कमाल की है भारत की निचले क्रम की बल्लेबाजी
कोहली और उनकी टीम की कुछ उपलब्धियां उन्हें अतीत की टीमों से अलग करती हैं।
(रवि शास्त्री का कॉलम)
हम भारतीय क्रिकेट के उस दौर में हैं, जब हमारे पास हर स्थान के लिए कई विकल्प हैं। हमारे पास बल्लेबाज, विकेटकीपर, स्पिनर और तेज गेंदबाज सभी के विकल्प मौजूद हैं। कुछ शंकालु प्रशंसक हालांकि यह सवाल उठा सकते हैं कि क्या ये इस दौर की सर्वश्रेष्ठ टीम है। हम जानते हैं कि इस टीम को विदेश में जीत दर्ज करने की क्षमता अभी साबित करनी है। लेकिन कोहली और उनकी टीम की कुछ उपलब्धियां उन्हें अतीत की टीमों से अलग करती हैं।
लेकिन इसमें कोई शक नहीं है कि भारतीय टीम के पास इस समय नौवें दशक की शुरुआत के बाद की सबसे अच्छी निचले क्रम की बल्लेबाजी है। इस दावे को लेकर तर्क की कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने पिछले दो सालों में घर और बाहर दोनों जगह रन बनाए हैं। भारत के पास अश्विन के रूप में खालिस ऑलराउंडर है। जबकि दूसरे के तौर पर जडेजा और जयंत यादव का नाम लिया जा सकता है।
चेन्नई टेस्ट में पुजारा और कोहली के असफल रहने के बाद भी हमारे युवाओं ने बेहतर ढंग से अपनी जिम्मेदारी संभाली। करुण ने भले ही तिहरा शतक लगाया हो, लेकिन वह अभी भी अगले टेस्ट के लिए अपनी जगह पक्की नहीं मान सकते। किसी भी मजबूत राष्ट्रीय टीम की असली ताकत उसके रिजर्व खिलाडि़यों में होती है और अच्छी बात है कि भारत इन विकल्पों को भुनाने में सफल रहा है। इन युवा खिलाडि़यों ने अपनी इच्छाओं पर कोई बंदिश नहीं लगाई है। जयंत और नायर ने अपनी पहली सीरीज में खुद को साबित करने का कोई मौका नहीं गंवाया। वे दबाव के समय पीछे नहीं हटे। नए यंग इंडिया का यही असली चेहरा है। जो निडर और सकारात्मक है। चेन्नई टेस्ट की जो स्थायी याद मेरे जेहन में रहेगी वो युवा करुण नायर की बल्लेबाजी है, जिन्होंने इंग्लैंड को धोकर हमको क्रिसमस का तोहफा दिया।
(टीसीएम)