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IPL पर भी पड़ी नोटबंदी की मार, अब तक खाली चल रही है झोली

आइपीएल पर इस बार नोटबंदी और बीसीसीआइ में चल रही उठापटक की मार पड़ी है।

By Bharat SinghEdited By: Published: Wed, 15 Feb 2017 11:42 AM (IST)Updated: Wed, 15 Feb 2017 02:22 PM (IST)
IPL पर भी पड़ी नोटबंदी की मार, अब तक खाली चल रही है झोली

नई दिल्ली। दुनिया भर में सबसे ज्यादा मालदार क्रिकेट लीग आइपीएल पर इस बार नोटबंदी और बीसीसीआइ में चल रही उठापटक की मार पड़ी है। अप्रैल-मई में होने वाले आइपीएल के 10वें सीजन के लिए प्रायोजक नहीं मिल रहे हैं और न ही किसी बड़ी मार्केटिंग डील की घोषणा हुई है।

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आमतौर पर आइपीएल से संबंधित बड़ी डील्स की घोषणा फरवरी में ही होने लगती थी। इकनॉमिक टाइम्स की खबर के मुताबिक पिछले साल आइपीएल ने लगभग 2,500 करोड़ रुपए रेवेन्यू से कमाए थे। इसमें विज्ञापन बिक्री और प्रायोजकों से हुई आय शामिल थी। प्रसारण अधिकार वाली कंपनी सोनी पिक्चर्स को विज्ञापन बिक्री से करीब 1,100 करोड़ रुपये की आमदनी हुई थी। लेकिन इस बार इसकी उम्मीद नहीं है।

एक विज्ञापन एजेंसी के चेयरमैन आशीष भसीन ने कहा है, 'इस समय बीसीसीआइ खुद परेशानी में है और इससे आइपीएल की मार्केटिंग पर असर पड़ा है। इसके साथ ही नोटबंदी के कारण कंपनियां भी खर्च को लेकर अधिक सतर्क हो गई हैं।'

मैडिसन वर्ल्ड के चेयरमैन सैम बलसारा का कहना है कि 'लोगों का मूड फीका दिख रहा है। अब भी नोटबंदी का असर है और लोग बड़े वादे करने से बच रहे हैं। बीसीसीआइ मामले का भी असर पड़ा है।'

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बीसीसीआइ ने 2018 के बाद टीवी और इंटरनेट अधिकार के लिए टेंडर दिया है और इससे उसे 18,000-30,000 करोड़ रुपए का रेवेन्यू मिलने का अनुमान है। लोढ़ा समिति ने बीसीसीआइ के कई अधिकारियों को टेंडर की प्रक्रिया आगे बढ़ाने के लिए अयोग्य करार दिया है। इस वजह से भी इस प्रक्रिया में देर हो रही है।

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