फिर वही हुआ, आखिर भारतीय क्रिकेट में कब खत्म होगा ये पर्दे के पीछे का खेल?
ये पहला मौका नहीं है जब भारतीय टीम का कप्तान ही शहंशाह साबित हुआ है। 1999 में जब कपिल देव भारतीय क्रिकेट टीम के कोच थे तब भी ऐसा ही विवाद उठा था।
नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। भारतीय क्रिकेट और विवादों का नाता कभी नहीं छूटा है, इन्हीं में से एक मामला है राष्ट्रीय टीम के कोच से जुड़ा। कल शाम मुख्य कोच अनिल कुंबले ने अचानक अपना इस्तीफा दे दिया और अब वेस्टइंडीज दौरे पर टीम इंडिया बिना कोच के ही रहने वाली है। पिछले साल 24 जून को ही उनको ये पद सौंपा गया था और एक साल का करार पूरा होते-होते वो चलते बने। भारतीय क्रिकेट में कोच और कप्तान के बीच मनमुटाव को लेकर एक बार फिर सवाल खड़े हो गए हैं। वैसे ये पहला मौका नहीं है जब ये नजर आया कि भारत में 'कैप्टन' ही असली 'किंग' है।
- कुंबले और कोहली के बीच तनातनी
धुआं दिखा है तो जाहिर है कि आग कहीं न कहीं लगी ही होगी। काफी हद तक ये साफ हो गया कि कप्तान कोहली और कोच कुंबले के बीच तनातनी ही कुंबले द्वारा इस्तीफा देने की वजह रही है। टीम में खिलाड़ियों के चयन को लेकर दोनों के बीच मनमुटाव की शुरुआत हुई थी, बाद में कोहली ने इन खबरों को गलत करार दिया था लेकिन अब तस्वीर साफ हो चुकी है। खबरों के मुताबिक कोहली ने भी बोर्ड को साफ कर दिया था कि वो अब कुंबले के साथ अपनी पारी जारी नहीं रख सकते। फिर क्या था, नए कोच के लिए आवेदन शुरू हो गए, भारत चैंपियंस ट्रॉफी फाइनल हारी और कुंबले करार खत्म होने से पहले ही चलते बने। भारतीय क्रिकेट में कप्तान की एक बार फिर जीत हुई है। इस तरह की जीत क्रिकेट के लिए कितनी ठीक है ये तो आगे देखने को मिलेगा लेकिन ये पहला मौका नहीं है जब भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान के आगे कोच की एक न चली।
- सचिन-कपिल विवाद
जी हां, ये पहला मौका नहीं है जब भारतीय टीम का कप्तान ही शहंशाह साबित हुआ है। 1999 में जब कपिल देव भारतीय क्रिकेट टीम के कोच थे तब भी ऐसा ही विवाद उठा था। उस दौरान नवंबर 1999 से जनवरी 2000 के बीच भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया दौरे पर थी। सचिन तेंदुलकर को दूसरी बार टीम की कमान सौंपी गई थी लेकिन उस ऑस्ट्रेलिया दौरे के बाद चीजें इतनी तेजी से बदलीं कि कपिल को इस्तीफा देना पड़ा। उस दौरान इसकी वजह फिक्सिंग कांड में मनोज प्रभाकर का खुलासा और सट्टेबाजी को बताया गया लेकिन जब सचिन ने हाल में अपनी किताब में उन दिनों का जिक्र किया तो उसमें उन्होंने साफ लिखा कि वो कपिल से खुश नहीं थे। कपिल गए और एक भारतीय कप्तान फिर जीता।
- गांगुली-चैपल मामला
सौरव गांगुली आज बीसीसीआइ की उस सलाहकार समिति में मौजूद हैं जिसके ऊपर कोच चुनने की जिम्मेदारी है लेकिन एक समय ऐसा भी था जब गांगुली भी टीम के मुख्य कोच के कारण चर्चा में रहे थे। बेशक ग्रैग चैपल ने भारतीय क्रिकेट टीम को तोड़ने का काम किया था, बेशक चैपल के आने के बाद ही गांगुली की छुट्टी हुई थी लेकिन वो गांगुली ही थे जिनके कहने पर चैपल को कोच का पद दिया गया था। आज गांगुली कहते हैं कि सारा काम कप्तान का ही होता है और कोच बस उसका साथ देने के लिए होता है, अगर ऐसा है तो उन्होंने उस समय विराट की बात क्यों नहीं सुनी थी जब विराट रवि शास्त्री को बरकरार रखने के पक्ष में थे? टीम इंडिया में कप्तान को हमेशा से राजा जैसा रुतबा मिला है और ये राजा सिर्फ अपने खिलाड़ियों का नहीं बल्कि पूरे टीम मैनेजमेंट व सपोर्ट स्टाफ का होता है। इस राजा के अधिकार और रुतबा आज इतने बढ़ चुके हैं कि उनकी एक नाराजगी किसी पर भी भारी पड़ सकती है।
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