टी-20 में कोई कमजोर नहीं
जिंबाब्वे के खिलाफ तीन मैचों की वनडे सीरीज में व्हाइटवॉश भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धौनी की एक और उपलब्धि रही।
(गावस्कर का कॉलम)
जिंबाब्वे के खिलाफ तीन मैचों की वनडे सीरीज में व्हाइटवॉश भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धौनी की एक और उपलब्धि रही। माना की विपक्षी टीम कभी भी टीम इडिया को चुनौती देती नजर नहीं आई, लेकिन जिस एकतरफा अंदाज में भारत ने सीरीज जीती वह प्रभावित करने वाली रही। युवा खिलाडिय़ों ने मौके को भुनाते हुए टीम के नियमित सदस्य होने का दावा ठोका।
तीन मैचों की सीरीज में सभी खिलाडिय़ों को मौका दे पाना आसान नहीं होता। फैज फैजल को अंतिम वनडे में मौका मिला और उन्होंने अपने कौशल और टेंपरामेंट का अच्छा नमूना पेश करते हुए अर्धशतक ठोका। मध्यक्रम के बल्लेबाज करुण नायर को शुरुआती दो मैचों में पारी का आगाज करने को भेजा गया, लेकिन वह अपने अंदर की आग से दुनिया को रूबरू नहीं करा सके। करुण शानदार खिलाड़ी हैं, लेकिन जब कोई पहली बार देश के लिए खेल रहा होता है तो वह अपने परिचित क्रम पर ही खेलना चाहता है।
टीम में कई बल्लेबाज होने के कारण यह फैसला ले पाना आसान नहीं रहता है कि किसे अंतिम एकादश में शामिल करें और किसे बाहर रखें। इसलिए किसी भी दौरे पर एक चयनकर्ता का जाना टीम चयन को और भी तार्किक बनाने के लिहाज से सही फैसला होगा। उन्हें इस दौरान सही टीम संयोजन बनाने में होने वाली परेशानियों से अवगत कराया जा सकेगा। चयनकर्ता का काम अंतिम एकादश चयन में सहयोग देने का भी रहे।
टी-20 वह प्रारूप है, जहां कमजोर टीमें भी एक-दो मैचों में विपक्षी को आश्चर्य में डाल सकती हैं। जिंबाब्वे के पास इस प्रारूप में कुछ बहुत अच्छे खिलाड़ी हैं। लेकिन हाल ही में भारतीय खिलाडिय़ों ने आइपीएल में जानदार प्रदर्शन किया है और इस सीरीज में भी वनडे से अलग परिणाम निकलने की उम्मीद नहीं है। हां, यहां जीत या हार का अंतर उतना बड़ा और प्रभावशाली नहीं होगा, जितना कि वनडे सीरीज में रहा था। यहां भारतीय खिलाडिय़ों को पसीना भी बहाना पड़ सकता है।