उठा बड़ा और गंभीर सवाल, क्या पुणे में पिच तैयार करते समय हुआ था ये विवाद?
च तैयार करने वाले क्यूरेटर चर्चा का विषय बन गए हैं।
नई दिल्ली, (प्रेट्र)। भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच पहले टेस्ट के दो दिन में ही 24 विकेट गिर गए। मेजबान टीम भारत की अपनी ही पिच उन पर भारी पड़ गई। महाराष्ट्र क्रिकेट एसोसिएशन स्टेडियम की इस पिच को लेकर अब नई-नई बातें, सवाल व विवाद सामने आने लगे हैं। अब इसको लेकर पिच तैयार करने वाले क्यूरेटर भी चर्चा का विषय बन गए हैं।
क्या क्यूरेटरों के बीच नहीं थी एक राय?
मैच से पहले इस पिच को तीन क्यूरेटर तैयार कर रहे थे। बीसीसीआइ के मुख्य क्यूरेटर दलजीत सिंह, स्थानीय क्यूरेटर व महाराष्ट्र के पूर्व गेंदबाज पांडुरंग सल्गांवकर और वेस्ट जोन के क्यूरेटर धीरज परसाना। ताजा खबरों की मानें तो इस पिच को लेकर स्थानीय क्यूरेटर सल्गांवकर और सीनियर क्यूरेटर दलजीत सिंह के बीच में एक राय नहीं थी और इसको लेकर मतभेद भी थे।
सल्गांवकर ने कुछ कहा, पिच निकली कुछ और.....
टेस्ट शुरू होने से दो दिन पहले सल्गांवकर ने घोषणा कर दी थी कि 'गेंद हवा से बातें करेगी' लेकिन रफ्तार से जुड़े इस बयान को ऑस्ट्रेलियाई कप्तान स्टीव स्मिथ ने पूरी तरह से गलत साबित करते हुए कह डाला कि 'यहां पहले दिन से ही गेंद घूमने लगेगी'। पहले दो दिन का खेल देखने के बाद ये स्पष्ट भी होता नजर आया। इसके बाद सवाल उठने लगे कि क्या स्थानीय क्यूरेटर को पिच तैयार करने की पूरी आजादी मिली थी या भारतीय टीम के कहने पर सीनियर क्यूरेटर दलजीत ने हस्तक्षेप किया था?
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कुछ दिन पहले तो ऐसा नहीं था नजारा
पुणे में काफी क्रिकेट खेल चुके एक पूर्व क्रिकेटर ने बताया कि पांडुरंग सल्गांवकर पुणे में सपाट पिच तैयार करने के लिए जाने जाते हैं। रणजी ट्रॉफी में यहां केदार जाधव की बड़ी पारियां हों या भारत-इंग्लैंड वनडे के दौरान 350 से ऊपर का स्कोर बनना, ये उसी तरह की पिचों का नमूना था। इस क्रिकेटर ने सवाल उठाया कि आखिर अचानक ये पिच पूरी तरह से कैसे बदल गई?
पिच पर पिछले कुछ दिनों से पानी नहीं डाला गया और तेज धूप ने दरारों को खोलने का काम कर दिया। बीसीसीआइ के एक सीनियर अधिकारी के मुताबिक, 'क्या दलजीत को भारतीय टीम मैनेजमेंट ने उनकी पसंद की पिच तैयार करने के लिए कहा था या फिर उन्होंने ही सल्गांवकर को आदेश दिया था कि पिच को सूखने के लिए छोड़ दिया जाए? मुझे नहीं लगता कि भारतीय टीम ऐसी पिच चाह रही होगी जो इस अंदाज में उल्टा उन पर ही भारी पड़ जाएगी, लेकिन दलजीत तो हमेशा से ही पिच पर थोड़ी घास छोड़ने में विश्वास रखते हैं।'
आखिर 79 वर्षीय दलजीत अब भी कैसे पद पर कायम?
एक सवाल ये भी उठने लगा है कि आखिर 79 वर्ष के दलजीत सिंह अब भी कैसे अपने पद पर बने हुए हैं जबकि प्रशासकों, चयनकर्ताओं और कर्मचारियों के लिए इससे जुड़े सख्त आदेश जारी किए जा चुके हैं। अगर राष्ट्रीय चयनकर्ता 60 वर्ष से ऊपर उम्र के नहीं हो सकते, अगर प्रशासकों को 70 की उम्र से पहले पद छोड़ने का आदेश है और जब कर्मचारियों को 60 की उम्र में रिटायर हो जाना होगा तो ऐसे आदेशों के बीच आखिर दलजीत अपने पद पर अब तक कैसे कायम हैं। वो भी तब जब कई युवा क्यूरेटर अब भी कतार में हैं।