विराट का जवाब नहीं
वानखेड़े में खेले गए चौथे टेस्ट में सबसे बड़े आकर्षण का केंद्र विराट कोहली का दोहरा शतक रहा।
(रवि शास्त्री का कॉलम)
वानखेड़े में खेले गए चौथे टेस्ट में सबसे बड़े आकर्षण का केंद्र विराट कोहली का दोहरा शतक रहा। अश्विन के कलाई के जादू, मुरली विजय की सधी हुई सलामी पारी और जयंत यादव के धमाके के बाद भी विराट की अविस्मरणीय पारी जेहन से उतरना मुश्किल है। उनकी पारी में विलक्षणता और गेंदबाजों के खिलाफ बेरहमी के साथ वो सब कुछ था जो आप एक बल्लेबाज से चाहते हैं। लेकिन मैं उनकी पारी को कुछ अन्य वजहों से अलग पाता हूं। उनकी पारी धारा के विपरीत तैरने या चीते को पछाड़ने सरीखी थी। क्योंकि आप जानते हैं कि आप यह नहीं कर सकते।
सबसे पहले तो उन्हें पुजारा के जल्दी आउट के झटके से उबरना था। लड़खड़ाहट के बीच विराट ने जिस तरह मैदान पर अपनी प्रभुता कायम की उसकी कल्पना करना भी मुश्किल है। यही वह गुण है तो विराट को सामान्य खिलाडि़यों से अलग कर दिग्गजों की श्रेणी में शामिल करता है। कौन सोच सकता है कि कोई टी-20 के एक सत्र में चार शतक और छह माह में टेस्ट क्रिकेट में तीन दोहरे शतक लगा सकता है? जाहिर है इस समय वह अपनी सर्वश्रेष्ठ फॉर्म में हैं और हम उन्हें देखकर सम्मोहित हैं।
सीरीज में भारत के दबदबे के बीच हमें दो बातों पर जरूर ध्यान देना चाहिए। पहली तो यह कि मेजबान टीम से राहुल, रोहित, रहाणे, साहा और शमी जैसे प्रमुख खिलाड़ी चोटिल होने के कारण बाहर थे, फिर भी उसने इंग्लैंड को हराने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी। दूसरा यह है कि नई चयन समिति अगर जरूरत हो तो गौतम गंभीर को टीम में वापस लेने जैसे कठिन फैसले करने के लिए तैयार थी।
(टीसीएम)