क्रिकेट में क्या बचेगा अगर 1 जुलाई से ये खिलाड़ी भी हो गए बेरोजगार?
क्या हैं क्रिकेट का ताजा विवाद और इसका क्या असर पड़ रहा है विश्व क्रिकेट पर, आइए जानते हैं।
नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। दुनिया भर में दशकों से क्रिकेट करोड़ों खेल प्रेमियों की धड़कन रहा है लेकिन अब लगता है धीरे-धीरे कहानी बिगड़ती जा रही है। क्रिकेट की गाड़ी इस समय उस मोड़ पर है जहां से कुछ गलत फैसले इस खेल की लोकप्रियता नष्ट कर सकते हैं। क्या हैं ताजा विवाद और हम ये दावा क्यों कर रहे हैं, आइए जानते हैं।
- 1 जुलाई पर सबकी नजर
पिछले कुछ समय से ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट में जो हलचल मची है, 1 जुलाई उसके क्लाइमैक्स का दिन होगा। दरअसल, ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर और ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट बोर्ड (क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया) के बीच वेतन को लेकर बवाल मचा हुआ है। ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी चाह रहे हैं कि उनका वेतन एक निर्धारित ढांचे के मुताबिक चले लेकिन क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया इसके पक्ष में नहीं है। इस महीने की 30 तारीख को सेंट्रल कॉन्ट्रेक्ट (केंद्रीय अनुबंध) में शामिल सभी खिलाड़ियों का बोर्ड के साथ करार खत्म हो रहा है। वॉर्नर व अन्य दिग्गज खिलाड़ियों ने बातों-बातों में साफ कर दिया है कि अगर क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया उनकी बात नहीं मानता है तो वे न तो बांग्लादेश दौरे पर जाएंगे और न ही इंग्लैंड के खिलाफ प्रतिष्ठित एशेज सीरीज खेलने मैदान पर उतरेंगे।
- इन देशों में भी मचा है बवाल
वैसे, सिर्फ ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट में ही नहीं, कई अन्य देशों में खिलाड़ियों और बोर्ड के बीच तनातनी जारी है। वेस्टइंडीज क्रिकेट बोर्ड और उनके खिलाड़ियों के बीच तो विवाद इस स्थिति तक पहुंच चुका है कि उनके ज्यादातर दिग्गज खिलाड़ी इस समय राष्ट्रीय टीम से बाहर हैं। क्रिस गेल, ड्वेन ब्रावो, सुनील नरेन जैसे तमाम खिलाड़ी लंबे समय से सिर्फ लीग क्रिकेट में ही नजर आ रहे हैं। जिस वेस्टइंडीज क्रिकेट टीम से एक समय सब घबराया करते थे, आज आलम ये है कि वो टीम न तो चैंपियंस ट्रॉफी के लिए क्वालीफाइ कर सकी थी और ऊपर से अफगानिस्तान जैसी टीम भी उनके घर में आकर वनडे मैच में मात देने में सफल रही। इसके अलावा श्रीलंकाई टीम और उनके बोर्ड के बीच भी रिश्ते पिछले कुछ सालों में खराब रहे हैं जबकि चैंपियंस ट्रॉफी का खिताब जीतने वाली पाकिस्तानी क्रिकेट से उनके बोर्ड (पीसीबी) के खराब रिश्ते सालों से सुर्खियों में रहे हैं, जिस बीच कई खिलाड़ियों को आनन-फानन में अपना करियर तक खत्म करना पड़ा।
- सबके बीच खड़ा भारत
इन सभी देशों के बीच एकमात्र भारत ही ऐसा देश है जहां पैसों की इतनी किचकिच नहीं है। भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआइ) दुनिया का सबसे पैसों वाला बोर्ड है और आइपीएल की मौजूदगी के बाद खिलाड़ियों और बोर्ड के बीच वेतन को लेकर बवाल कम ही देखने को मिला। हाल ही में कुछ खबरें ऐसी जरूर आई थीं जिसमें सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट की राशि को लेकर भारतीय कप्तान ने प्रशासकों की समिति (सीओए) के प्रमुख विनोद राय से चर्चा की थी लेकिन उससे ज्यादा बात आगे नहीं बढ़ी।
- गिनती के देश, क्या कुछ सालों में बिखर जाएगी लोकप्रियता?
दुनिया में गिनती के देश क्रिकेट खेलते हैं। जिसमें से जिंबाब्वे, आयरलैंड, स्कॉटलैंड, अफगानिस्तान जैसे कुछ देश हैं जिनको न के बराबर माना जाता रहा है। इस समय अच्छा प्रदर्शन करने वालों में 8-9 देश ही हैं जिनकी मौजूदगी बड़े टूर्नामेंट में मायने रखती है। ऐसे में अगर वेस्टइंडीज, ऑस्ट्रेलिया और श्रीलंका जैसी क्रिकेट टीमें ही हाशिए पर आ जाएंगी तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि आने वाले समय में प्रतिद्वंद्विता का स्तर क्या होगा और लोकप्रियता का आलम क्या रहेगा। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आइसीसी) के लिए जरूरी हो गया है कि वो तमाम क्रिकेट बोर्ड से बातचीत करे ताकि उनके आंतरिक मामलों को सुलझाया जा सके और इसका असर विश्व क्रिकेट पर न पड़े।