लोढ़ा समिति की अधिकतर सिफारिशों को मानेगी बीसीसीआइ
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड की विशेष आम सभा वाकई में विशेष होने वाली है।
अभिषेक त्रिपाठी, नई दिल्ली। सोमवार (26 जून) को मुंबई में होने वाली भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआइ) की विशेष आम सभा (एसजीएम) वाकई में विशेष होने वाली है। बोर्ड पहली बार लोढ़ा समिति की सिफारिशों को लागू करने की दिशा में बड़ी पहल करने जा रहा है। एक साल तक लोढ़ा समिति की सिफारिशों के खिलाफ अडिय़ल रुख दिखाने वाले बोर्ड के खिलाफ आदेश देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने विनोद राय के नेतृत्व वाली प्रशासकों की समिति (सीओए) को इन्हें लागू करने का जिम्मा दिया था। अब बोर्ड के पदाधिकारी तीन को छोड़कर बाकी सभी सिफारिशों को लागू करने को तैयार हो गए हैं। एसजीएम में इसी पर चर्चा होगी और सभी राज्य संघों को इसके बारे में सूचित कर दिया जाएगा।
यही नहीं इससे एक दिन पहले सीओए खुद अलग-अलग जोन के राज्य संघों के पदाधिकारियों से मिलकर उन्हें सिफारिशें लागू करने और नहीं करने के अंजाम से अवगत कराएगा। बोर्ड में दखल रखने वाले एक अधिकारी ने कहा कि बीसीसीआइ में अकाउंट का कैग से ऑडिट, तीन राष्ट्रीय चयनकर्ता और एक राज्य, एक वोट के अलावा बाकी सिफारिशों को लागू करने को लेकर आम सहमति बनती नजर आ रही है। हमने सीओए से कहा है कि कैग से ऑडिट कराने की जगह बीसीसीआइ किसी रिटायर्ड अधिकारी से ऑडिट करवाने को तैयार है। इसके अलावा तीन चयनकर्ताओं की जगह पांच चयनकर्ता वाला नियम ही लागू होना चाहिए, क्योंकि भारत जैसे बड़े देश के लिए कम से कम हर जोन से एक चयनकर्ता तो होना ही चाहिए। यही नहीं एक राज्य, एक वोट भी बीसीसीआइ पर लागू करना ठीक नहीं है। इस पर भी पुनर्विचार करना चाहिए। हमें लगता है कि अगर हम बाकी सिफारिशों को मानने के बाद सीओए से ऐसा कहेंगे तो सीओए भी सुप्रीम कोर्ट भी हमें इन बातों पर ढिलाई देने के लिए कह सकता है।
जब अधिकारी से पूछा गया कि क्या तीन साल के कार्यकाल और हर कार्यकाल के बीच में कूलिंग पीरियड के साथ अन्य सिफारिशों को मानने को सभी राज्य संघ तैयार हो गए हैं। उन्होंने कहा कि इन सिफारिशों को तो हमने लागू ही कर दिया है और इसे मानने के अलावा कोई चारा नहीं है। सुप्रीम कोर्ट आदेश दे चुका है, अब हम उसे लागू करने की दिशा में बढ़ रहे हैं। ये जो तीन मुद्दे हैं ये बोर्ड की कार्यप्रणाली को ज्यादा प्रभावित करेंगे। चयन का मुद्दा बोर्ड अधिकारियों का मुद्दा नहीं, बल्कि क्रिकेट की बेहतरी का मुद्दा है। पांच चयनकर्ता होने से ज्यादा क्रिकेटरों तक बीसीसीआइ की पहुंच होगी। तीन चयनकर्ताओं से यह काम आसानी से नहीं हो पाता। कैग ऑडिट की बात है तो हम रिटायर्ड अधिकारी से ऑडिट करवाने को तैयार हैं। वहीं, जब कई राज्यों में क्रिकेट होता ही नहीं है तो उसे वोट का अधिकार देने का क्या फायदा। जो एसोसिएशन पहले से जुड़ी हैं उन्हें वोट का अधिकार लेना भी उपयुक्त नहीं। ऐसे में हम बाकी सिफारिशों को लागू करके सीओए से कहेंगे कि इन तीन मुद्दों पर सुप्रीम कोर्ट से नरमी बरतने को कहा जाए। हमें उम्मीद है कि हमारी बात को सुना जाएगा।