'IPL में विदेशी खिलाड़ियों से युवा भारतीयों को यह एक चीज सीखने की जरूरत'
फील्डिंग दिल्ली की कमजोरी है, जबकि गुजरात के खिलाड़ी एक शेर की तरह मैदान में फील्डिंग कर रहे हैं।
(सुनील गावस्कर का कॉलम)
गत चैंपियन हैदराबाद के खिलाफ जीत हासिल करने के बाद दिल्ली टीम ने प्ले ऑफ में पहुंचने की अपनी उम्मीदें जीवित रखी हैं। यह सही मायने में एक टीम की जीत थी, क्योंकि सभी खिलाड़ियों ने अपना योगदान दिया। साधारण फील्डिंग के बावजूद गेंदबाजों ने अच्छा काम किया। इसके बाद बल्लेबाजों ने चुनौती पर खरा उतरते हुए तेज गति से रन बनाकर स्थिति को नियंत्रण में रखा। मेंटर राहुल द्रविड़ चाहते थे कि टीम के युवा छोटी आकर्षक पारी खेलने की बजाय मैच को फिनिश करें।
अनुभवी कोरी एंडरसन ने क्रिस मॉरिस के साथ मिलकर लक्ष्य तक पहुंचना सुनिश्चित किया, लेकिन युवा थोड़ी लापरवाही कर गए और गलत समय पर विकेट गंवा बैठे। संजू सैमसन, ऋषभ पंत, श्रेयस अय्यर और करुण नायर सभी प्रतिभाशाली खिलाड़ी हैं, लेकिन उन्हें मैच को अपने दम पर खत्म करना सीखना होगा।
मुहम्मद शमी चोट के चलते लंबे समय से मैदान से बाहर थे और उन्हें फिर से पूरे जोश के साथ गेंदबाजी करते देखकर अच्छा लगा। बाउंसर और यॉर्कर पर जिस ढंग से उन्होंने हैदराबाद के दो विकेट हासिल किए, उससे यह तय है कि वह भारतीय टीम में वापसी के लिए तैयार हैं। यह देखकर अच्छा लग रहा है कि बहुत से भारतीय गेंदबाज अच्छी यॉर्कर फेंक रहे हैं। यह बिल्कुल भी आसान नहीं है और टी-20 में जरा सी भी गलती करने पर गेंद मैदान से बाहर चली जाती है। लेकिन अगर गेंद सटीक पड़े तो विकेट मिलना लगभग तय होता है।
मुंबई के हाथों सुपर ओवर में हारने के बाद गुजरात टीम को खुद को उठाना होगा। हालांकि वे शानदार प्रदर्शन करते हुए मैच को सुपर ओवर तक ले गए थे। फील्डिंग दिल्ली की कमजोरी है, जबकि गुजरात के खिलाड़ी एक शेर की तरह मैदान में फील्डिंग कर रहे हैं। रवींद्र जडेजा और सुरेश रैना जैसे तेज तर्रार फील्डरों की वजह से ही उन्होंने मैच को सुपर ओवर तक खींचा था।
(पीएमजी)