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IPL मीडिया राइट्स की नीलामी को लेकर BCCI और बिडर्स एकमत नहीं

नीलामी के तरीके पर एकराय नहीं बन पा रही है।

By Bharat SinghEdited By: Published: Mon, 07 Aug 2017 11:32 AM (IST)Updated: Mon, 07 Aug 2017 03:32 PM (IST)
IPL मीडिया राइट्स की नीलामी को लेकर BCCI और बिडर्स एकमत नहीं
IPL मीडिया राइट्स की नीलामी को लेकर BCCI और बिडर्स एकमत नहीं

नई दिल्ली, पीटीआइ। आइपीएल के आगामी मीडिया अधिकारों (टीवी, मोबाइल और इंटरनेट) को लेकर संभावित बोली लगाने वाली कंपिनयां और बीसीसीआइ नीलामी के तरीके को लेकर एकमत नहीं हैं। बिडर्स यानी नीलामी लगाने वाली कंपनियां ई-नीलामी के पक्ष में हो सकती हैं तो बीसीसीआइ के शीर्ष अधिकारियों को लगता है कि इस व्यवस्था से राजस्व में कमी आ सकती है। 

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जानकारी के मुताबिक बीसीसीआइ इस प्रस्ताव को मानने से इनकार कर सकता है। बीसीसीआइ, वही पुराने तरीके यानी पारपंरिक मुहर बंद निविदा प्रक्रिया को ही बरकरार रखना चाहता है जिससे बोर्ड को फायदा होता रहा है। इस तरीके में किसी को भी पता नहीं होता कि दूसरा बिडर क्या बोली लगा रहा है। वहीं, ई-नीलामी में सबको पता रहेगा कि दूसरे पक्ष ने क्या बोली लगाई है। 

विभिन्न मीडिया अधिकारों के लिए ई-नीलामी की पुरजोर मांग की जा रही है। आइपीएल मीडिया अधिकार दस्तावेज को खरीदने की अंतिम तिथि 24 अगस्त है और अधिकार हासिल करने वाले की घोषणा 28 अगस्त को की जा सकती है।

बीसीसीआइ को डर है कि ई-नीलामी में मुंहरबंद प्रक्रिया से जुड़ी गोपनीयता समाप्त हो जाएगी। ई-नीलामी में बोली राशि का खुलासा होने से बोली लगाने वाला एक अनुमान लगा लेगा कि अधिकार हासिल करने के लिए कितनी राशि सही रहेगी। इससे मोटी बोली लगने की संभावना भी समाप्त हो जाएगी।

उच्चतम न्यायालय ने अपना पक्ष स्पष्ट करने के लिए बीसीसीआइ को पहले ही 2 सप्ताह का समय दिया है। बीसीसीआइ के एक अधिकारी ने इस पर अपनी आशंका व्यक्त करते हुए कहा, 'माना कि आइपीएल टीवी अधिकारों के लिये 10 संभावित बोलीकर्ता हैं। बीसीसीआइ को नीलामी के लिए आधार मूल्य तय करना होगा जैसा कि खिलाड़ियों की नीलामी के मामले में होता है।' 

उन्होंने कहा, 'सभी 10 संभावित बोलीकर्ताओं को 'लॉग इन' और 'पासवर्ड' उपलब्ध कराए जाएंगे। बोली के प्रत्येक दौर में एक विशेष समयकाल होगा जिसमें कंपनियां बोली लगाएंगी। प्रत्येक दौर के बाद बोली राशि का खुलासा करना होगा।' अधिकारी ने कहा, 'इसका मतलब है कि बोलीकर्ता को अन्य बोलियों के बारे में भी पता चल जाएगा जिससे संभावना है कि वह अपनी अधिकतम बोली लगाने से बचेंगे।'

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