आइपीएल नहीं, देश के लिए खेलना प्रणव की पहली पसंद
मुंबई में एक स्कूली मैच के दौरान इस महीने की शुरुआत में ही नाबाद 1009 रन ठोक कर विश्व रिकॉर्ड बनाने वाले कल्याण के प्रणव धनावड़े की जिंदगी बदल गई है। सचिन से इनाम के तौर पर बल्ला मिलने, एयर इंडिया से छात्रवृत्ति के आधार पर जुडऩे और बल्लों में
अभिषेक त्रिपाठी, नई दिल्ली। मुंबई में एक स्कूली मैच के दौरान इस महीने की शुरुआत में ही नाबाद 1009 रन ठोक कर विश्व रिकॉर्ड बनाने वाले कल्याण के प्रणव धनावड़े की जिंदगी बदल गई है। सचिन से इनाम के तौर पर बल्ला मिलने, एयर इंडिया से छात्रवृत्ति के आधार पर जुडऩे और बल्लों में अपना नाम अंकित होने की खबरों के बीच ऑटो ड्राइवर का 15 वर्षीय क्रिकेटर बेटा खुद को संभालने की कोशिश में लगा हुआ है। वह अपनी पढ़ाई, क्रिकेट और हाल में ही मिली चकाचौंध के बीच सामंजस्य बनाने की कोशिश में जुटा है। एक पारी से जीवन में आए बदलाव पर महाराष्ट्र के बल्लेबाज प्रणव धनावड़े ने दैनिक जागरण से बातचीत की। पेश हैं मुख्य अंश-:
सवाल : बल्ला कब से प्यारा लगने लगा?
जवाब : मेरे पापा मुझे मैदान में घुमाने ले जाते थे। जब मैं चार साल का था तब मेरे पापा ने मेरे हाथ में बल्ला पकड़ाया था। उस समय ही मैं स्टांस लेने लगा और ग्रिप मेरे हाथों में अच्छी लगी। तभी से उससे दोस्ती हो गई। अब क्रिकेट मेरी जिंदगी बन गया है।
सवाल : नए साल में आपका जीवन ही बदल गया?
जवाब : हां, पिछले साल तक सब सामान्य था। क्रिकेट तब भी खेलता था और अब भी खेलता हूं लेकिन इस पारी ने सबकुछ बदलकर रख दिया है। लोग मुझे और प्यार करने लगे हैं और मैं भी उनके प्यार को संभालकर रखने की कोशिश कर रहा हूं।
सवाल : सचिन से मिलना कैसा रहा? एयर इंडिया के प्रस्ताव पर क्या विचार किया?
जवाब : सचिन मेरे आदर्श हैं। दिल में उनसे मिलने की मुराद पिछले दस सालों से थी। जब उनके यहां से फोन आया तो मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उन्होंने मुझे एक बल्ला दिया। यह मेरे लिए गर्व की बात थी। जहां तक एयर इंडिया के प्रस्ताव की बात है तो सबकुछ मेरी पढ़ाई पर निर्भर करेगा। मैं अभी केसी गांधी स्कूल में दसवीं की पढ़ाई कर रहा हूं और मेरे बोर्ड के पेपर आने वाले हैं। जो मेरे माता-पिता और कोच तय करेंगे, वही होगा।
सवाल : जिस समय यह पारी खेल रहे थे, उस समय क्या आपके दिमाग में रिकॉर्ड की बात थी?
जवाब - इस पारी के पहले मैंने कभी यह नहीं सोचा था कि ऐसा कुछ होगा। इस पारी की शुरुआत में भी मेरे दिमाग में कुछ नहीं था लेकिन जैसे-जैसे रन बढ़ते गए वैसे-वैसे मैं इस बारे में सोचने लगा। दूसरे छोर पर आकाश सिंह और सिकदेश ने शतक बनाए। मैंने इन दोनों खिलाडिय़ों से कहा कि वे मुझे स्ट्राइक दें तो मैं तेजी से रन बनाऊंगा। इसके बाद जब मैंने 1000 रन पूरे किए तो 1465 रन पर अपनी पारी घोषित कर दी।
सवाल : विपक्षी टीम के कोच ने कहा कि उनके मुख्य खिलाड़ी टीम में नहीं थे इसलिए आप इतने रन बना सके?
जवाब : इस पर मैं क्या कह सकता हूं। हो सकता है ऐसा हो लेकिन यह तो उन्हें पहले से ही पता होगा। मेरा काम था रन बनाना और मैंने वही किया। अब वह क्या कहते हैं, ये वह जानें।
सवाल : आइपीएल या भारतीय टीम?
जवाब : मैं अभी अंडर-16 टीम में हूं। इसके बाद अंडर-19, रणजी और भारतीय टीम का लक्ष्य रखूंगा। अगर आइपीएल में खेलने का मौका मिलता है तो सोचूंगा, लेकिन मेरी प्राथमिकता देश के लिए खेलना है और सचिन की तरह दुनिया का सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज बनना हैं। वही मेरे आदर्श हैं।
सवाल : क्या इस पारी के बाद आपके प्रति सबका बर्ताव बदल गया है?
जवाब : मेरे दोस्तों का व्यवहार पहले भी मेरे प्रति अच्छा था, लेकिन अब मुझपर गर्व करने लगे हैं। मेरे प्रधानाचार्य भी मुझ पर गर्व करने लगे हैं। पहले वह मेरे मस्ती करने पर डांटते थे, लेकिन अब तक उन्होंने इस पर कुछ नहीं कहा है। मेरे माता-पिता का सिर काफी ऊंचा हो गया है।