भारतीय वनडे टीम में भी चयन के दावेदार बने सुरेश रैना
रैना ने इंग्लैंड के खिलाफ तीसरे टी20 मुकाबले में अपना पुराना अंदाज दिखाया और वनडे टीम में वापसी पर अपनी दावेदारी पुख्ता की।
(गावस्कर का कॉलम)
दुनिया भर में टेस्ट क्रिकेट ने छोटा सा ब्रेक ले लिया है। सभी टीमें अपने-अपने दौरों का समापन सीमित ओवरों के क्रिकेट से करने में लगी हैं। भारत ने इंग्लैंड को वनडे के साथ-साथ टी-20 सीरीज में भी मात देकर तीनों प्रारूपों में जीत दर्ज की। श्रीलंका ने पिछले हफ्ते दक्षिण अफ्रीका को टी-20 सीरीज में मात देकर यह संकेत दिए कि विपक्षी टीम को कमजोर समझना बड़ी भूल होगी। द. अफ्रीका ने अपनी गलती से सबक लेते हुए वनडे सीरीज में मजबूत टीम उतारी और अच्छे परिणाम हासिल किए।
भारत ने क्रिकेट के सभी प्रारूपों में अच्छा खेल दिखाया। हालांकि टी-20 सीरीज में विराट कोहली बल्ले से उम्मीदों के अनुरूप योगदान नहीं दे पाए। लेकिन गेंदबाज खासतौर से युवा युजवेंद्र चहल ने अकेले दम पर ऐसे मैच में जीत दिलाई जो भारत के हाथ फिसलता दिख रहा था। टी-20 में 30 से ज्यादा रनों को वनडे क्रिकेट में जड़े गए अर्धशतक के बराबर माना जाता है। ऐसे ही अगर कोई गेंदबाज दो विकेट लेता है, तो उसे बहुत ही अच्छा प्रदर्शन माना जाता है। जबकि चहल ने तीसरे और आखिरी टी-20 में छह विकेट लिए और इंग्लैंड ने अपने आखिरी आठ विकेट सिर्फ नौ रन के भीतर गंवाए। यह एक शानदार प्रदर्शन था लेकिन इसका श्रेय अमित मिश्रा को भी दिया जाना चाहिए क्योंकि उन्होंने अपने स्पैल से चहल को रास्ता दिखाया। एमएस धौनी, सुरेश रैना और युवराज सिंह जैसे सीनियर खिलाडिय़ों ने दिखा दिया कि उनमें अब भी बहुत आग बाकी है और आने वाले कई साल तक वह ऐसा खेल जारी रख सकते हैं। हालांकि रैना बाकी दोनों की तुलना में उम्र में छोटे हैं और आखिरी टी-20 में उनकी बल्लेबाजी के बाद 50 ओवरों के प्रारूप के लिए भी चयनकर्ताओं की निगाह उन पर होगी।
ऑस्ट्रेलियाई टीम ने चिर-प्रतिद्वंद्वी न्यूजीलैंड से करीबी मुकाबला गंवा दिया, लेकिन मार्कस स्टोइनिस ने सिर्फ 117 गेंद में 146 रन ठोककर मैच को रोमांचक बना दिया था।