संतुलित दिख रही हैं सभी टीमें
आइपीएल के दसवें साल के भी रोमांचक होने की पूरी उम्मीद है।
(सुनील गावस्कर का कॉलम)
भारतीय क्रिकेट के बेहद दिलचस्प अंतरराष्ट्रीय सत्र के बाद अब दुनिया की सर्वश्रेष्ठ टी-20 लीग के लिए तैयार हो जाइए। दुनियाभर में टी-20 लीग के आयोजनों के बीच कोई भी पूरे विश्वास के साथ यह कह सकता है कि इस लीग जैसा स्तर किसी अन्य लीग में देखने को नहीं मिलता। अन्य लीग की तो इस लीग से तुलना करना भी लगभग बेकार ही है।
आइपीएल के दसवें साल के भी रोमांचक होने की पूरी उम्मीद है। हालांकि ये बात अलग है कि हर साल की तरह फिर से कुछ लोग अचानक सामने आकर कहने लगे हैं कि यह लीग अपनी चमक खो चुकी है, इसके दर्शक कम हो गए हैं, वगैरह..वगैरह। हर साल के साथ आइपीएल मजबूत ही होता गया है और जो लोग सच्चाई नहीं देखना चाहते हैं, वे सिर्फ दो मिनट की लोकप्रियता लेने के लिए ऐसा कर रहे हैं।
इस साल नीलामी में यह देखने को मिला कि बल्लेबाजों से ज्यादा गेंदबाजों की मांग ज्यादा रही, क्योंकि टीमों को लगता है कि अंत में मैच गेंदबाजों ने ही जिताना होता है। हालांकि यह पूरी तरह से उस समय ठीक नहीं लगता, जब आप स्मिथ, गेल, कोहली, डिविलियर्स, धौनी, वार्नर और रोहित शर्मा जैसे खिलाडि़यों के नाम लेते हैं। इन बल्लेबाजों को रोकने का बूता दुनिया के किसी गेंदबाज में नहीं है। गेंदबाज के पास सिर्फ चार ओवर होते हैं, जबकि बल्लेबाज पूरे 20 ओवर तक धूम मचा सकता है। इसलिए इस तरह की सोच थोड़ी अजीब लगती है, लेकिन ये फैसले लेने वाले हमसे कहीं ज्यादा समझदार हैं। उनके पास बेहतर तकनीक, पैसा और पावर भी है।
आइपीएल में इस साल का सबसे समझदारी भरा फैसला स्टीव स्मिथ और ग्लेन मैक्सवेल को अपनी-अपनी फ्रेंचाइजी का कप्तान बनाना रहा। पिछले साल व्यस्त अंतरराष्ट्रीय सीजन के बाद स्टीव स्मिथ थके हुए दिख रहे थे और वह जल्द ही घर भी लौट गए थे। फ्रेंचाइजी ने उस समय काफी खराब प्रदर्शन किया था और उसके क्वालीफाई करने की संभावना लगभग न के बराबर थी और फिजियो की मदद से वह कुछ मैच पहले ही घर लौट गए। इस साल उनके कप्तान बनने के बाद से इसकी संभावना कम है, भले ही यह सीजन टीम के लिए कैसा भी रहे।
मैक्सवेल की बात करें, तो पिछले सीजन में उन्होंने शायद ही कोई बड़ी पारी खेली थी। ऐसा लग रहा था कि क्रीज पर खड़े होने की उनकी इच्छा ही नहीं है और वह हर गेंद को हवा में मारना चाहते हैं। हो सकता है कि वह अपने बल्लेबाजी क्रम से खुश न हों, या फिर उन्हें चिकन बटर मसाला पसंद न आ रहा हो, जो भी हो, उन्होंने पिछले सत्र में निराश किया था। अब वह कप्तान बन गए हैं, तो अपनी मर्जी से बल्लेबाजी क्रम तय कर सकते हैं और शायद उन्हें उनकी मर्जी का चिकन भी मिल जाए।
डेविड वार्नर और विराट कोहली पिछले सीजन में दो शानदार लीडर साबित हुए। इन दोनों ने लगभग अकेले ही अपनी टीमों को फाइनल तक पहुंचा दिया। उन्होंने न सिर्फ खुद शानदार प्रदर्शन किया, बल्कि टीम के साथियों से भी सर्वश्रेष्ठ करवाया। इन टीमों पर इस सीजन में भी निगाह रहेगी।
इस सबसे छोटे प्रारूप में कुछ भी भविष्वाणी करना मुश्किल है, क्योंकि यहां मैच कुछ ही गेंद में बदल जाता है। लेकिन एक बात तय है कि पिछले साल की तुलना में इस बार रोमांच बहुत ज्यादा रहेगा, क्योंकि सभी टीमें काफी संतुलित दिख रही हैं। ऐसे में टीमों के लिए क्वालीफाई करना बहुत मुश्किल होगा। इस बार गर्मी भी काफी रहेगी। इसके अलावा आइपीएल में गेलस्ट्रोम तो हमेशा ही रहता है और उसे तो खुद भगवान भी देखना चाहते हैं।
(पीएमजी)