बंगाल टाइगर सौरव गांगुली ने चेताया, गेंदबाजों की कब्र न बन जाए वनडे क्रिकेट
वनडे क्रिकेट में बनते बड़े स्कोर को देखकर सौरव गांगुली ने चेताया है कि कहीं यह फॉर्मेट भी गेंदबाजों की कब्रगाह न बन जाए।
कोलकाता, भारत सिंह। भारत और इंग्लैंड के बीच रविवार को खत्म हुई वनडे मैचों की सीरीज में हमें सारे हाइ-स्कोरिंग मैच देखने को मिले। दोनों टीमों ने पुणे, कटक और कोलकाता के मैदान पर तीनों मैचों में कुल छह बार 300 से ज्यादा रन बनाए। इसमें चार बार तो 350 से ज्यादा रन देखने को मिले। यानी कुल मिलाकर इस वनडे सीरीज में गेंदबाजों की जमकर धुनाई होते देखी गई।
इस सीरीज के दौरान कॉमेंटेटर भी यह कहते हुए सुने गए कि अब वनडे में 320 से 350 का स्कोर का पीछा करना असाधारण बात नहीं रह गई है। इसके अलावा कॉमेंटेटर इस बात पर भी एकमत दिखे कि वनडे में गेंदबाजी में 5.50 या 6 का इकॉनमी रेट भी बुरा नहीं है, बशर्ते आपने एक या दो अहम विकेट लिए हों।
रविवार को हुए कोलकाता के तीसरे और आखिरी मैच के इनिंग ब्रेक के दौरान कॉमेंटेटर वीरेंद्र सहवाग और सौरव गांगुली को इडेन गार्डेंस की पिच को लेकर अहम चर्चा करते हुए सुना गया। वीरेंद्र सहवाग जहां पुणे और कटक के मुकाबले इस पिच में जान को लेकर कैब अध्यक्ष गांगुली से सवाल कर रहे थे। सहवाग ने कहा कि जब वे खेलते थे तो इस पिच पर घास नहीं होती थी और पिच पाटा होती थी, अब ऐसा क्यों है!
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इस पर गांगुली ने उन्हें जवाब दिया कि अगर अभी इडेन की पिच पर घास काट दी जाएगी तो उन्हें भी नहीं पता कि पिच की मिट्टी अपनी पकड़ बनाए रखेगी या नहीं। उन्होंने भरोसा दिलाया कि इस पर कुछ मैचों के बाद घास काट दी जाएगी। इसके साथ ही गांगुली ने एक और अहम चीज कही कि वैसे ही गेंदबाजों के लिए वनडे मैच कब्रगाह के समान होते जा रहे हैं। ऐसे में उन्हें पिच से कुछ मदद मिल रही है तो इसमें कोई बुराई नहीं है।
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क्रिकेट फैन्स को याद होगा कि टीम इंडिया की पिछली पीढ़ी के क्रिकेटरों के समय तक वनडे में पहले खेलने वाली टीम के 300 रन बनाने का मतलब लगभग जीत होता था। आज वनडे ही नहीं, भारत में होने वाले टेस्ट मैच भी हाई स्कोरिंग हो रहे हैं। यहां पर केवल भारतीय गेंदबाजों के लिए ही मैच में 20 विकेट लेना संभव होता दिख रहा है, हालांकि, वह भी आसान नहीं है। हाल ही में खत्म हुई टेस्ट सीरीज के बाद दुनिया भर के क्रिकेट विशेषज्ञ और फैंस इस बात से हैरत में हैं कि दो बार पहली पारी में 400 और 475 से ज्यादा रन बनाने के बावजूद इंग्लैंड की टीम को दोनों मैचों में हार मिली।
ऐसे में क्रिकेट प्रशासकों को देखना होगा कि क्रिकेट को मनोरंजक और लोकप्रिय बनाने के चक्कर में इसकी गुणवत्ता से समझौता न हो या गेंद और बल्ले की लड़ाई में हमेशा बल्ला ही भारी न रह जाए!