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हितों के टकराव में घिरे प्रवीण आमरे और भट्ट

पूर्व भारतीय टेस्ट बल्लेबाज प्रवीण आमरे और कर्नाटक के बायें हाथ के पूर्व स्पिनर रघुराम भट्ट के खिलाफ भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के लोकपाल ने हितों के टकराव का मामला पाया है।

By sanjay savernEdited By: Published: Thu, 14 Jul 2016 07:23 PM (IST)Updated: Thu, 14 Jul 2016 07:28 PM (IST)
हितों के टकराव में घिरे प्रवीण आमरे और भट्ट

मुंबई, प्रेट्र। पूर्व भारतीय टेस्ट बल्लेबाज प्रवीण आमरे और कर्नाटक के बायें हाथ के पूर्व स्पिनर रघुराम भट्ट के खिलाफ भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआइ) के लोकपाल ने हितों के टकराव का मामला पाया है। हालांकि लोकपाल ने इसी आरोप में पूर्व भारतीय कप्तान दिलीप वेंगसरकर को क्लीन चिट दी है।

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बीसीसीआइ की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के मुताबिक, बोर्ड के लोकपाल न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) एपी शाह ने इंडियन प्रीमियर लीग (आइपीएल) की संचालन समिति के चेयरमैन राजीव शुक्ला को भी हितों के टकराव के मामले में बरी कर दिया है।

मुंबई क्रिकेट संघ (एमसीए) की प्रबंध समिति के सदस्य और आइपीएल टीम दिल्ली डेयरडेविल्स के कोचिंग स्टाफ आमरे के खिलाफ हितों के टकराव के मामले में शामिल होने को लेकर लोकपाल को शिकायत भेजी गई थी। लोकपाल ने आमरे की उस दलील को खारिज कर दिया, जिसमें यह बताया गया था कि उन पर हितों के टकराव का कोई मामला नहीं है।

न्यायाधीश शाह ने पाया कि इस मामले में बीसीसीआइ के नियमों के मुताबिक हितों के टकराव थे। बोर्ड के नियमों के मुताबिक, एक प्रशासक (जिसमें बीसीसीआइ की मान्यता प्राप्त इकाई की प्रबंध समिति के सदस्य भी शामिल हैं) या उसके करीबी रिश्तेदार को आइपीएल फ्रेंचाइजी का वेतन भोगी नहीं होना चाहिए। उन्होंने अपने आदेश में कहा, 'आमरे को प्रशासक होने के नाते आइपीएल फ्रेंचाइजी में कोचिंग स्टाफ में कोई पद नहीं लेना चाहिए था। साथ ही उन्होंने इस मामले में बोर्ड को कार्रवाई करने के निर्देश दिए।

पूर्व मुख्य चयनकर्ता दिलीप वेंगसरकर पर भी हितों के टकराव के मामले का आरोप लगा था। वह एमसीए के उपाध्यक्ष होने के साथ-साथ राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी के निदेशक (दोनों मानद पद) हैं। उन पर भी यह आरोप था कि वह जूनियर क्रिकेटरों के लिए अकादमी चलाते हैं। वेंगसरकर ने कहा कि एनसीए निदेशक का पद मानद है। 116 टेस्ट खेल चुके इस पूर्व क्रिकेटर ने यह भी बताया कि वह पिछले 21 वर्षों से क्रिकेट अकादमी चला रहे हैं।

शुक्ला के खिलाफ शिकायत की गई थी कि उनकी पत्नी उस न्यूज चैनल की मालकिन हैं जिसके विज्ञापनों के स्लॉट स्टार इंडिया बेचता है। स्टार इंडिया के पास 2012 से भारत के मैचों के प्रसारण अधिकार भी हैं। शुक्ला ने कहा कि स्टार टी-20 लीग का प्रसारण नहीं करता है और यह अधिकार बीसीसीआइ की मार्केटिंग समिति ने नीलामी के तहत दिए थे। वह इस समिति के सदस्य भी नहीं हैं।

लोकपाल ने भट्ट पर भी हितों के टकराव का मामला पाया। वह कर्नाटक राज्य क्रिकेट संघ (केएससीए) की प्रबंध समिति में होने के साथ-साथ अंडर-16 और अंडर-14 टीमों के चेयरमैन भी हैं और ब्रजेश पटेल अकादमी में भी काम करते हैं। भट्ट ने सफाई दी कि वह दोनों अकादमी से कोई वेतन नहीं लेते, सिर्फ टीए व डीए लेते हैं। लोकपाल ने नियम दो (सी) के तहत बताया, 'भारतीय टीम के कोचों के तौर पर राष्ट्रीय चयनकर्ता के तौर पर नियुक्त क्रिकेटरों को अपने कार्यकाल के दौरान किसी निजी अकादमी के साथ नहीं जुडऩा चाहिए। उन्होंने केएससीए को आदेश दिया कि वह भट्ट को दोनों अकादमियों से तत्काल हटाए।


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