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सम्मान से गोयल खुश तो शिवालकर पर असर नहीं

एक ने जहां देर से सम्मान मिलने के बावजूद खुशी जताई तो दूसरे पर इसका कोई खास असर नजर नहीं आया।

By ShivamEdited By: Published: Tue, 28 Feb 2017 10:35 PM (IST)Updated: Tue, 28 Feb 2017 10:40 PM (IST)
सम्मान से गोयल खुश तो शिवालकर पर असर नहीं

नई दिल्ली, प्रेट्र। इस साल के सीके नायडू लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार के विजेता राजिंदर गोयल और पदमाकर शिवालकर ने यह सम्मान मिलने पर एक-दूसरे से अलग विचार प्रकट किए। एक ने जहां देर से सम्मान मिलने के बावजूद खुशी जताई तो दूसरे पर इसका कोई खास असर नजर नहीं आया।

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ये दोनों ही बायें हाथ के स्पिनर थे, घरेलू क्रिकेट के दिग्गज खिलाड़ी थे और इस मामले में बेहद दुर्भाग्यशाली थे कि वे उस दौर में खेले जब दुनिया के सर्वश्रेष्ठ बायें हाथ के स्पिनर बिशन सिंह बेदी भारत के लिए खेलते थे। और हां, ये दोनों ही सिर्फ ऐसे दो गैर टेस्ट खिलाड़ी हैं जिन पर सुनील गावस्कर ने अपनी 1983 की प्रसिद्ध किताब 'आइडल्स' में लिखा है। लेकिन, इस पुरस्कार ने इनके बीच की समानता का अंत किया। इस सम्मान से नवाजे जाने से गोयल खुश नजर आए और उन्होंने माना कि भारतीय क्रिकेट में उनके योगदान को स्वीकार किया गया तो तो शिवालकर पर इसका कोई असर नहीं दिखा। उन्होंने कहा कि वह अब जिंदगी के उस दौर पर पहुंच चुके हैं जहां अब इस तरह की चीजों का उन पर कोई असर नहीं पड़ता है।

महिला क्रिकेट के लिए लंबी छलांग: शांता

नई दिल्ली, प्रेट्र। पूर्व भारतीय कप्तान शांता रंगास्वामी ने कहा कि उन्हें सीके नायडू लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार दिया जाना उनके लिए बहुत ज्यादा प्रासंगिक नहीं है, लेकिन उन्होंने माना कि यह सम्मान महिला क्रिकेट को आगे ले जाने में लंबी छलांग का काम करेगा।

63 वर्षीय रंगास्वामी ने नील आर्मस्ट्रांग के प्रसिद्ध कथन का सहारा लेते हुए कहा, 'मेरे जीवन के इस दौर में मेरे लिए यह पुरस्कार बहुत ज्यादा प्रासंगिक नहीं है। मैं कहना चाहूंगी कि यह मेरे लिए एक छोटा सा कदम है, लेकिन महिला क्रिकेट के लिए यह एक लंबी छलांग है।'

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रंगास्वामी सोमवार को आश्चर्यचकित हुई थीं जब यह घोषणा की गई कि वह आठ मार्च को बेंगलुरु में होने वाले बीसीसीआइ के वार्षिक पुरस्कार समारोह में लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से सम्मानित होने वाली पहली महिला होंगी। रंगास्वामी को लगता है कि 2006 में बीसीसीआइ से मान्यता मिलने के बाद महिला क्रिकेट की हालत सुधरी है, लेकिन अभी भी बहुत कुछ किए जाने की जरूरत है। जब वह खेला करती थीं तब से बहुत कुछ बदल चुका है। वह और डायना एडुलजी जैसी उनकी समकालीन खिलाड़ी को राष्ट्रीय टीम के लिए लगातार खेलने के मौके बड़ी मुश्किल से मिलते थे।

भारत की पहली महिला कप्तान रंगास्वामी ने कहा, 'हम कई दिनों तक ट्रेन में यात्रा करते थे और प्रशासकों की लगातार उदासीनता का सामना करते थे। निश्चित रूप से मुझे सबसे बड़ा अफसोस इस बात का है कि मैं अपने जीवन के सर्वश्रेष्ठ दौर में भारत के लिए खेली।' रंगास्वामी ने 12 टेस्ट और 19 वनडे मैचों में भारत का प्रतिनिधित्व किया। 

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