लंबी पारी खेलनी चाहिए थी रूट को
जो रूट ने इस दौरे पर एक और अच्छी पारी खेली। इस दौरे पर कई मौकों पर चीजें पूरी तरह से उनके नियंत्रण में दिखाई दीं।
(भोगले का कॉलम)
जो रूट ने इस दौरे पर एक और अच्छी पारी खेली। इस दौरे पर कई मौकों पर चीजें पूरी तरह से उनके नियंत्रण में दिखाई दीं। ऐसा लग रहा था कि वह दूसरी पिच पर बल्लेबाजी कर रहे हैं और बाकी टीम दूसरी पिच पर। एलिस्टेयर कुक जहां लडख़ड़ाते नजर आ रहे थे, वहीं रूट पूरी तरह स्थिर दिख रहे थे। हालांकि रूट ज्यादा लंबी पारियां नहीं खेल पाए। ऐसा लगा कि उन्होंने अपनी बल्लेबाजी से डराया जरूर, लेकिन ज्यादा नुकसान नहीं कर पाए। जब आप अपनी टीम के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज हों और दुनिया के बेहतरीन बल्लेबाजों में आपको शुमार किया जाता हो, तो आपको एक या दो पारी ऐसी खेलनी चाहिए, जिससे मैच का रुख बदल जाए। इंग्लैंड को उनसे बड़े शतक या दोहरे शतक की दरकार थी। पूरी फिल्म पेश करने के बजाय वह छोटे-छोटे धारावाहिक ही दिखा सके। यह देखने में तो अच्छा था, लेकिन काफी नहीं था।
आपको कुक के लिए बुरा लगता है। वह मैदान में अपने खिलाडिय़ों की पीठ थपथपाते हुए ज्यादा नहीं दिखते और न ही ज्यादा बात करते हैं। लेकिन इस दौरे पर वह बोझ के तले दबे दिखाई दिए। पांच टेस्ट मैचों की सीरीज काफी लंबी हो सकती है और कुक के लिए कुछ ज्यादा ही मुश्किल साबित हुई। कभी न कभी हम सभी यह चाहते हैं कि हमें कहीं और होना चाहिए था। कुक ने भी ऐसे ही संकेत दिए हैं और हालांकि हो सकता है कि हम पूरी तरह से गलत हों, लेकिन ऐसा लग रहा है कि वह मानसिक तौर पर घर लौट चुके हैं।
एक कप्तान को अपनी फॉर्म से अलग होकर सोचना होता है, लेकिन यह कहना ही आसान है। क्रिकेट में आपसे प्रदर्शन की दरकार होती है और अगर आप ऐसा नहीं कर पाते तो कप्तानी मुश्किल हो जाती है। कुक ने दौरे की शुरुआत अच्छी की थी, लेकिन बाद में बहुत सारी अड़चनें आ गईं। अगर कप्तानी को लेकर बहुत सी बातें हों, तो मुश्किलें और बढ़ जाती हैं। एक विदेशी दौरे के आधार पर लोगों को नहीं आंकना चाहिए।
अब इंग्लैंड को उम्मीद होगी कि वह शीर्ष क्रम की सफलता का फायदा उठा सके। जबकि भारत उन्हें 400 से कम के स्कोर पर आउट करना चाहेगा। एक अच्छी पिच पर यह एक चुनौती है। भारत ने एक बार फिर दिखा दिया कि उन्हें टर्निंग विकेट नहीं चाहिए और यह सबसे ज्यादा सकारात्मक बात है। हमारे सामने अच्छे टेस्ट क्रिकेट के कुछ और दिन बाकी हैं।