खोने को कुछ नहीं था पाकिस्तान टीम के पास, इसलिए मिली जीत
क्षमता, रुतबे और यहां तक कि फॉर्म की बात भी करें तो भारत को चैंपियंस ट्रॉफी जीतनी चाहिए थी।
(हर्षा भोगले का कॉलम)
क्षमता, रुतबे और यहां तक कि फॉर्म की बात भी करें तो भारत को चैंपियंस ट्रॉफी जीतनी चाहिए थी। सभी की नजरों में टीम इंडिया दावेदार के तौर पर मैदान में उतरी थी। मगर खेल में किसी बड़े दिन हमेशा ऐसा नहीं होता जो आप करने में सक्षम होते हैं या जो होने की सबसे ज्यादा संभावना रहती है। उस दिन बात दबाव संभालने की होती है, विपरीत परिस्थितियों में शांत बने रहने की होती है और डर से जीतने की होती है। पाकिस्तान के पास खोने के लिए कुछ नहीं था। वहीं, भारत के सामने खिताब बचाने की चुनौती थी। एक टीम निडर होकर खेली और दूसरी प्रतिक्रिया देती हुई नजर आई।
बड़े फाइनल में शुरुआती दस ओवर आगे की तस्वीर को काफी हद तक साफ कर देते हैं। यहां भी ऐसा ही हुआ। भारत ने कुछ गलतियां कीं। खेल में असाधारण चीजें करना अहम होता है, लेकिन छोटी-छोटी चीजें आपको अधिक मैच जिताती हैं। यह पहली बार नहीं है कि भारत ने नो -बॉल की इतनी बड़ी कीमत चुकाई और इसके लिए कोई बहाना नहीं है। बुमराह गेंद के साथ कमाल कर सकते हैं, लेकिन नो-बॉल आपकी मेहनत पर पानी फेरने का काम करती है। उम्मीद है कि वह अब कभी ऐसी गलती नहीं करेंगे। मगर बात सिर्फ इतनी ही नहीं है। भारत ने रन आउट के भी कई मौके गंवाए और यह कैच छोडऩे जैसा ही है। पाकिस्तान तब 40 रन पर तीन विकेट गंवा चुका होता और मैच वहीं तय हो जाता। यह एक ऐसा सबक है जो खेल आपको हरदम सिखाता रहता है। छोटी-छोटी चीजों की तरफ ध्यान दीजिए।
पाकिस्तान ने पूरे टूर्नामेंट की तरह फाइनल में भी लाजवाब गेंदबाजी की। अजहर महमूद ने बिल्कुल सही कहा था कि बल्लेबाज आपको मैच जिताते हैं, लेकिन गेंदबाज आपको टूर्नामेंट जिताते हैं। ऐसे में अगर मैदान के बाहर इतना सब कुछ होते हुए भी पाकिस्तान एक ताकत बना हुआ है तो उसकी वजह उसके गेंदबाज हैं। यहां तक कि आइपीएल में भी हमने देखा कि अच्छी गेंदबाजी इकाई आपको टूर्नामेंट जिताती है।
गेंदबाजी के मोर्चे पर भुवनेश्वर और बुमराह के लिए भी टूर्नामेंट अच्छा रहा। यहां मिला अनुभव हार्दिक पांडया को और बेहतर क्रिकेटर बनाएगा। सीम बॉलिंग ऑलराउंडर सभी अच्छी टीमों के लिए अहम है और अब भारत के लिए हार्दिक तैयार हो रहे हैं, जो काफी अच्छी बात है। नंबर छह पर बल्लेबाजी करने वाले और अपने कप्तान के लिए सात से आठ ओवर करना आसान नहीं है। इसी वजह से उन जैसे बहुत कम क्रिकेटर मौजूदा टीमों में हैं। उम्मीद है कि हम एक मैच के परिणाम के बहुत अधिक मतलब नहीं निकालेंगे।