लक्ष्मण के वोट से चुने गए रवि शास्त्री? जहीर मामले में सिर्फ दादा की चली
दादा की बात को आखिर में तवज्जो मिली और जहीर को टीम इंडिया का बॉलिंग कोच बना दिया गया। यानी सौरव की इस मामले में चली।
नई दिल्ली, जेएनएन। टीम इंडिया का मुख्य कोच बनने के मामले पर मंगलवार का घटनाक्रम काफी नाटकीय रहा। यह मामला सोमवार को कोच पद के उम्मीदवारों के साथ ही शुरू हो गया था। कोच पद के लिए पांच उम्मीदवारों के इंटरव्यू सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली और राहुल द्रविड़ की सलाहकार समिति (सीएसी) ने लिए। इंटरव्यू से पहले सौरव गांगुली ने कहा था कि सोमवार शाम तक नए कोच का ऐलान कर दिया जाएगा।
बार-बार पैदा हुआ भ्रम
इस इंटरव्यू के लिए सौरव और लक्ष्मण मुंबई में मौजूद थे तो सचिन लंदन से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मौजूद रहे। लेकिन इंटरव्यू खत्म होने तक हालात ऐसे बने कि सौरव को मीडिया के सामने आकर कहना पड़ा कि कोच का ऐलान फिलहाल नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सीएसी को नाम की घोषणा करने की कोई जल्दबाजी नहीं है और कप्तान विराट कोहली से बात कर नए कोच की घोषणा की जाएगी।
शास्त्री की खबर की गई लीक
इसके बाद पता चला कि सीएसी ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित क्रिकेट प्रशासकों को समिति (सीओए) को अपने फैसले के बारे में बताया। सीओए ने मंगलवार को कहा कि शाम तक सीएसी कोच के नाम की घोषणा करे। इस बीच मीडिया में खबर लीक की गई कि रवि शास्त्री को नया कोच चुना गया है। हालांकि, कुछ ही देर में बीसीसीआइ अधिकारी अमिताभ चौधरी को यह कहना पड़ा कि सीएसी ने अभी फैसला नहीं लिया है और कोच की घोषणा नहीं की गई है। हालांकि, मंगलवार रात को रवि शास्त्री को मुख्य कोच जहीर खान को गेंदबाजी कोच और राहुल द्रविड़ को बल्लेबाजी सलाहकार चुना गया।
गांगुली-सचिन-लक्ष्मण नहीं थे एकमत
अब सवाल यह उठता है कि आखिर शास्त्री का नाम उछला कैसे और फिर भ्रम क्यों हुआ? इसमें कोई दो राय नहीं कि सोमवार को सीएसी ने जिन 5 लोगों का इंटरव्यू लिया उसमें शास्त्री का दावा सबसे मजबूत था। हालांकि, अगर उनके नाम पर सीएसी के तमाम सदस्य एकमत होते तो फिर सोमवार को ही उनको हरी झंडी दिखा दी जाती। साथ ही गांगुली ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में उनके नाम का ऐलान कर दिया होता। समझा जा रहा है कि समिति के तीनों सदस्य एकमत नहीं थे। इसीलिए सौरव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बार-बार यही कहा कि फैसले के पहले टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली की राय भी जानी जाएगी। शायद गांगुली चाहते थे कि अलग-अलग पसंदों के बीच अगर विराट किसी नाम पर मुहर लगा देते हैं, तो फिर भविष्य में कोई विवाद नहीं होगा। अगर विराट सचमुच अपनी राय देते, तो यह तय था कि वह शास्त्री को चुनते। ऐसा मानने की वजह यही है क्योंकि विराट और शास्त्री के बीच बेहद मधुर संबंध हैं।
शास्त्री बनाम गांगुली विवाद
शास्त्री दो बार टीम इंडिया के क्रिकेट मैनेजर और डायरेक्टर के तौर पर काम कर चुके हैं। पिछले साल जब टीम के कोच के लिए आवेदन मंगाए गए तो शास्त्री को वह बात सही नहीं लगी थी। बाद में वह इस बात पर अड़ गए कि इंटरव्यू देने नहीं आएंगे क्योंकि वह बैंकॉक में थे। इधर, सीएसी के सदस्य गांगुली भी इस बात पर अड़े रहे कि जिसे अपनी दावेदारी पेश करनी है उसे इंटरव्यू देने आना ही पड़ेगा। इस मसले पर शास्त्री और सौरव के कई कड़वे बयान मीडिया में आए। इससे दोनों दिग्गजों के बीच दूरियां बढ़ती गईं। सौरव ने तब अनिल कुंबले को आगे किया। सीएसी के एक अन्य सदस्य वीवीएस लक्ष्मण भी सौरव के साथ गए जिससे कुंबले मुख्य कोच बन गए। सचिन तब भी शास्त्री के पक्ष में थे और इस बार भी वह मुंबई के अपने पूर्व टीममेट के साथ खड़े रहे। हालांकि, सौरव के विरोध के चलते शास्त्री का नाम फाइनल नहीं हो पा रहा था।
लक्ष्मण का रोल रहा अहम
शास्त्री ने कोच पद के लिए अप्लाई नहीं किया था। शायद वह जानते थे कि सौरव के रहते उनकी दाल नहीं गलने वाली। सचिन के कहने पर उन्होंने रुचि दिखाई और होड़ में आए। सौरव और सचिन की पसंद अलग-अलग होने के बीच लक्ष्मण का रोल अहम था। संभवत: लक्ष्मण ने भी शास्त्री के नाम पर सचिन का समर्थन किया और दादा का विरोध धरा रह गया।
जहीर पर भी हुई गरमा-गरमी, पर दादा की चली
सूत्रों की मानें तो सोमवार को इंटरव्यू के दौरान टॉम मूडी के अलावा शास्त्री का प्रेजेंटेशन भी जबरदस्त था। हालांकि, इंटरव्यू के दौरान ही शास्त्री और सौरव के बीच कुछ मसलों पर गरमा-गरमी हुई। यह पूछा गया कि वह सपॉर्ट स्टाफ के तौर पर किन-किन को चाहते हैं। शास्त्री ने बॉलिंग कोच के तौर पर भरत अरुण का नाम लिया, जबकि सौरव इसके पक्ष में नहीं थे। सौरव चाहते थे कि जहीर खान को यह जिम्मेदारी मिले। इसको लेकर भी दोनों दिग्गजों के बीच बहस हुई। लेकिन दादा की बात को आखिर में तवज्जो मिली और जहीर को टीम इंडिया का बॉलिंग कोच बना दिया गया। यानी सौरव की इस मामले में चली।