बीसीसीआइ के राज्य संघों को भी नहीं पता आखिर ये प्लान-बी है क्या?
सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर राज्य संघों से प्लान-बी तैयार रखने को कहा है, लेकिन किसी राज्य संघ को पता ही नहीं है कि प्लान-बी है क्या?
नई दिल्ली, अभिषेक त्रिपाठी। बीसीसीआइ ने लोढ़ा समिति की सुधार संबंधी कुछ सिफारिशों पर अपना विरोध जारी रखते हुए इस मसले पर पांच दिसंबर को आने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर राज्य संघों से प्लान-बी तैयार रखने को कहा है, लेकिन किसी राज्य संघ को पता ही नहीं है कि प्लान-बी है क्या?
बीसीसीआइ ने शुक्रवार को राजधानी में अपनी विशेष आम बैठक (एसजीएम) में सिफारिशों पर कोई फैसला नहीं लिया, लेकिन राज्य संघों से शीर्ष अदालत से अनुकूल फैसला नहीं आने की स्थिति में ‘प्लान-बी’ तैयार रखने के लिए कहा गया है। लोढ़ा समिति ने पूर्व गृह सचिव जीके पिल्लई को पर्यवेक्षक नियुक्त करने और बीसीसीआइ पदाधिकारियों को बर्खास्त करने का आग्रह किया है।
बोर्ड और उसके एक महत्वपूर्ण राज्य संघ के अधिकारी से जब शनिवार को दैनिक जागरण ने पूछा कि ये प्लान-बी है क्या तो उन्होंने कहा, ‘मुझे खुद नहीं पता कि ये क्या है? जब पता चलेगा तो बता दूंगा।’ उन्होंने कहा कि हम सिर्फ पांच को आने वाले फैसले का इंतजार कर रहे हैं। अगर कोई फैसला आता है तब ही आगे की रणनीति बनेगी। फिलहाल बीसीसीआइ से हमें कुछ नहीं कहा गया है। न ही हमारे दिमाग में अभी तक कोई योजना है।
वहीं बीसीसीआइ के दूसरे वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कोई प्लान-बी है ही नहीं। हमें सिर्फ इतना पता है कि अगर कोई फैसला आता है तो उसके बाद फिर से बोर्ड की बैठक बुलाई जाएगी और उस पर चर्चा करके आगे की योजना बनेगी। इस बीच दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) सहित कई राज्य क्रिकेट संघों के विरोधी धड़ों ने अपनी-अपनी बैठकें करना शुरू कर दिया है।
सूत्रों के मुताबिक शुक्रवार को बैठक में बीसीसीआइ के अधिकारियों ने कहा था कि हमें अपने खिलाफ फैसला आने पर प्लान-बी तैयार रखना चाहिए, लेकिन बैठक के 24 घंटे से ज्यादा बीतने के बाद भी राज्य संघ और बीसीसीआइ किसी प्लान-बी की खोज नहीं कर सके हैं। एसजीएम में सदस्यों ने यथास्थिति बनाए रखी थी।
लोढ़ा समिति की सिफारिशों को अक्षरश: लागू करने का फैसला करने वाले दो राज्य संघ त्रिपुरा और विदर्भ बैठक में उपस्थित नहीं थे। इस बारे में जब बीसीसीआइ सचिव अजय शिर्के ने कहा था कि धुंध के कारण उड़ानों में देरी की वजह से ऐसा हुआ। हालांकि, सूत्रों कहा कहना है कि ये दोनों संघ भी ‘इंतजार करो और देखो’ की रणनीति अपना रहे हैं।
बोर्ड के एक अधिकारी ने कहा कि इन दोनों ने सिफारिशों को अक्षरश: लागू करने की बात कही हो, लेकिन बीसीसीआइ को अभी तक इस मामले में लिखित में कुछ नहीं भेजा है। जब तक वे ऐसा नहीं करते तब तक उनके बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता। लोढ़ा समिति को लेकर बीसीसीआइ की मुख्य आपत्ति पहले वाली ही हैं। बोर्ड 70 साल से अधिक उम्र के व्यक्ति का पदाधिकारी बनने के अयोग्य होना, दो कार्यकालों के बीच तीन साल तक कोई पद नहीं संभालना और एक राज्य एक मत की नीति का विरोध कर रहा है।