लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों पर बीसीसीआइ ने फिर अपनाया अड़ियल रवैया, ये हैं पांच दिक्कतें
सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई में कहा था कि वह 18 अगस्त को लोढ़ा समिति की सिफारिशों को लागू करने में आ रही व्यवहारिक दिक्कतों को सुनने को तैयार हैं।
नई दिल्ली, जेएनएन : भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआइ) ने फिर से अड़ियल रवैया अपनाते हुए बुधवार को अपनी विशेष आम सभा (एसजीएम) में लोढ़ा समिति की सभी बड़ी सिफारिशों को मानने से इन्कार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई में कहा था कि वह 18 अगस्त को लोढ़ा समिति की सिफारिशों को लागू करने में आ रही व्यवहारिक दिक्कतों को सुनने को तैयार हैं। इसी को बीसीसीआइ पदाधिकारियों ने अपना हथियार बनाते हुए अधिकतर सिफारिशों को मानने से फिलहाल इन्कार कर दिया है।
इससे यह भी साबित हो गया है कि पूर्व बीसीसीआइ अध्यक्ष एन. श्रीनिवासन और पूर्व सचिव निरंजन शाह के नहीं होने के बावजूद भी इस बैठक में उनकी ही चली है। बीसीसीआइ के कार्यवाहक सचिव अमिताभ चौधरी ने के बाद कहा कि सभी सदस्यों ने एकमत से प्रस्ताव पारित किया कि बोर्ड सदस्यों को एक राज्य एक वोट, पदाधिकारियों की अधिकतम उम्र 70 वर्ष, नौ साल के कुल कार्यकाल और हर कार्यकाल के बाद तीन साल के कूलिंग ऑफ पीरियड स्वीकार नहीं है। हालत यह है कि राजीव शुक्ला की अध्यक्षता में बनी पिछली समिति ने 70 वर्ष और नौ साल के कुल कार्यकाल को मानने की सिफारिश की थी। इसके बावजूद बीसीसीआइ अपने पुराने स्टैंड पर फिर खड़ा हो गया। यही नहीं चौधरी ने कहा बोर्ड में नियुक्त अधिकारियों की शक्तियों पर भी स्थिति साफ की जाए। उनका इशारा सीईओ राहुल जौहरी और अपने काम के बीच आ रहे टकराव की ओर था।
इसके अलावा बीसीसीआइ को एपेक्स काउंसिल के आकार पर भी एतराज है। लोढ़ा समिति के हिसाब से अब बीसीसीआइ में अध्यक्ष, सचिव, संयुक्त सचिव, कोषाध्यक्ष और उपाध्यक्ष हो सकते हैं, लेकिन बोर्ड के सदस्य अब चाहते हैं कि उपाध्यक्ष की संख्या दो या तीन की जाए। उन्हें बोर्ड में सरकारी अधिकारियों और मंत्रियों के न होने पर भी आपत्ति है। चयन समिति में तीन की जगह पांच सदस्य होने को लेकर पहले से चली आ रही आपत्ति को उन्होंने इस प्रस्ताव में भी शामिल किया है। चौधरी ने कहा कि अगर रेलवे और सर्विसेस को पूर्णकालिक सदस्य का दर्जा मिलता है। यानि वह वोट कर सकते हैं तो उनका प्रतिनिधित्व सरकारी अधिकारी या मंत्री ही करेगा।
एपेक्स काउंसिल के आकार में उन्होंने कहा कि लोढ़ा समिति के हिसाब से बोर्ड में सिर्फ एक उपाध्यक्ष हो सकता है, जबकि सदस्य चाहते हैं देश के आकार को देखते हुए यह कम है। उन्होंने कहा कि हम अभी भी हितों के टकराव को लेकर स्थिति साफ करने में लगे हैं, क्योंकि कुछ सदस्यों को कुछ मुद्दों पर आपत्ति है। इसके अलावा बीसीसीआइ ने लोढ़ा समिति की बाकी सभी सिफारिशों को मान लिया है। उन्होंने लोकपाल को लेकर भी कुछ नाम छांट लिए हैं।