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आशीष को जूनियर चयन समिति से हटाने पर विवाद

आशीष कपूर को जूनियर चयन समिति से हटाने जबकि प्रथम श्रेणी क्रिकेटर राकेश पारिख को बरकरार रखने पर सवाल उठ रहे हैं।

By Sanjay SavernEdited By: Published: Tue, 17 Jan 2017 09:17 PM (IST)Updated: Tue, 17 Jan 2017 09:21 PM (IST)
आशीष को जूनियर चयन समिति से हटाने पर विवाद

नई दिल्ली, प्रेट्र। पूर्व भारतीय टेस्ट क्रिकेटर आशीष कपूर को जूनियर चयन समिति से हटाने जबकि प्रथम श्रेणी क्रिकेटर राकेश पारिख को बरकरार रखने पर सवाल उठ रहे हैं। यह भी पता चला है कि पारिख पहले ही अयोग्य पदाधिकारी हैं क्योंकि वह बड़ौदा क्रिकेट संघ (बीसीए) में कोषाध्यक्ष, संयुक्त सचिव और उपाध्यक्ष जैसे पदों पर 11 साल पूरे कर चुके हैं। लोढ़ा समिति ने अनिवार्य किया है कि सीनियर और जूनियर दोनों चयन समिति में तीन चयनकर्ता होंगे।

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टेस्ट क्रिकेट नहीं खेलने के कारण जतिन परांजपे और गगन खोड़ा को सीनियर चयन समिति से हटाया गया था, जबकि जूनियर चयन समिति में चुने जाने का पात्र बनने के लिए 50 प्रथम श्रेणी मैच खेलना योग्यता थी, जिसे पांचों चयनकर्ता पूरा करते थे। हालांकि, पारिख और अमित शर्मा किसी भी प्रारूप में भारत की ओर से नहीं खेले हैं। वेंकटेश प्रसाद ने भारत की ओर से 33 टेस्ट और 100 से अधिक वनडे खेले, जबकि कपूर ने चार टेस्ट और 17 वनडे में भारत का प्रतिनिधित्व किया। ज्ञानेंद्र पांडे ने दो वनडे खेले। हालांकि जब दो चयनकर्ताओं को हटाने का मामला आया तो शर्मा के साथ कपूर को बाहर का रास्ता दिखाया गया।

बीसीसीआइ के एक सीनियर अधिकारी ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर बताया, 'बीसीसीआइ महाप्रबंधक (खेल विकास) रत्नाकर शेट्टी ने ईमेल भेजा जिसमें कपूर और शर्मा को बताया गया कि जिन तीन चयनकर्ताओं को बरकरार रखा गया है, वह वे चयनकर्ता हैं जिन्हें 2015 की एजीएम में चयनकर्ता चुना गया था। इस तरह प्रसाद, पारिख और ज्ञानेंद्र को बरकरार रखा गया।Ó हालांकि पारिख को बरकरार रखे जाने पर बीसीसीआइ में सवाल उठने लगे हैं।

पारिख ने कहा, 'हां, प्रशासन में मेरा कार्यकाल खत्म हो गया है क्योंकि मैं 11 साल तक पदाधिकारी था। मैंने 2015 में बीसीए से इस्तीफा दिया और चयनकर्ता बना। मुझे क्यों बरकरार रखा गया इस पर मैं कोई प्रतिक्रिया नहीं देना चाहता। पारिख को बरकरार रखने पर सवाल उठाते हुए एक सीनियर पदाधिकारी ने कहा, 'यदि हम लोढ़ा समिति के नवीनतम जवाबों पर गौर करें तो कोई भी अयोग्य अधिकारी किसी समिति या परिषद का सदस्य नहीं हो सकता। पारिख को शामिल कैसे किया जा सकता है। साथ ही यह जूनियर चयनकर्ता के रूप में पारिख का दूसरा कार्यकाल है। वह 2006 से 2008 तक एक कार्यकाल पूरा कर चुके हैं। ऐसे में उन्हें छह महीने में पद से हटा दिया जाना चाहिए।

इस तरह की भी खबरें हैं कि कपूर ने शुरुआत में अंडर-19 संभावित खिलाडिय़ों की सूची पर हस्ताक्षर करने में हिचक दिखाई थी जो आला अधिकारियों को पसंद नहीं आया। अधिकारी ने बताया, 'छह जनवरी को चयनकर्ताओं को दोपहर में बताया गया कि लोढ़ा समिति के सचिव गोपाल शंकरनारायणन का ईमेल आया है जिसमें बीसीसीआइ को दोनों टीमें चुनने की मंजूरी दी गई है, जिसके बाद आशीष ने ईमेल की प्रति मांगी थी क्योंकि वह सुनिश्चित होना चाहते थे। पत्र देखने के बाद उन्होंने तुरंत चयन सूची पर हस्ताक्षर कर दिए। यह शाम सात बजे के करीब हुआ। उन्होंने सूची में हस्ताक्षर करने में विलंब किया। अब यह अटकलबाजी का मामला है कि क्या शुरुआत में आशीष की हिचक को अवज्ञा माना गया।

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