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आइसीसी का गुलाम नहीं बनेगा बीसीसीआइ

आइसीसी को सबक सिखाने के लिए एक जून से इंग्लैंड में होने वाली आइसीसी चैंपियंस ट्रॉफी से हटने का भी फैसला लिया जा सकता है।

By Pradeep SehgalEdited By: Published: Sun, 30 Apr 2017 01:11 PM (IST)Updated: Sun, 30 Apr 2017 01:11 PM (IST)
आइसीसी का गुलाम नहीं बनेगा बीसीसीआइ

नई दिल्ली, अभिषेक त्रिपाठी। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआइ) और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आइसीसी) के बीच चल रही रार अभी थमने वाली नहीं है और आ रहे संकेतों से साफ दिखाई दे रहा है कि इसके परिणाम पूरे विश्व क्रिकेट को प्रभावित करेंगे।

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दुबई में हुई आइसीसी बोर्ड बैठक में अलग-थलग पड़ा दुनिया का सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड सात मई को विशेष आम सभा (एसजीएम) करने जा रहा है और आइसीसी को सबक सिखाने के लिए एक जून से इंग्लैंड में होने वाली आइसीसी चैंपियंस ट्रॉफी से हटने का भी फैसला लिया जा सकता है।

आइसीसी बैठक से भाग लेकर आए बीसीसीआइ के एक पदाधिकारी ने कहा कि यह मामला सिर्फ राजस्व का नहीं, बल्कि बीसीसीआइ के वजूद का है। हम दुनिया में क्रिकेट को सबसे ज्यादा धन देते हैं और हमें ही हमारा हक नहीं मिल रहा है। अगर इस बार आइसीसी के सामने झुक गए तो जीवन भर हमें गुलाम रहना होगा। निसंदेह हमारा मानना है कि बीसीसीआइ को आइसीसी का गुलाम नहीं बनना चाहिए। इसके लिए सख्त से सख्त कदम उठाने से भी नहीं चूकना चाहिए।

उन्होंने कहा कि राजस्व के मामले में भी चेयरमैन शशांक मनोहर वाली आइसीसी सबकी आंखों में धूल झोंक रही है। 2014 के बिग थ्री मॉडल के हिसाब से आठ साल में आइसीसी का राजस्व 2.5 बिलियन डॉलर (लगभग 160 अरब रुपये) होने पर भारत को 569 मिलियन डॉलर (लगभग 36 अरब रुपये) मिलने थे। अगर यह 2.7 बिलियन (लगभग 172 अरब रुपये) होते तो भारत को 610 मिलियन डॉलर (लगभग 39 अरब रुपये) मिलते।

शशांक कह रहे हैं कि हम आइसीसी को 569 की जगह 290 मिलियन (लगभग 18.5 अरब रुपये) दे रहे हैं, लेकिन असलियत यह है कि वह आइसीसी का राजस्व 2.7 बिलियन डॉलर (लगभग 172 अरब रुपये) होने पर इतना धन देंगे। अगर उसका राजस्व 2.5 बिलियन डॉलर (लगभग 160 अरब रुपये) रहता है तो भारत को सिर्फ 255 मिलियन डॉलर (लगभग 16 अरब रुपये) ही मिलेंगे।

हमने बोर्ड बैठक में उनसे कहा था कि 2014 के बिग थ्री मॉडल के आधार पर हम दो साल तक उसकी अन्य शर्ते निभा चुके हैं। हमने इसके लिए विदेश में कई टूर्नामेंट खेले जिससे उन देशों को आय हुई। आइसीसी को आय हुई। अब उनके वादा निभाने का समय था। हमने बाकी देशों से यह भी कहा कि आइसीसी आपको जो बढ़ा हुआ धन दे रहा है हम ऐसी व्यवस्था करेंगे आपको उतना ही धन मिलेगा, लेकिन बीसीसीआइ का हिस्सा कम नहीं होगा।

शशांक की तरफ से बीसीसीआइ को 100 मिलियन डॉलर (लगभग 6.5 अरब रुपये) अतिरिक्त (कुल 390 मिलियन डॉलर, यानी लगभग 25 अरब रुपये) देने का प्रस्ताव भी आया तो हमने उनसे 450 मिलियन डॉलर (लगभग 29 अरब रुपये) देने को कहा लेकिन वह उसमें भी नहीं माने।

यह सिर्फ राजस्व का मामला नहीं: ऐसा शोर मचा हुआ है कि बीसीसीआइ राजस्व कम होने के कारण चैंपियंस ट्रॉफी से हट सकता है, लेकिन यह सिर्फ राजस्व का मामला नहीं है। बीसीसीआइ के पदाधिकारी ने कहा कि आइसीसी में भारत के पर कतरे जा रहे हैं। भारत का एक अलग कद है, लेकिन अब आइसीसी में छह ऐसे लोग हो जाएंगे जिनका कद भारत के बराबर हो जाएगा। आज वहां हमारी बात नहीं सुनी जा रही, आगे क्या होगा समझा जा सकता है। अगर अदालत गया मामला तो भारत के चैंपियंस ट्रॉफी से हटने पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त प्रशासकों की समिति (सीओए) के अलग रुख अपनाने पर पदाधिकारी ने कहा कि इन मामलों पर फैसला लेने का अधिकारी बीसीसीआइ को है। अगर सीओए इस पर कुछ कहता है या अदालत का रुख करता है तो यह आगे की बात है।

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