रैना को है 'मैच विनर' होने का अहसास: अकरम
जैसे ही स्पिनरों के हाथ में गेंद आई एक बार फिर इंग्लिश टीम की छटपटाहट बढ़ गई। नाचती गेंदों के खिलाफ उनकी तकनीक फेल रही।
(अकरम का कॉलम)
जैसे ही स्पिनरों के हाथ में गेंद आई एक बार फिर इंग्लिश टीम की छटपटाहट बढ़ गई। नाचती गेंदों के खिलाफ उनकी तकनीक फेल रही। इयान बेल जैसे अनुभवी बल्लेबाज भी लाचार नजर आए। तीसरे वनडे में भारतीय टीम ने इंग्लैंड को हर विभाग में पछाड़ा, खासकर क्षेत्ररक्षण विभाग में।
इस प्रारूप में जडेजा और अश्विन की जोड़ी को खेल पाना पहले से ही आसान नहीं था और फिर सुरेश रैना अपनी गेंदबाजी से अंग्र्रेज बल्लेबाजों पर नकेल कसने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। मुझे लगता है मौजूदा सीरीज में रैना ने गहरा प्रभाव छोड़ा है। आप उसे गेंद दीजिए वह आपके लिए विकेट निकलता है। आप उसकी तरफ गेंद मारते हैं तो वह आपको रन आउट कर देता है। बल्ले से उसने मैच जिताऊ प्रदर्शन किया है, जिसमें एक शतक भी शामिल है। उसे अहसास है कि वह इस प्रारूप में एक मैच विनर है और यही बात उसका आत्मविश्वास बढ़ाती है। एक तरह से मैं यहां खुद को रैना से जोड़ कर देख पा रहा हूं। 1992 विश्व कप के बाद मेरे अंदर यह विश्वास पैदा हो गया था कि मैं अपने दम पर टीम को कोई भी वनडे या टेस्ट मैच जिता सकता हूं। हर क्रिकेटर के करियर एक समय ऐसा आता है जब उसका हर कदम, हर फैसला और हर शॉट सही लगता है। रैना उसी दौर से गुजर रहे हैं और उन्हें इस वक्त का ज्यादा से ज्यादा फायदा उठा लेना चाहिए।
बल्लेबाजी क्रम में मौजूद एक अन्य बायें हाथ का बल्लेबाज शिखर धवन अपनी फॉर्म से जूझ रहा है। पिछले मैच में वह एक बार फिर कट शॉट खेलने के चक्कर में आउट हुए। वह शुरुआत तो अच्छी कर रहे हैं, लेकिन जैसा कि हमने देखा उनका कट शॉट हवा में उठ जा रहा है। मंगलवार को होने वाले चौथे वनडे में उनसे यही उम्मीद होगी कि वह सतर्क होकर अपने शॉट का चयन करेंगे।
टेस्ट सीरीज और वनडे सीरीज के दौरान टीम इंडिया में जमीन आसमान का अंतर साफ नजर आ रहा है और मैं इसकी एक मुख्य वजह ड्रेसिंग रूम में रवि शास्त्री की मौजूदगी को मानूंगा। इंग्लैंड के ड्रेसिंग रूम में रवि जैसा कोई ऐसा शख्स मौजूद नहीं है जो खिलाडिय़ों का मनोबल ऊंचा कर सके। इस स्तर पर मनोवैज्ञानिक मदद खिलाडिय़ों को ज्यादा फायदा पहुंचाती है, जो कि हम यहां देख भी पा रहे हैं। इसका ही नतीजा है यह वनडे सीरीज एकतरफा नजर आ रही है।