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पुछल्लों के लिए अधिक काम छोड़ रहा मध्यक्रम

मोहाली में इंग्लैंड की टीम बुरी तरह बिखर गई। मेहमान टीम ने टॉस जीता और अपने मिजाज की पिच पर भी दोनों पारियों में ढेर हो गई।

By ShivamEdited By: Published: Wed, 30 Nov 2016 07:48 PM (IST)Updated: Wed, 30 Nov 2016 07:50 PM (IST)
पुछल्लों के लिए अधिक काम छोड़ रहा मध्यक्रम

(रवि शास्त्री का कॉलम)

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मोहाली में इंग्लैंड की टीम बुरी तरह बिखर गई। मेहमान टीम ने टॉस जीता और अपने मिजाज की पिच पर भी दोनों पारियों में ढेर हो गई। उन्होंने शुरुआती लाभ को हाथ से जाने दिया। अगर आप टॉस जीतने का फायदा उठाते हुए कम से कम 350 रन नहीं बनाते तो आप खुद के लिए ही मुश्किलें खड़ी कर लेते हैं। अगर भारतीय गेंदबाजों को उनके हिस्से की प्रशंसा नहीं मिलती तो ये उनके साथ क्रूरता होगी। सभी पांचों गेंदबाजों ने विपक्षी बल्लेबाजों पर जोरदार हमला बोला और शिकार किए। अगर स्पिन तिकड़ी ने जादुई और रहस्यमयी जाल बुना तो शमी और यादव ऐसे नजर आ रहे थे जैसे उनके मुंह खून लग गया हो।

इंग्लैंड की टीम पहले दिन ही पिछड़ती दिख रही थी। हालांकि उन्होंने दूसरे दिन शाम तक अपने लिए उम्मीद की किरण जगाई जब भारतीय टीम ने खराब और लापरवाह बल्लेबाजी के चलते लगातार अंतराल पर विकेट गंवाए। मौजूदा सीरीज में टीम इंडिया का शीर्ष क्रम असामान्य रूप से परेशानी में दिख रहा है। मगर निचले क्रम ने एक-दो सत्र से जबरदस्त खेल दिखाया है। यह बहुत कम देखने को मिलता है कि टीम के 7वें, 8वें और नौंवे नंबर के बल्लेबाज एक ही पारी में अर्धशतक लगाएं। स्पिनरों अश्विन और जयंत के साथ साझेदारी करते हुए रवींद्र जडेजा ने इंग्लैंड के गेंदबाजी आक्रमण को पूरी तरह हतोत्साहित कर दिया। जब इंग्लैंड की टीम सौ से अधिक रन से पिछड़ गई तो उनके लिए हालात और मुश्किल हो गए। दूसरी पारी में बल्लेबाजी के लिए उतरते वक्तही इंग्लैंड की टीम पराजित दल जैसी नजर आ रही थी। तीसरे दिन स्टंप तक मेहमान टीम ने चार विकेट गंवा दिए थे और भारतीय टीम प्रभावशाली जीत की दहलीज पर खड़ी थी।

भारतीय टीम अब यहां से सीरीज नहीं हार सकती, लेकिन अब भी मौजूदा प्रदर्शन से बेहतर खेल दिखा सकती है। टीम को एक अच्छी ओपनिंग साझेदारी की जरूरत है, खासकर मुरली विजय के बल्ले से रन निकलने बेहद जरूरी है। मध्य क्रम भी निचले क्रम के लिए बहुत अधिक काम छोड़ रहा है। खिलाड़ियों का चयन और सही तरीके से किए जाने की जरूरत है। यहां पॉकेट रॉकेट पार्थिव पटेल का खासतौर से जिक्रकिया जाना चाहिए, जिन्होंने बतौर बल्लेबाज अपनी प्रतिष्ठा में इजाफा ही किया है। उनकी बल्लेबाजी में जुनून और साहस दोनों नजर आए। फिलहाल यह वक्त जश्न मनाने का है।

(टीसीएम)


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