेटली कहते हैं। रविवार को भी उन्होंने वही किया। श्रीनिवासन भी पवार गुट को रोकने के लिए डालमिया पर तैयार हो गए। यह सब गेम प्लान के तहत हुआ।

अभी से खेला जा रहा है अगले अध्यक्ष का खेल

संट्टेबाजी-स्पॉट फिक्सिंग मामले में राजीव शुक्ला, अरुण जेटली, अनुराग ठाकुर, डालमिया और कई अन्य मीडिया में तो श्रीनिवासन के विरोधी दिखना चाहते हैं लेकिन अंदरखाने वे श्री के खिलाफ नहीं हैं। इसकी साफ वजह है बीसीसीआइ की अंदरूनी राजनीति। यहां सब भाईचारे से तय होता है। जिसका भाईचाराच्च्बसे च्च्छा होता है, बोर्ड में उसकी ही बादशाहत चलती है। अगर श्रीनिवासन का कार्यकाल एक साल और नहीं बढ़ाया गया तो इस सितंबर को बोर्ड का नया अध्यक्ष चुना जाएगा और इसके लिए जेटली और डालमिया को श्री की आवश्यकता पड़ेगी। इस पद की दौड़ में जेटली सबसे आगे हैं इसलिए वह नहीं चाहते कि भविष्य के खेल पर अभी से कोई ग्रहण लग जाए। अगर जेटली अगले अध्यक्ष पद के लिए आगे नहीं भी आएंगे तो वह चाहेंगे कि उनका ही कोई खास इस पद पर बैठे और इसक लिए भी उन्हें श्री की मदद चाहिए होगी।

पढ़ें: आखिर क्या है इस्तीफों के पीछे का खेल

संविधान ने दी है अध्यक्ष को ताकत

बीसीसीआइ के संविधान को पिछले तीन साल में करीब दस बार संशोधित किया जा चुका है। इन संशोधनों के बाद बीसीसीआइ अध्यक्ष को इतने ज्यादा अधिकार हो गए हैं कि उसे जबरदस्ती हटाना बहुत मुश्किल हो गया है। श्रीनिवासन को हटाने का एकमात्र चारा है उनके खिलाफ 31 में से 24 राज्य संघों के वोट। फिलहाल इतने संघ श्रीनिवासन के खिलाफ नहीं हैं क्योंकि जहां पवार होंगे वहां डालमिया एंड कंपनी नहीं और जहां डालमिया होंगे वहां पवार एंड कंपनी नहीं।

बेकार की कार्य समिति

रविवार को जिस कार्य समिति की बैठक हुई उसे बोर्ड अध्यक्ष श्रीनिवासन को हटाने का अधिकार ही नहीं था इसलिए यह तय था कि श्री को जबरदस्ती नहीं हटाया जा सकता। अगर वह खुद इस्तीफा दे दें तो ही वह हट सकते थे। कार्य समिति की बैठक में सभी 31 राज्य संघों के सदस्य भाग नहीं लेते। श्रीनिवासन को हटाने के लिए स्पेशल जनरल मीटिंग (एसजीएम) की जरूरत थी लेकिन उसको बुलाने या रद करने का अधिकार भी श्री के पास है और श्रीनिवासन ने एसजीएम नहीं बुलाई।

अब शाहरुख की टीम केकेआर भी हुई श्रीनिवासन के खिलाफ!

क्यों नहीं इस्तीफा देना चाहते श्रीनिवासन

श्री के इस्तीफा देते ही उनकी टीम चेन्नई सुपर किंग्स (सीएसके) के करार पर संकट बढ़ जाएगा। उन्हें विरोधी गुट के सत्तासीन होते ही सीएसके का करार खत्म होने का डर सता रहा है। वह जानते हैं कि बोर्ड में कोई स्थायी दोस्त नहीं है। जैसे उन्होंने ललित मोदी को और पवार ने डालमिया को बाहर किया था वैसे ही ताकत खत्म होते ही उनका खेल समाप्त हो जाएगा। सीएसके का करार रद होने से श्रीनिवासन को अरबों का नुकसान हो सकता है। यही नहीं पद जाने पर वह अपने दामाद गुरुनाथ मयप्पन की कोई मदद नहीं कर सकते।

किसी ने भी इस्तीफा नहीं मांगा : श्रीनिवासन

चेन्नई। बीसीसीआइ अध्यक्ष एन श्रीनिवासन ने रविवार को चेन्नई में हुई कार्य समिति की आपात बैठक के बाद भी अड़ियल रुख अपनाए रखा और बैठक के बाद उन्होंने जोर दिया कि चर्चा के दौरान एक भी सदस्य ने उन्हें इस्तीफा देने के लिए नहीं कहा।

