जब 'क्रिकेट के भगवान' ने स्वतंत्रता दिवस से ठीक पहले खेली थी अपनी पहली खास पारी
वो पारी कभी नहीं भुलाई जा सकती। सचिन ने उस दिन ऐसा कमाल किया था जिसने उन्हें सुर्खियों में ला दिया था।
शिवम् अवस्थी, नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। क्रिकेट के भगवान के नाम से मशहूर महान पूर्व क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर ने अपने 24 सालों के करियर में कई रिकॉर्ड बनाए। उन्होंने कई ऐसे मुकाम हासिल किए जिन तक किसी और क्रिकेटर का पहुंचना आज बेहद मुश्किल नजर आता है। सचिन ने 27 साल पहले भारत के स्वतंत्रता दिवस सेे ठीक पहले एक ऐसी पारी खेली थी जो आज भी उनकी सबसे यादगार पारियों में शुमार की जाती है। वो बस एक शुरुआत थी.....
- खत्म हुआ था इंतजार
सचिन तेंदुलकर ने 27 साल पहले (14 अगस्त 1990) भारतीय फैंस को एक खास तोहफा दिया था। वो था सचिन तेंदुलकर के अंतरराष्ट्रीय करियर का पहला शतक। सचिन ने अपने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट करियर में 100 शतक जड़े लेकिन उनका पहला शतक वो यादगार कामयाबी है जिसे वो खुद भी कभी नहीं भूल सके। ये कामयाबी बड़ी इसलिए भी थी क्योंकि उन्होंने स्वतंत्रता दिवस से ठीक एक दिन पहले उस देश के खिलाफ उन्हीं के घर में शतक जड़ा था जिनके कब्जे से दशकों पहले भारत आजाद हुआ था। एक ऐसे देश के खिलाफ जो क्रिकेट का जनक भी है। वो एक ऐसी पारी थी जिसने विरोधी खिलाड़ियों को भी तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया था। आइए जानते हैं क्या हुआ था उस खास मैच में।
- वो एतिहासिक मैच
मुकाबला ओल्ड ट्रैफर्ड (मैनचेस्टर, इंग्लैंड) में खेला जा रहा था। आमने-सामने थीं भारत और इंग्लैंड की टेस्ट टीमें। इंग्लैंड ने मैच की पहली पारी में 519 रनों का विशाल स्कोर खड़ा किया था जबकि जवाब में भारत अपनी पहली पारी में 432 रन पर सिमट गई थी। इंग्लैंड ने दूसरी पारी में चार विकेट पर 320 रन बनाकर पारी घोषित कर दी थी और भारत के सामने 408 रनों का विशाल लक्ष्य रखा था। अभी डेढ़ दिन का समय बाकी था और भारत के सामने किसी तरह इस मैच को जीतने या बचाने की चुनौती थी। क्रिकेट एक्सपर्ट विभोर कुमार कहते हैं, 'इंग्लैंड में इंग्लिश गेंदबाजों पर लगाम लगाना आसान नहीं होता था। ऐसे समय पर जब आपके सामने चार सौ से ऊपर का बोझ डाल दिया जाए तो स्थिति कितनी कठिन होगी, अंदाजा लगाया जा सकता था।'
- .....और आ गया वो बड़ा मौका
भारत जब अपनी दूसरी पारी में लक्ष्य का पीछा करने उतरा तो उसकी शुरुआत अच्छी नहीं रही और चार रन पर ही ओपनर नवजोत सिंह सिद्धू पवेलियन लौट गए। देखते-देखते भारत ने 183 रन पर अपने छह विकेट गंवा दिए थे..लेकिन पिच पर एक युवा बल्लेबाज अलग ही रंग में नजर आ रहा था। वो और कोई नहीं बल्कि 17 साल के सचिन तेंदुलकर थे। सचिन ने नवंबर 1989 में टेस्ट क्रिकेट करियर का आगाज किया था लेकिन पिछले तकरीबन 10 महीनों में वो अपना पहला शतक नहीं जड़ पाए थे।
इस बार उनके पास खुद को साबित करने का एक बड़ा मौका था। सचिन ने इसे कर दिखाया। इस शानदार बल्लेबाज ने संयमित अंदाज में बल्लेबाजी करते हुए 189 गेंदों पर 119 रनों की पारी खेली जिसमें 17 चौके शामिल थे। ये सचिन के अंतरराष्ट्रीय करियर का पहला शतक था। सातवें विकेट की साझेदारी में मनोज प्रभाकर (नाबाद 67) ने दूसरे छोर पर सचिन का बखूबी साथ दिया और सबको चौंकाते हुए भारत ने ये मैच ड्रॉ करा दिया। सचिन मैच के अंतिम समय तक पिच पर टिके रहे और जब वो पवेलियन लौटे तो इंग्लैंड के सभी खिलाड़ियों व दर्शकों ने तालियां बजाकर उनको पवेलियन जाने तक सम्मान दिया। क्रिकेट एक्सपर्ट विभोर कुमार के मुताबिक, 'सचिन ने अपने करियर में कई यादगार पारियां खेलीं लेकिन उनका पहला शतक सिर्फ पहले शतक के रूप में खास नहीं था बल्कि उन्होंने भारत के लिए मैच भी बचाया था। वो एक ऐसी पारी थी जिसने एक युवा खिलाड़ी को विश्व क्रिकेट में अलग पहचान दिला दी थी।'
उसके बाद जो हुआ वो दुनिया ने देखा.. सचिन तेंदुलकर ने अपने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट करियर में 100 शतक जड़े जिसमें टेस्ट क्रिकेट के 51 और वनडे क्रिकेट के 49 शतक शामिल रहे। वो टेस्ट और वनडे क्रिकेट में सर्वाधिक रन बनाने वाले खिलाड़ी भी बने और आज भी वो क्रिकेट इतिहास के सबसे सफल बल्लेबाज माने जाते हैं। सचिन ने नवंबर 2013 में 200वां टेस्ट खेलने के बाद अपने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट करियर को अलविदा कह दिया था।