टीम की जानकारी लीक करता था मयप्पन, स्पॉट फिक्सिंग रिपोर्ट पेश
स्पॉट फिक्सिंग मामले में सोमवार को मुदगुल कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्ट पेश की। रिपोर्ट के अनुसार गुरूनाथ मयप्पन को चेन्नई सुपरकिंग टीम का अधिकारी बताया गया है। सट्टेबाजी का आरोप लगाते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि मयप्पन टीम की जानकारी लीक करता था। मयप्पन बीसीसीआई अध्यक्ष श्रीनिवासन के दामाद हैं। कोर्ट ने आइपीएल की नीलामी पर रोक से भी इंकार कर दिया है।
नई दिल्ली। इंडियन प्रीमियर लीग (आइपीएल)-6 में सट्टेबाजी और स्पॉट फिक्सिंग की जांच कर रही मुकुल मुदगल समिति की रिपोर्ट से बीसीसीआइ अध्यक्ष तथा चेन्नई सुपरकिंग्स (सीएसके) के मालिक एन श्रीनिवासन और उनके दामाद गुरुनाथ मयप्पन पर शिकंजा कस गया है। समिति ने माना है कि सीएसके के अधिकारी मयप्पन आइपीएल मैचों के दौरान संट्टेबाजी में लिप्त थे।
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश मुकुल मुद्गल की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय समिति ने सोमवार को अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी। इसमें कहा गया है, सीएसके में टीम के अधिकारी के रूप में मयप्पन की भूमिका और सट्टेंबाजी तथा सूचना लीक करने के आरोप साबित हुए हैं। जांच समिति ने कहा कि फिक्सिंग के आरोपों की आगे जांच की आवश्यकता है। समिति के अन्य सदस्यों में अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल एन नागेश्वर राव और असम क्रिकेट संघ के सदस्य नीलय दत्ता शामिल हैं।
मयप्पन के सिर्फ क्रिकेट प्रेमी होने के श्रीनिवासन का दावा ठुकराते हुए समिति ने रिपोर्ट में कहा है कि समिति की राय है कि रिकॉर्ड में उपलब्ध सामग्री से स्पष्ट संकेत मिलता है कि मयप्पन ही सीएसके का चेहरा और इस टीम के अधिकारी थे। समिति ने माना है कि बीसीसीआइ प्रमुख के पद पर श्रीनिवासन के रहने और आइपीएल फ्रेंचाइजी के मालिकाना हक पर हितों का टकराव एक गंभीर मामला है, अदालत द्वारा इस पर विचार किए जाने की जरूरत है।
न्यायमूर्ति एके पटनायक और न्यायमूर्ति जेएस खेहड़ की खंडपीठ ने मयप्पन और राजस्थान रॉयल्स के मालिकों के खिलाफ सट्टेबाजी और स्पॉट फिक्सिंग के आरोपों की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित की थी। शीर्ष अदालत ने समिति से कहा था कि इन आरोपों की जांच कर वह अपनी रिपोर्ट पेश करे। समिति की रिपोर्ट ने राजस्थान रॉयल्स के राज कुंद्रा के खिलाफ संट्टेबाजी और स्पॉट फिक्सिंग के आरोपों पर आगे जांच करने की सिफारिश की है।
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रिपोर्ट की कुछ प्रमुख बिंदू :
1- सीएसके अधिकारी गुरुनाथ मयप्पन अभिनेता विंदू दारा सिंह के मार्फत संट्टेबाजी में लिप्त था, जो विक्रम अग्रवाल जैसे सट्टेबाज और पंटर के सीधे संपर्क में था।
2- मयप्पन द्वारा सीएसके के पक्ष में ही नहीं बल्कि उसके खिलाफ भी बोली लगाई जाती थी। मयप्पन ने सीएसके के अलावा भी दूसरी टीमों के मैचों पर सटं्टा लगाया था।
3- निष्कर्ष पूरी तरह जांच के दौरान एकत्र किए गए तथ्यों और आरोप पत्र तथा जांच एजेंसी द्वारा पेश दूसरे दस्तावेजों पर आधारित है।
4- मयप्पन और विंदू दारा सिंह की भूमिका पर निष्कर्ष पुलिस की गवाही और आरोप पत्र पर आधारित है और यह किसी भी तरह इस मसले पर कोई निर्णय नहीं देता है कि क्या मयप्पन और विंदू इन आरोपों के दोषी है जो कि पूरी तरह से आपराधिक अदालत के दायरे में आता है।
सीएसके के अस्तित्व पर सवाल : समिति की रिपोर्ट आइपीएल के अगले सत्र के लिए बेंगलूर में होने वाली नीलामी के दो दिन पहले आई है। क्योंकि संट्टेबाजी में लिप्त मयप्पन को चेन्नई सुपर किंग्स का टीम प्रिंसिपल माना गया है, ऐसे में अब फ्रेंचाइजी के अस्तित्व को लेकर ही सवाल उठने लगे हैं। फ्रेंचाइजी एग्रीमेंट में उस टीम की मान्यता रद करने का प्रावधान है, जिसके किसी मालिक की हरकत की वजह से लीग, बीसीसीआइ/आइपीएल, बीसीसीआइ और क्रिकेट के खेल की गरिमा को नुकसान पहुंचाता है। हालांकि यह बीसीसीआइ को तय करना है कि वह जो अनुशासनात्मक कार्रवाई के तहत कदम उठाएगा उसमें वह कुछ समय के लिए टीम को अयोग्य घोषित करता है या कुछ नियत समय के लिए उसे प्रतिबंधित करता है।
समिति का सुझाव : समिति ने क्रिकेट में कदाचार की रोकथाम के लिए सुझाव देते हुए कहा कि सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़, सौरव गांगुली, वीवीएस लक्ष्मण, वेंकटेश प्रसाद और अनिल कुंबले जैसे सम्मानित खिलाड़ियों को विभिन्न टीमों और युवा खिलाड़ियों को इन कदाचारों के बारे में आगाह करने का जिम्मा सौंपा जाना चाहिए। इसके अलावा समिति ने क्रिकेट को साफ-सुथरा बनाने के लिए दस अन्य सुझाव भी दिए हैं।
'यह देखकर खुशी हुई कि मुद्गल समिति ने उस चीज की पुष्टि की है जो मैं कहता आया हूं। इससे जुड़े सभी लोगों पर आजीवन प्रतिबंध जरूरी है। मुझे लगता है कि क्रिकेट के भविष्य के बादशाह के रूप में श्रीनिवासन की जीत काफी अल्प समय की रही। समय आ गया है कि क्रिकेट ढांचा जाग जाए और वैश्विक क्रिकेट को अपने कब्जे में लेने वाली पूरी इंडिया सीमेंट टीम को दफन कर दे।'
- ललित मोदी, आपीएल के पूर्व आयुक्त
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