बैठक के बाद श्रीनिवासन ने कहा कि विचार-विमर्श के बाद, मैंने घोषणा की कि जांच पूरी हो जाने तक मैं अध्यक्ष पद नहीं छोडूंगा। मेरे खिलाफ कोई आरोप नहीं है। चूंकि यहां बोर्ड को फैसला लेना था तो जगमोहन डालमिया को कार्यभार सौंपने का फैसला किया गया। यह पूछे जाने पर कि क्या बैठक के दौरान उन्हें किसी ने इस्तीफा देने के लिए कहा तो श्रीनिवासन ने कहा नहीं, मुझसे किसी ने भी इस्तीफा नहीं मांगा। इसके साथ ही बोर्ड अध्यक्ष ने बोर्ड सदस्य आइएस बिंद्रा के उस दावे को भी खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि वह एकमात्र सदस्य थे जिन्होंने श्रीनिवासन के इस्तीफे की मांग की थी। श्रीनिवासन ने कहा कि बैठक के दौरान बिंद्रा ने मुझसे इस्तीफा देने के लिए नहीं कहा। बैठक में सदस्यों के बीच कोई कटुता देखने को नहीं मिली।

यह पूछे जाने पर कि अब बोर्ड में डालमिया की क्या भूमिका होगी। इस पर श्रीनिवासन ने कहा कि यह बोर्ड का आंतरिक मामला है। डालमिया काफी अनुभवी हैं और इस बारे में बोर्ड तय करेगा कि उनकी भूमिका क्या होगी।

कब-कब क्या हुआ

- सबसे पहले एन श्रीनिवासन ने बैठक में घरेलू और आइसीसी के साथ विचाराधीन मामले उठाए। उसके बाद उन्होंने स्पॉट फिक्सिंग में शामिल तीन क्रिकेटरों और गुरुनाथ मयप्पन की सट्टेबाजी के मामले को रखा।

- श्रीनिवासन ने कार्य समिति को बताया कि संजय जगदाले और अजय शिर्के को खास तौर पर बुलाया गया है। इसके बाद उन्होंने उनके इस्तीफे नामंजूर करने की घोषणा की।

- वरिष्ठ उपाध्यक्ष अरुण जेटली ने बोर्ड की विश्वसनीयता पर चिंता जताते हुए श्रीनिवासन को जांच हो जाने तक खुद को अध्यक्ष की जिम्मेदारियों से दूर रहने को कहा।

- श्रीनिवासन ने जेटली के प्रस्ताव पर सहमति जताई।

- कार्य समिति ने जगदाले और शिर्के को इस्तीफे पर दोबारा विचार करने को कहा, लेकिन दोनों ने बोर्ड में वापस आने से इन्कार कर दिया।

- इसके बाद जगमोहन डालमिया, अनिल कुंबले, रवि सावंत, गंगा राजू, निरंजन शाह और सुधीर दाबिर ने अपने विचार बैठक में रखे।

- एक दिन के भीतर बैठक बुलाने पर बिंद्रा ने इसकी वैधता पर सवाल उठाए।

- सदस्यों ने जेटली को कार्यभार देखने के लिए कहा, लेकिन राजनीतिक बाध्यताओं के कारण जेटली ने असमर्थता जताई।

- जेटली ने जांच खत्म हो जाने तक कार्यभार देखने के लिए शशांक मनोहर और डालमिया का नाम सुझाया।

- मनोहर के नाम पर सहमति नहीं बनी। अधिकतर सदस्यों ने कहा कि वह अभी बोर्ड में नहीं हैं। इसके बाद जेटली और अनुराग ठाकुर ने डालमिया का नाम लिया, जिस पर श्रीनिवासन ने सहमति जताई।

- इसके बाद यह फैसला लिया गया कि श्रीनिवासन इस्तीफा नहीं देंगे, बल्कि खुद को जांच होने तक अध्यक्ष के काम-काज से अलग रखेंगे।

- डालमिया ने बोर्ड का कार्यभार देखने के लिए स्वीकृति दी।

- बिंद्रा ने इस फैसले का विरोध करते हुए कहा कि बिना किसी पद के डालमिया कैसे दिन-प्रतिदिन के फैसले लेंगे।

- कार्य समिति ने डालमिया को गुरुनाथ मयप्पन मामले की जांच करने वाले आयोग में तीसरा सदस्य नियुक्त करने की शक्ति दी।

- बिंद्रा ने सवाल उठाया तीन सदस्यीय जांच आयोग को किसने गठित किया।

- इसके जवाब में रत्नाकर शेट्टी ने कहा कि आइपीएल सचिवालय ने इस आयोग का गठन किया है, जिसमें सीईओ सुंदर रमन और पीटर ग्रिफ्थ हैं।

- बिंद्रा ने पूछा कि क्या आइसीसी की भ्रष्टाचार रोधी इकाई ने गुरुनाथ मयप्पन पर बीसीसीआइ को सचेत किया था।

- इस पर किसी भी बीसीसीआइ अधिकारी ने कोई पुष्टि नहीं की।

- बैठक का अंत अनुराग ठाकुर के प्रेस नोट के साथ हुआ, जिसमें साफ तौर पर लिखा गया कि श्रीनिवासन इस्तीफा नहीं दे रहे हैं, बल्कि खुद को कुछ समय के लिए अध्यक्ष पद के कामकाज से अलग कर रहे हैं।

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