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पूर्व भारतीय ऑलराउंडर का शास्त्री को समर्थन, सचिन-सौरव-लक्ष्मण का विरोध?

पूर्व ऑलराउंडर ने कहा कि शास्त्री को छूट मिलनी चाहिए।

By Bharat SinghEdited By: Published: Mon, 17 Jul 2017 11:18 AM (IST)Updated: Mon, 17 Jul 2017 06:09 PM (IST)
पूर्व भारतीय ऑलराउंडर का शास्त्री को समर्थन, सचिन-सौरव-लक्ष्मण का विरोध?
पूर्व भारतीय ऑलराउंडर का शास्त्री को समर्थन, सचिन-सौरव-लक्ष्मण का विरोध?

नई दिल्ली, जेएनएन। भारतीय क्रिकेट में कोच और उनके सहयोगी स्टाफ की नियुक्ति का विवाद शांत पड़ता नजर नहीं आ रहा है। सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली और वीवीएस लक्ष्मण की सलाहकार समिति (सीएसी) ने रवि शास्त्री को मुख्य कोच बनाने के साथ ही जहीर खान को गेंदबाजी सलाहकार और राहुल द्रविड़ को बल्लेबाजी सलाहकार बना दिया था। अब द्रविड़-जहीर की नियुक्ति पर क्रिकेट प्रशासकों की समिति (सीओए) ने सवाल खड़े कर दिए हैं। 

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कहा जा रहा है कि पहले की तरह इस बार भी मुख्य कोच को अपनी पसंद का सहयोगी स्टाफ चुनने की छूट होनी चाहिए। रवि शास्त्री की पसंद सीएसी से अलग भी है। लिहाजा कोच को सहयोगी स्टाफ को लेकर अभी स्थिति साफ नहीं है। 

क्रिकेट के कई जानकार इस मामले में सीएसी के साथ हैं तो कई रवि शास्त्री के समर्थन में हैं। अब टीम इंडिया के पूर्व ऑलराउंडर और फील्डिंग कोच रहे रॉबिन सिंह ने शास्त्री को उनकी पसंद का स्टाफ चुनने की इजाजत देने की मांग उठाई है। रॉबिन सिंह ने कहा है कि किसी भी कोच को अपना सहयोगी स्टाफ चुनने का अधिकार होना चाहिए। इस ऑलराउंडर खिलाड़ी ने कहा, 'अगर मैं कोच होता, तो अपने स्टाफ के रूम में उन लोगों को चुनता, जिनके साथ मैं सहज महसूस करता और अच्छे नतीजे दे सकता।'

रॉबिन सिंह ने कहा, 'जिन लोगों को मैं जानता हूं, मैं उनके साथ काम करना चाहता हूं। मैं उन लोगों के साथ काम नहीं करना चाहता, जिन्हें मैं नहीं जानता। यह ऐसी बात है जो सभी को चाहिए होता है। आप उन लोगों के साथ मिलकर बेहतर काम करते हैं, जिन्हें आप जानते-समझते हो और जिनसे आपको लगता हो कि वे आपकी किसी योजना को अंजाम दे सकते हैं।' तमिलनाडु प्रीमियर लीग (TNPL) में कराइकुडी कलाइ टीम के हेड कोच नियुक्त होने के बाद रॉबिन सिंह पत्रकारों से बात कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने सपॉर्ट स्टाफ पर अपने यह विचार रखे।

रॉबिन सिंह ने कहा कि सिर्फ क्रिकेट में ही नहीं, हर क्षेत्र में ऐसा देखने को मिलता है। चाहे यह किसी कंपनी को चलाने का मामला भी क्यों न हो। किसी कंपनी में शीर्ष स्तर के कोई भी अधिकारी उन्हीं लोगों को मौका देते हैं, जिनके साथ वह काम करने में सहज होते हैं। 

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